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विकास के इस दौर में बंजारा समुदाय बिजली-पानी को मोहताज

मध्यप्रदेश सरकार हर शहर, गांव, कस्बों तक सभी मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने के भले ही लाख दावे करती हो, लेकिन आज तक कई ग्रामीण क्षेत्र और कस्बे ऐसे हैं, जो पानी और बिजली तक जैसी सुविधाओं के मोहताज हैं.

Banjara community in the hope of providing basic amenities over the years
सालो से मुलभूत सुविधाओं की आस में बंजारा समुदाय
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Published : Apr 19, 2021, 9:36 AM IST

अनूपपुर। मध्य प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों को लेकर भले ही विकास के लाख दावे करे, लेकिन कई ऐसे गांव हैं, जहां बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं है. ऐसे पिछड़े गांव के लिए सरकार ने कई योजनाएं कागजों पर बनायी हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के मुखिया गरीबों को रोटी कपड़ा मकान देने का वादा तो करते हैं, लेकिन सरकार इन सुविधाओं को आम जनता तक नहीं पहुंचा पा रही है. कुछ सुविधाएं पहुंचती है, उनके पहुंचते-पहुंचते सालों बीत जाते हैं. प्रदेश के खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह के गृह ग्राम परासी से कुछ दूर ग्राम पंचायत हरद का भी यही हाल है. यहां का बंजारा परिवार मूलभूत सुविधाओं के लिए सघर्ष कर रहा है. कई बार मांग की, आश्वासन भी मिला, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के इंतजार में 20 साल बीत गए.

सालो से मुलभूत सुविधाओं की आस में बंजारा समुदाय

झोपड़ी बनाकर कर रहे निवास

बंजारा परिवार हरद ग्राम पंचायत के अंतर्गत एक शासकीय भूमि पर झोपड़ी बनाकर 20 वर्षों से निवास कर रहे हैं. बंजारा परिवार में लगभग 15 परिवार है, जिनकी आबादी 50 से ऊपर है. आज तक बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं इन परिवारों तक पहुंच नहीं सकी है. सालों से बंजारा परिवार के लोग एक ही स्थान पर झोपड़ी बनाकर बिना पानी, बिजली के निवास करते आ रहे हैं.

नहीं मिलती शासन से कोई भी मदद

सराकर द्वारा बंजारा परिवार के लोगों का राशन कार्ड और आधार कार्ड तो बनाया गया है, पर आज तक उन्हें राशन नहीं मिला है. बंजारा परिवार के लोगों ने बताया कि उन्हें ग्राम पंचायत द्वारा भी किसी प्रकार का सहयोग प्राप्त नहीं होता है. उन्होंने इसके खिलाफ कई बार आवाज भी उठाई और कई बार खाद्य मंत्री बिसाहूलाल से समस्या को लेकर गुहार लगाई, पर शासन की तरफ से आज तक कोई लाभ नहीं मिला है.

भीख मांगते हैं बच्चे

बंजारा परिवार के लोगों कि आबादी में लगभग 15 से 20 मासूम बच्चे हैं, जो क्षेत्र में भीख मांगते हैं और उन पैसों से अपना और अपने माता-पिता का पेट पालने का काम कर रहे हैं. शिक्षा गृहण करने के समय में इन बच्चों द्वारा भीख मांगना बेहद शर्मनाक है. शिक्षा के लिये भी बंजारा परिवार के लोग आज तक अछूते रहे हैं. जिस उम्र में बच्चों को शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधा मिलनी चाहिए, उस उम्र में बच्चे जीवन यापन के लिये भीख मांग रहे हैं. बच्चे भीख मांगकर परिवार का पेट पालने के लिए जूझते रहते हैं. वाकई जिला प्रशासन को बंजारा परिवारों के उपर ध्यान देने की जरुरत है, क्योंकि आज भी यह लोग मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं.

अनूपपुर। मध्य प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों को लेकर भले ही विकास के लाख दावे करे, लेकिन कई ऐसे गांव हैं, जहां बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं है. ऐसे पिछड़े गांव के लिए सरकार ने कई योजनाएं कागजों पर बनायी हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के मुखिया गरीबों को रोटी कपड़ा मकान देने का वादा तो करते हैं, लेकिन सरकार इन सुविधाओं को आम जनता तक नहीं पहुंचा पा रही है. कुछ सुविधाएं पहुंचती है, उनके पहुंचते-पहुंचते सालों बीत जाते हैं. प्रदेश के खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह के गृह ग्राम परासी से कुछ दूर ग्राम पंचायत हरद का भी यही हाल है. यहां का बंजारा परिवार मूलभूत सुविधाओं के लिए सघर्ष कर रहा है. कई बार मांग की, आश्वासन भी मिला, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के इंतजार में 20 साल बीत गए.

सालो से मुलभूत सुविधाओं की आस में बंजारा समुदाय

झोपड़ी बनाकर कर रहे निवास

बंजारा परिवार हरद ग्राम पंचायत के अंतर्गत एक शासकीय भूमि पर झोपड़ी बनाकर 20 वर्षों से निवास कर रहे हैं. बंजारा परिवार में लगभग 15 परिवार है, जिनकी आबादी 50 से ऊपर है. आज तक बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं इन परिवारों तक पहुंच नहीं सकी है. सालों से बंजारा परिवार के लोग एक ही स्थान पर झोपड़ी बनाकर बिना पानी, बिजली के निवास करते आ रहे हैं.

नहीं मिलती शासन से कोई भी मदद

सराकर द्वारा बंजारा परिवार के लोगों का राशन कार्ड और आधार कार्ड तो बनाया गया है, पर आज तक उन्हें राशन नहीं मिला है. बंजारा परिवार के लोगों ने बताया कि उन्हें ग्राम पंचायत द्वारा भी किसी प्रकार का सहयोग प्राप्त नहीं होता है. उन्होंने इसके खिलाफ कई बार आवाज भी उठाई और कई बार खाद्य मंत्री बिसाहूलाल से समस्या को लेकर गुहार लगाई, पर शासन की तरफ से आज तक कोई लाभ नहीं मिला है.

भीख मांगते हैं बच्चे

बंजारा परिवार के लोगों कि आबादी में लगभग 15 से 20 मासूम बच्चे हैं, जो क्षेत्र में भीख मांगते हैं और उन पैसों से अपना और अपने माता-पिता का पेट पालने का काम कर रहे हैं. शिक्षा गृहण करने के समय में इन बच्चों द्वारा भीख मांगना बेहद शर्मनाक है. शिक्षा के लिये भी बंजारा परिवार के लोग आज तक अछूते रहे हैं. जिस उम्र में बच्चों को शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधा मिलनी चाहिए, उस उम्र में बच्चे जीवन यापन के लिये भीख मांग रहे हैं. बच्चे भीख मांगकर परिवार का पेट पालने के लिए जूझते रहते हैं. वाकई जिला प्रशासन को बंजारा परिवारों के उपर ध्यान देने की जरुरत है, क्योंकि आज भी यह लोग मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं.

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