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राष्ट्रपति के 'दत्तक पुत्रों' के लिए जरूरी सुविधाएं दूर की कौड़ी! दो किमी कंधे पर रखकर चलने के बाद भी नहीं बची महिला की जान - Anuppur Baiga tribe died

विलुप्त हो रही संरक्षित बैगा प्रजाति सुविधाओं के अभाव में खत्म होती जा रही है, आज भी मूलभूत सुविधाएं इनके लिए दूर की कौड़ी है, सड़क नहीं होने की वजह से बैगा महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि परिजन नाले-जंलग से होते हुए उसे दो किलोमीटर तक कंधे पर रखकर ले गये, इसके बावजूद उसे नहीं बचा पाये.

Woman of protected Baiga tribe died due to lack of treatment
दो किमी कंधे पर रखकर चलने के बाद भी नहीं बची महिला की जान
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Published : Sep 29, 2021, 5:58 PM IST

अनूपपुर। आदिवासियों की जिस 'बैगा' प्रजाति को सरकार द्वारा संरक्षित किया गया है, महामहिम राष्ट्रपति ने गोद लिया है और उन्हें अपना दत्तक पुत्र भी माना है. पर आदिवासी क्षेत्रों में असुविधाओं का आलम ये है कि इनकी जान जा रही है. अनूपपुर जिले के दूरस्थ क्षेत्र तुम्बीबर में बैगा प्रजाति की एक महिला की अचानक तबीयत बिगड़ गई, पर जाने के लिए सड़क नहीं होने की वजह से ग्रामीण रात के अंधेरे में नाले को पार कर जंगल-झाड़ियों से होते हुए बीमार महिला को कंधे पर लिये करीब दो किलोमीटर तक पैदल चले, पर महिला को इलाज मिल पाता, उससे पहले ही उसकी मौत हो गई.

महिला स्व-सहायता समूहों को मिला एमपी राज्य आजीविका मिशन का काम, कमलनाथ सरकार ने एमपी एग्रो के जरिये ठेकेदारों को पहुंचाया था लाभ

स्वीकृति के बाद भी नहीं बनी सड़क

हैरत की बात ये है कि सड़क स्वीकृत होने के बावजूद अफसरों के लापरवाही के चलते नहीं बन सकी, इस गांव में सड़क नहीं होने से लोगों का संपर्क टूटा रहता है, अभी हाल ही में एक और महिला को सड़क नहीं होने की वजह से इलाज के लिए खाट पर रखकर कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा था.

दो किमी कंधे पर रखकर चलने के बाद भी नहीं बची महिला की जान

रास्ते में ही महिला ने तोड़ा दम

शहडोल-अनूपपुर की सीमा पर जैतहरी जनपद के ग्राम पंचायत डोंगरा टोला के ग्राम तुम्बीबर निवासी सियाबती बैगा (37 वर्ष) बीते एक महीने से बीमार थी, शरीर में सूजन आदि की शिकायत थी, बीती रात तबीयत ज्यादा खराब होने पर परिजनों ने एंबुलेंस बुलाया, लेकिन एंबुलेंस गांव तक पहुंचने में एक घंटा से ज्यादा का वक्त लगा दिया, वो भी गांव से करीब दो किलोमीटर दूर ही एंबुलेंस खड़ी रही क्योंकि गांव तक पहुंच मार्ग नहीं था. सियाबती बैगा का पति सियालाल बैगा गोद में उठाकर मुख्य सड़क तक ले जा रहा था, लेकिन आधे रास्ते में ही सियाबती ने दम तोड़ दिया.

यहां रहते हैं 98 फीसदी बैगा

डोंगरा पंचायत के तुम्बीबर गांव में 98 प्रतिशत आबादी संरक्षित बैगा आदिवासियों की है, गांव के आदिवासी ज्यादा शिक्षित और जागरूक नहीं हैं, गांव में बुनियादी सुविधाएं बिजली, पानी, सड़क, पेयजल की सुविधा दूर की कौड़ी है. आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में स्वच्छता को लेकर जागरूक करने वाला पूरा तंत्र निष्क्रिय है. अशुद्ध पेयजल के सेवन से ग्रामीण अक्सर किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. स्वास्थ्य अमला गायब रहता है तो कुछ विभाग के बड़े अधिकारियों के अफसरशाही रवैये की भेंट चढ़ चुका है.

विभागीय जांच के दिए आदेश

अनूपपुर जिले के सीएमएचओ डॉक्टर राय ने बताया कि वहां तक एंबुलेंस रोड नहीं होने के कारण नहीं पहुंच पाई थी और महिला कई दिनों से बीमार चल रही थी, ऐसी जानकारी मिली है, इसको विभागीय तौर पर जांच के लिए आदेश कर दिया है.

अनूपपुर। आदिवासियों की जिस 'बैगा' प्रजाति को सरकार द्वारा संरक्षित किया गया है, महामहिम राष्ट्रपति ने गोद लिया है और उन्हें अपना दत्तक पुत्र भी माना है. पर आदिवासी क्षेत्रों में असुविधाओं का आलम ये है कि इनकी जान जा रही है. अनूपपुर जिले के दूरस्थ क्षेत्र तुम्बीबर में बैगा प्रजाति की एक महिला की अचानक तबीयत बिगड़ गई, पर जाने के लिए सड़क नहीं होने की वजह से ग्रामीण रात के अंधेरे में नाले को पार कर जंगल-झाड़ियों से होते हुए बीमार महिला को कंधे पर लिये करीब दो किलोमीटर तक पैदल चले, पर महिला को इलाज मिल पाता, उससे पहले ही उसकी मौत हो गई.

महिला स्व-सहायता समूहों को मिला एमपी राज्य आजीविका मिशन का काम, कमलनाथ सरकार ने एमपी एग्रो के जरिये ठेकेदारों को पहुंचाया था लाभ

स्वीकृति के बाद भी नहीं बनी सड़क

हैरत की बात ये है कि सड़क स्वीकृत होने के बावजूद अफसरों के लापरवाही के चलते नहीं बन सकी, इस गांव में सड़क नहीं होने से लोगों का संपर्क टूटा रहता है, अभी हाल ही में एक और महिला को सड़क नहीं होने की वजह से इलाज के लिए खाट पर रखकर कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा था.

दो किमी कंधे पर रखकर चलने के बाद भी नहीं बची महिला की जान

रास्ते में ही महिला ने तोड़ा दम

शहडोल-अनूपपुर की सीमा पर जैतहरी जनपद के ग्राम पंचायत डोंगरा टोला के ग्राम तुम्बीबर निवासी सियाबती बैगा (37 वर्ष) बीते एक महीने से बीमार थी, शरीर में सूजन आदि की शिकायत थी, बीती रात तबीयत ज्यादा खराब होने पर परिजनों ने एंबुलेंस बुलाया, लेकिन एंबुलेंस गांव तक पहुंचने में एक घंटा से ज्यादा का वक्त लगा दिया, वो भी गांव से करीब दो किलोमीटर दूर ही एंबुलेंस खड़ी रही क्योंकि गांव तक पहुंच मार्ग नहीं था. सियाबती बैगा का पति सियालाल बैगा गोद में उठाकर मुख्य सड़क तक ले जा रहा था, लेकिन आधे रास्ते में ही सियाबती ने दम तोड़ दिया.

यहां रहते हैं 98 फीसदी बैगा

डोंगरा पंचायत के तुम्बीबर गांव में 98 प्रतिशत आबादी संरक्षित बैगा आदिवासियों की है, गांव के आदिवासी ज्यादा शिक्षित और जागरूक नहीं हैं, गांव में बुनियादी सुविधाएं बिजली, पानी, सड़क, पेयजल की सुविधा दूर की कौड़ी है. आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में स्वच्छता को लेकर जागरूक करने वाला पूरा तंत्र निष्क्रिय है. अशुद्ध पेयजल के सेवन से ग्रामीण अक्सर किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. स्वास्थ्य अमला गायब रहता है तो कुछ विभाग के बड़े अधिकारियों के अफसरशाही रवैये की भेंट चढ़ चुका है.

विभागीय जांच के दिए आदेश

अनूपपुर जिले के सीएमएचओ डॉक्टर राय ने बताया कि वहां तक एंबुलेंस रोड नहीं होने के कारण नहीं पहुंच पाई थी और महिला कई दिनों से बीमार चल रही थी, ऐसी जानकारी मिली है, इसको विभागीय तौर पर जांच के लिए आदेश कर दिया है.

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