ETV Bharat / state

ODF के रियलिटी टेस्ट में बालाघाट हुआ फेल, आज भी खुले में शौच को मजबूर लोग

बालाघाट को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने यहां ओडीएफ का रियलिटी टेस्ट किया, तो उसमें जिला फेल हो गए. यहां कई घरों में आज भी शौच के लिए लोगों को मजबूरन बाहर जाना पड़ता है.

ओडीएफ का रियलिटी टेस्ट
author img

By

Published : Oct 6, 2019, 1:56 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 3:23 PM IST

बालाघाट। 2 अक्टूबर को देशभर में गांधी जी की 150 वीं जयंती को मनाकर स्वच्छता का संदेश दिया गया. लेकिन स्वच्छता को लेकर हकीकत क्या है, यह पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ओडीएफ घोषित हो चुके बालाघाट में रियलिटी टेस्ट किया. जिसमें हमें कई ऐसे परिवार मिले जो कि शौचालय के अभाव में आज भी खुले में शौच के लिये मजबूर हैं.

बालाघाट में ODF का रियलिटी टेस्ट

बालाघाट में ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र भी अभी पूरी तरह से ओडीएफ मुक्त नहीं हुआ है. नगर पालिका क्षेत्र में ही ऐसे सैकड़ो परिवार हैं जो सालों से यहां रहने के बाद भी खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं. ऐसे कुछ परिवारों से मिलने पर हकीकत सामने आयी और उन्होंने बताया कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वह शौचालय नहीं बना सके हैं. शौचालय के लिए नगर पालिका प्रशासन में आवेदन दे चुके हैं लेकिन फिर भी शौचालय नहीं बनवाया गया है.

जिम्मेदार कर रहे ओडीएफ का दावा

ओडीएफ को लेकर अधिकारियों के अलग-अलग दावे हैं. नगर पालिका के जिम्मेदारों का कहना है कि जिला ओडीएफ हो गया है और जहां अभी शौचालय नहीं बन सका है वहां जानकारी मिलते ही शौचालय बनवा दिया जायेगा. पालिका ने लगभग 2 हजार शौचालय बनाये हैं.

जिला पंचायत सीईओ श्रीमती रजनी सिंह ने बताया कि दूसरे फेश में 10 हजार घरों को चिन्हित कर जून तक सभी के घर शौचालय बना दिया गया है. अब लगभग 3 सौ घर फिर से चिन्हित किए गए हैं, जहां शौचालय बनाये जा रहे हैं. साथ ही राशि उनके खाते में भेजी जा रही है.

अधिकारियों के दावे के बाद भी सवाल उठता है कि जब जिले में आज भी लोग खुले में शौच को मजबूर हैं तो ऐसे में ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया. अपनी पीठ खुद ही थपथपाने के लिए अधिकारियों ने तो बालाघाट को ओडीएफ घोषित कर दिया लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में जिला फेल हो गया.

बालाघाट। 2 अक्टूबर को देशभर में गांधी जी की 150 वीं जयंती को मनाकर स्वच्छता का संदेश दिया गया. लेकिन स्वच्छता को लेकर हकीकत क्या है, यह पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ओडीएफ घोषित हो चुके बालाघाट में रियलिटी टेस्ट किया. जिसमें हमें कई ऐसे परिवार मिले जो कि शौचालय के अभाव में आज भी खुले में शौच के लिये मजबूर हैं.

बालाघाट में ODF का रियलिटी टेस्ट

बालाघाट में ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र भी अभी पूरी तरह से ओडीएफ मुक्त नहीं हुआ है. नगर पालिका क्षेत्र में ही ऐसे सैकड़ो परिवार हैं जो सालों से यहां रहने के बाद भी खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं. ऐसे कुछ परिवारों से मिलने पर हकीकत सामने आयी और उन्होंने बताया कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वह शौचालय नहीं बना सके हैं. शौचालय के लिए नगर पालिका प्रशासन में आवेदन दे चुके हैं लेकिन फिर भी शौचालय नहीं बनवाया गया है.

जिम्मेदार कर रहे ओडीएफ का दावा

ओडीएफ को लेकर अधिकारियों के अलग-अलग दावे हैं. नगर पालिका के जिम्मेदारों का कहना है कि जिला ओडीएफ हो गया है और जहां अभी शौचालय नहीं बन सका है वहां जानकारी मिलते ही शौचालय बनवा दिया जायेगा. पालिका ने लगभग 2 हजार शौचालय बनाये हैं.

जिला पंचायत सीईओ श्रीमती रजनी सिंह ने बताया कि दूसरे फेश में 10 हजार घरों को चिन्हित कर जून तक सभी के घर शौचालय बना दिया गया है. अब लगभग 3 सौ घर फिर से चिन्हित किए गए हैं, जहां शौचालय बनाये जा रहे हैं. साथ ही राशि उनके खाते में भेजी जा रही है.

अधिकारियों के दावे के बाद भी सवाल उठता है कि जब जिले में आज भी लोग खुले में शौच को मजबूर हैं तो ऐसे में ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया. अपनी पीठ खुद ही थपथपाने के लिए अधिकारियों ने तो बालाघाट को ओडीएफ घोषित कर दिया लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में जिला फेल हो गया.

Intro:बालाघाट- देश भर में महात्मा गांधी की 150 वी जयंती समारोह मनाया जा रहा हैं और इस दौरान स्वच्छता का संदेश दिया जा रहा हैं। लेकिन बालाघाट ओडीएफ जिला घोषित होने के बाद भी कई ऐसे परिवार हैं जो ओडीएफ के अभाव में खुले में शौच जाने के लिये बाध्य हैं।
Body:जानकारी के मुताबिक ओडीएफ को लेकर ग्रामीण अंचल से लेकर शहर मुख्यालय भी पूरी तरह ओडीएफ मुक्त नहीं हुआ हैं। बालाघाट नपा क्षेत्र में ही ऐसे सैकड़ो की संख्या में परिवार हैं जो वर्षो से रहने के बाद भी ओडीएफ के अभाव में खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं। ऐसे कुछ परिवारों से मिलने पर हकीकत सामने आयी और उन्होने बताया कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। इसके अभाव में वह शौचालय नहीं बना सके हैं। नपा प्रशासन में आवेदन व फार्म भरा हैं लेकिन वहां से कोई सुविधा या ओडीएफ बनाया नहीं गया। ये ऐसे परिवार हैं जिनके यहां पर चार से छह सदस्य निवासरत हैं और वह खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं। हमने ऐसे परिवार के संदर्भ में बात की तो बताया गया कि कुछ परिवार आठ से दस साल से तो कुछ 20 साल से निवास कर रहे। फिर भी उनके घर पर ओडीएफ बनाने की पहल नहीं हो सकी हैं।
4 फूलवती सैययाम ग्रामिण
ओडीएफ को लेकर अधिकारियों के अलग-अलग दावे हैं। नगर पालिका के जिम्मेवार कहते हैं कि ओडीएफ हो गया हैं और जो कुछ शेष के रूप में आ रहे हैं उनके यहां पर जानकारी मिलते ही तत्काल ओडीएफ बनाया जा रहा हैं। लगभग 2 हजार शौचालय बनाये गये हैं। हालांकि ओडीएफ को लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी सवाल उठाते हुये कहा कि जिले के ग्रामीण अंचल में कई परिवार के शौचालय नहीं बनाये गये और जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। कई परिवार अब भी खुले में शौच हेतु जा रहे हैं। इसके लिये अभियान चलाने के साथ ही जागरूक करने की जरूरत हैं।
Conclusion:बता देवें कि वर्ष 2012 में सर्वे के अनुसार बालाघाट में 2 लाख 73 हजार 172 ओडीएफ बनाकर जिले को ओडीएफ घोषित किया गया था। लेकिन इसके बाद कुछ परिवार का बटंवारा या किसी कारणवश छुट गये थे उनके लिये अभियान चलाकर चिन्हांकन किया गया। जिपं सीईओ श्रीमती रजनी सिंह ने बताया कि दूसरे फेश में 10 हजार को चिन्हित कर जून माह तक सभी के घर शौचालय बना दिया गया हैं। अब लगभग 3 सौ लोग फिर से चिन्हित कर उनके घर शौचालय बनाये जा रहे व राशि उनके खाते मे भेजी जा रही हैं। यह ऐसा अभियान हैं इसके लिये अधिकारियों की टीम शौचालय का उपयोग करने के लिये पे्ररित करने हेतु गांवों में जायेगी व जनजागरूकता चलायेगी।
बाईट- 1 गीता कुमरे, ग्रामिण
2 रानू बोमरडे ग्रामिण
,3 अनसुईया मेश्राम, ग्रामिण
4 फूलवती सैययाम ग्रामिण
बाईट- सुरेंद्र राहंगडाले उपयंत्री नगरपालिका बालाघाट
बाईट- श्रीमती रजनी सिंह जिला पंचायत सीईओ बालाधाट
श्रीनिवास चौधरी ईटीवी भारत बालाघाट
Last Updated : Oct 6, 2019, 3:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.