बालाघाट। 2 अक्टूबर को देशभर में गांधी जी की 150 वीं जयंती को मनाकर स्वच्छता का संदेश दिया गया. लेकिन स्वच्छता को लेकर हकीकत क्या है, यह पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ओडीएफ घोषित हो चुके बालाघाट में रियलिटी टेस्ट किया. जिसमें हमें कई ऐसे परिवार मिले जो कि शौचालय के अभाव में आज भी खुले में शौच के लिये मजबूर हैं.
बालाघाट में ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र भी अभी पूरी तरह से ओडीएफ मुक्त नहीं हुआ है. नगर पालिका क्षेत्र में ही ऐसे सैकड़ो परिवार हैं जो सालों से यहां रहने के बाद भी खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं. ऐसे कुछ परिवारों से मिलने पर हकीकत सामने आयी और उन्होंने बताया कि वे शौचालय बनाना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वह शौचालय नहीं बना सके हैं. शौचालय के लिए नगर पालिका प्रशासन में आवेदन दे चुके हैं लेकिन फिर भी शौचालय नहीं बनवाया गया है.
जिम्मेदार कर रहे ओडीएफ का दावा
ओडीएफ को लेकर अधिकारियों के अलग-अलग दावे हैं. नगर पालिका के जिम्मेदारों का कहना है कि जिला ओडीएफ हो गया है और जहां अभी शौचालय नहीं बन सका है वहां जानकारी मिलते ही शौचालय बनवा दिया जायेगा. पालिका ने लगभग 2 हजार शौचालय बनाये हैं.
जिला पंचायत सीईओ श्रीमती रजनी सिंह ने बताया कि दूसरे फेश में 10 हजार घरों को चिन्हित कर जून तक सभी के घर शौचालय बना दिया गया है. अब लगभग 3 सौ घर फिर से चिन्हित किए गए हैं, जहां शौचालय बनाये जा रहे हैं. साथ ही राशि उनके खाते में भेजी जा रही है.
अधिकारियों के दावे के बाद भी सवाल उठता है कि जब जिले में आज भी लोग खुले में शौच को मजबूर हैं तो ऐसे में ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया. अपनी पीठ खुद ही थपथपाने के लिए अधिकारियों ने तो बालाघाट को ओडीएफ घोषित कर दिया लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में जिला फेल हो गया.