अशोकनगर। जिले के बनियाई गांव के किसान सुरेंद्र कुशवाह बताते हैं कि वह परंपरागत तरीके से खेती करते थे. लेकिन जब शहर के एक माली ने उन्हें फूलों की खेती के बारे में बताया तो उन्होंने इसे शुरू किया. वर्ष 2003 में शहर के एक माली ने उन्हें बताया कि फूलों की खेती शुरू करो तो वह 1 साल में ही लखपति बन सकता है. शुरुआत में सुरेंद्र ने पहले अपनी आधा बीघा जमीन पर गेंदे के फूल लगाए. इसकी कमाई देखकर अब वह तीन बीघा जमीन में भी गेंदा के फूल उगाने लगे हैं. इसमें करीब ₹50 हज़ार की लागत आती है और इससे हर साल उसे 5 लाख रुपए तक का अधिक मुनाफा हो जाता है. अब वह चार प्रकार के फूलों की खेती कर मालामाल हो रहे हैं.
शुरू में आधा बीघा में फूलों की खेती : किसान सुरेंद्र कुशवाह बताते है कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. वह स्वयं गांव के ही स्कूल में पांचवीं तक पढ़ाई कर पाए. इसके बाद परंपरागत खेती में परिवार के साथ हाथ बंटाने लगा. इसी दौरान मंदिर के पास फूल बेचने वाले एक माली ने उन्हें फूल की खेती और फूलों के बीज ओर पौधे के बारे में भी बताया. वर्ष 2003 में 15 साल की उम्र में ही उसने फूलों की खेती शुरू की. पहले लगभग आधा बीघा के खेत में फूल लगाए जिनमे मुनाफा अच्छा हुआ तो उसने रकबा बढ़ा लिया. उनके पिता के पास मौजूद कुल 12 बीघा जमीन में से वह तीन बीघा जमीन में अपने पूरे परिवार के साथ फूलों की खेती कर रहे हैं.
फूलों की खेती ने गरीबी से उबारा : सुरेंद्र बताते है कि वर्ष 2015 में फसल निकालने के दौरान उनका हाथ थ्रेसर में चला गया था, जिसमें उंगली सहित हाथ के पंजे का अगला हिस्सा कट गया, लेकिन वह आज भी एक हाथ से खेतों में काम करते हैं और उन्हें फूलों की खेती करने में परेशानी नहीं होती. फूलों की खेती के बाद परिवार आर्थिक तंगी से उबर गया है. अब बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं और परिवार के हालात भी पहले से अच्छे हो गए हैं. नवंबर के महीने में फूलों की ज्यादा डिमांड रही, चुनाव भी हुए तो फूलो की बिक्री अधिक हुई. त्यौहारों के साथ ही शादियों के सीजन में भी डिमांड बढ़ जाती है. How to cultivate flowers
ऐसे करते हैं फूलों की खेती : उन्होंने फूलों की खेती के लिए अच्छी किस्म के पौधे की जरूरत होती है. अच्छी किस्म के पौधे नर्सरी में तैयार होते हैं. किसान सुरेंद्र कुशवाह ने बताया कि वह गुना और उज्जैन की नर्सरी से पौधे मंगवाते हैं. अलग-अलग वैरायटी में पौधे अलग-अलग कीमत पर मिल जाते हैं. ₹ 2 से लेकर 3 से साढ़े तीन रुपये तक का पौधा मिलता है. इसके अलावा कुछ पौधे वह घर पर भी तैयार कर लेते हैं. फूलों की खेती की रुपाई के बाद से 30 से 40 दिन के अंदर पौधे की मुख्य कली तोड़ ली जाती हैं. इसके द्वारा फूल थोड़े दिनों में दोबारा आ जाते है और फूलों की संख्या भी बढ़ जाएगी. वही निराई गुड़ाई 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए. इससे खेत की भूमि में हवा का संचार ठीक से हो जाता है. साथ ही फूलों में खरपतवार भी खत्म हो जाता है. रोपाई के बाद से 60 दिन के बाद फूल आने लगते है और यह क्रम 70 से 80 दिन तक चलता है.
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खेती को रोग से ऐसे बचाएं : फूलों को थोड़ा डंठल के साथ तोड़ना चाहिए, जिसके बाद फूल उसी डाल पर उगने लग जाते हैं. एक पौधे से दूसरे पौधे की 2 फीट की दूरी रखी जाती है, दो क्यारी की दूरी में भी दो फिट का अंतर रखते हैं. इससे पौधों को फैलने के लिए जगह अच्छी मिल जाती है और उनकी तूड़ाई में भी परेशानी नहीं होती. सीजन में दो बार निराई गुड़ाई करते हैं. पौधों की जरूरत के अनुसार उनमें पानी देना होता है. किसान सुरेंद्र बताते है कि उन्हे विशेषज्ञों ने बताया था कि गेंदा के फूलों में केवल फफूंद रोग लगता है. इससे पत्तों पर सफेद रंग की परत जम जाती है और तने के अंदर काले रंग के रोग शुरू हो जाते हैं. यह रोग कभी-कभार आता है. फफूंद के संक्रमण को रोकने एवं नियंत्रित करने के लिए पोटेशियम बाइकार्बोनेट या बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करते हैं. जिसमे प्रत्येक एक गैलन पानी के लिए एक बड़ा चम्मच पोटेशियम कार्बाइड या बेकिंग सोडा एक ही चम्मच वनस्पति तेल मिलाकर छिड़काव करते हैं, जिससे फसल नष्ट होने से बच जाती है. flower cultivation beneficial