बालाघाट। मध्य प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में बालाघाट एक ऐसा जिला है जहां सब की नजर है, वजह है इस क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में महाकौशल क्षेत्र में बीजेपी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी थी. बालाघाट जिले में भारतीय जनता पार्टी को 6 सीटों में से सिर्फ दो सीट पर ही जीत मिली थी. जबकि कांग्रेस ने यहां पहले से बेहतर प्रदर्शन किया था. ऐसे में इस बार बालाघाट जिले पर कांग्रेस की और भाजपा दोनों ही पार्टियों की पैनी नजर है. कांग्रेस जहां यहां और बढ़त बनाना चाहेगी, तो भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से इस क्षेत्र में अपना प्रदर्शन सुधारना चाहेगी. ऐसे में बालाघाट जिले की एकमात्र रिजर्व सीट बैहर विधानसभा सीट भी काफी अहम मानी जा रही है, आज बात बैहर विधानसभा सीट की.
बैहर में भगत सिंह बनाम संजय उईके: बालाघाट जिले की बैहर सीट से 10 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा ने भगत सिंह नेताम को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने संजय उईके को मैदान में उतारा है.
बैहर सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा: बालाघाट जिले की बैहर विधानसभा सीट इस बार काफी अहम सीट मानी जा रही है. वजह है वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के संजय उईके ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी, और अपने जीत के सिलसिले को यहां पर बरकरार रखा था. वहीं भारतीय जनता पार्टी इस बार इस सीट पर अपनी पहली लिस्ट में ही अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है, इससे साफ है कि भारतीय जनता पार्टी साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. पुख्ता तैयारी के साथ इस विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ना चाह रही है, जिससे एक बार फिर से वो इस सीट पर कम बैक कर सके.
बीजेपी ने इन्हें बनाया प्रत्याशी: बालाघाट जिले के बैहर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी किस तरह से अपनी पैनी नजर बनाए हुए है, और अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रही है, इसे इसी से समझा जा सकता है, कि अपनी पहली ही लिस्ट में बीजेपी ने यहां से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने बैहर विधानसभा सीट पर अनुपमा नेताम की जगह पूर्व विधायक भगत नेताम पर एक बार फिर से दांव खेला है. पार्टी इन्हीं से उम्मीद भी लगा रही है कि आगामी साल 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भगत नेताम इस सीट पर बीजेपी का क्या कमबैक कराएंगे.
क्या कहते हैं आंकड़े? बालाघाट जिले के बैहर विधानसभा सीट के पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो, इस विधानसभा सीट के आंकड़े भी काफी रोचक हैं.
- साल 2003 के विधानसभा चुनाव पर नजर डाले तो बैहर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी के भगत सिंह नेताम ने 39,297 वोट हासिल किए थे और इस चुनाव में उनके सामने कांग्रेस के गणपत सिंह उईके की चुनौती थी. जहां गणपत सिंह उईके ने 31,481 वोट हासिल किए थे और दोनों के बीच वोटो से जीत का अंतर 7,816 वोट का था.
- 2008 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो बैहर विधानसभा सीट से एक बार फिर से भाजपा के भगत सिंह नेताम ने ही जीत दर्ज की थी. भगत सिंह नेताम ने 37,639 वोट हासिल किए थे, और उनके सामने मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे संजय उईके जिन्हें बीजेपी प्रत्याशी ने 32,922 वोट मिले थे. तो वही जीत का अंतर 4,717 वोट का था.
- 2013 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो बैहर विधानसभा सीट से इस बार परिवर्तन हुआ और 2013 में कांग्रेस के संजय उईके ने जीत दर्ज की. कांग्रेस के संजय को 82,419 वोट मिले, तो इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हार मिली और कांग्रेस प्रत्याशी को 32,352 वोट के अंतर से जीत मिली.
- 2018 विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के संजय उईके ने जीत दर्ज की. कांग्रेस के संजय उईके जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. कांग्रेस के संजय उईके ने 79,399 वोट हासिल किए थे. जिनके सामने इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रतिद्वंदी बदला था, और अनुपमा नेताम को भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव मैदान पर उतारा था. जहां अनुपमा नेताम को 62,919 वोट मिले जीत का अंतर 16,480 वोट का था. मतलब संजय उईके ने एक बार फिर से बीजेपी के प्रत्याशी को हरा दिया.
कांग्रेस की हैट्रिक या बीजेपी का कमबैक: बैहर विधानसभा सीट पर इस बार सबकी नजर है. वजह है कि इस विधानसभा सीट में क्या कांग्रेस जीत की हैट्रिक लगाएगी या फिर भाजपा एक बार फिर से कम बैक करेगी. क्योंकि आंकड़े तो कुछ ऐसा ही कह रहे हैं. 2003 से 2018 तक के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो बैहर विधानसभा सीट से 2003 और 2008 में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी. लेकिन 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहां से जीत दर्ज कर रही है. ऐसे में साल 2023 के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास जहां इस सीट से हैट्रिक लगाने का मौका है तो बीजेपी के पास कम बैक करने का मौका है. दोनों ही पार्टियां इस विधानसभा सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंकी रही हैं.
बैहर का राजनीतिक समीकरण: बैहर विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण की बात करें तो यह विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है और यहां पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुकाबला देखने को मिला है. हालांकि यहां पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी समय-समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है. 1951 से 2018 तक के चुनाव में बैहर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने जहां नौ बार अपनी जीत दर्ज की है, तो बीजेपी चार बार और जनसंघ एक बार और निर्दलीय एक बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं. बालाघाट जिले की एकमात्र आरक्षित विधानसभा सीट बैहर विधानसभा सीट है. जहां आदिवासी बैगा वोटर की संख्या काफी ज्यादा है. यही वजह भी है कि आदिवासियों को केंद्र में रखकर यहां राजनीति गर्म रहती है. इस विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है.
महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ से जुड़ा है ये विधानसभा सीट: बालाघाट जिले की बैहर विधानसभा सीट की बात करें तो यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ जंगली इलाका है. 1990 के दशक से इस इलाके में नक्सली भी अपने पैर जमा रहे हैं. बात विकास की करें तो इस इलाके में विकास कोसों दूर है. सड़क, बिजली, पानी और मकान के लिए आज भी आदिवासी ग्रामीण संघर्ष कर रहे हैं.