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किसानों के लिए खसरे की नकल लेना बना परेशानी का सबब, दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर - खसरे की प्रतियां प्राप्त कर रहे हैं

खसरे और बी-1 के अनिवार्य होने के बाद किसानों को परेशान होना पड़ रहा है. लोकसेवा केंद्र पर किसानों को 3-3 दिन तक इसकी नकल नहीं मिल पा रही है और वे दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

किसानों के लिए खसरे की नकल लेना बना परेशानी का सबब
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Published : Jun 7, 2019, 2:01 PM IST

आगर। जिले में किसान प्याज प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत पंजीयन कराने के लिए किसानों को चालू खसरे और बी-1 के अनिवार्य रूप से नकल की जरूरत इन दिनों पड़ रही है. लेकिन लोकसेवा केंद्र से नकल हासिल करना किसानों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. खसरा-बी 1 की नकल समाधान एक दिन की सेवा के अंतर्गत आती है, लेकिन लोकसेवा केंद्र पर किसानों को 3-3 दिन तक नकल नहीं मिल पा रही है. लोकसेवा केंद्र के कर्मचारी इसे तहसील कार्यालय की लेटलतीफी बताते हैं. वहीं तहसील कार्यालय से किसानों को सही जवाब तक नहीं मिल पा रहा है. शनिवार को भी दर्जनों किसान लोकसेवा केंद्र के बाहर नकल लेने के लिए चक्कर काटते नजर आए.

बता दें कि खसरा, बी 1 की नकल किसानों के लिए उनकी खेती का रिकॉर्ड होती है और यह नकल लोकसेवा केंद्र पर आवेदन करने के बाद किसानों को मिल पाती है. प्रमाणित नकल लेने के लिए किसानों को यह सेवा समाधान एक दिवस के अंतर्गत दी जाती है, लेकिन जिला मुख्यालय पर हालात कुछ ऐसे हैं कि नकल हासिल करने के लिए किसान कलेक्टोरेट से तहसील कार्यालय तक के चक्कर काट रहे हैं. इसे लेकर किसानों में आक्रोश है.

किसानों के लिए खसरे की नकल लेना बना परेशानी का सबब

वहीं इस मामले में केंद्र पर तैनात कर्मचारियों ने किसानों को बताया कि नकल तहसील कार्यालय से बनकर आती है. यहां पर नकल प्रमाणित की जाती है. उन्होंने कहा कि जब तहसील कार्यालय से ही नकल नहीं आई है, तो वे उसे कैसे उपलब्ध करवा सकते हैं. अगर किसानों को समय पर खसरा, बी 1 की नकल नहीं मिली, तो वे प्याज बेचने के लिए पंजीयन नहीं करवा पाएंगे. ऐसे में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

आगर। जिले में किसान प्याज प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत पंजीयन कराने के लिए किसानों को चालू खसरे और बी-1 के अनिवार्य रूप से नकल की जरूरत इन दिनों पड़ रही है. लेकिन लोकसेवा केंद्र से नकल हासिल करना किसानों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. खसरा-बी 1 की नकल समाधान एक दिन की सेवा के अंतर्गत आती है, लेकिन लोकसेवा केंद्र पर किसानों को 3-3 दिन तक नकल नहीं मिल पा रही है. लोकसेवा केंद्र के कर्मचारी इसे तहसील कार्यालय की लेटलतीफी बताते हैं. वहीं तहसील कार्यालय से किसानों को सही जवाब तक नहीं मिल पा रहा है. शनिवार को भी दर्जनों किसान लोकसेवा केंद्र के बाहर नकल लेने के लिए चक्कर काटते नजर आए.

बता दें कि खसरा, बी 1 की नकल किसानों के लिए उनकी खेती का रिकॉर्ड होती है और यह नकल लोकसेवा केंद्र पर आवेदन करने के बाद किसानों को मिल पाती है. प्रमाणित नकल लेने के लिए किसानों को यह सेवा समाधान एक दिवस के अंतर्गत दी जाती है, लेकिन जिला मुख्यालय पर हालात कुछ ऐसे हैं कि नकल हासिल करने के लिए किसान कलेक्टोरेट से तहसील कार्यालय तक के चक्कर काट रहे हैं. इसे लेकर किसानों में आक्रोश है.

किसानों के लिए खसरे की नकल लेना बना परेशानी का सबब

वहीं इस मामले में केंद्र पर तैनात कर्मचारियों ने किसानों को बताया कि नकल तहसील कार्यालय से बनकर आती है. यहां पर नकल प्रमाणित की जाती है. उन्होंने कहा कि जब तहसील कार्यालय से ही नकल नहीं आई है, तो वे उसे कैसे उपलब्ध करवा सकते हैं. अगर किसानों को समय पर खसरा, बी 1 की नकल नहीं मिली, तो वे प्याज बेचने के लिए पंजीयन नहीं करवा पाएंगे. ऐसे में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

Intro:आगर मालवा
-किसान प्याज प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत पंजीयन कराने के लिए किसानो को चालू खसरे तथा बी-1 की अनिवार्य रूप से नकल की आवश्यकता इन दिनों पड़ रही है लेकिन लोकसेवा केंद्र से नकल प्राप्त करना किसानों के लिए टेड़ी खीर बन गया है। खसरा, बी 1 की नकल समाधान एक दिवस की सेवा के अंतर्गत आती है लेकिन लोकसेवा केंद्र पर किसानों को 3-3 दिन तक नकल नही मिल पा रही है। लोकसेवा केंद्र के कर्मचारी तहसील कार्यालय की लेटलतीफी बताते है वही तहसील कार्यालय से किसानों को समुचित जवाब तक नही मिल रहा है शनिवार को भी दर्जनों किसानों को लोकसेवा केंद्र के बाहर नकल लेने के लिए परेशान होते हुवे देखा गया।


Body:बता दे कि खसरा, बी 1 की नकल किसानों के लिए उनकी खेती का रिकॉर्ड होती है और यह नकल लोकसेवा केंद्र पर आवेदन करने के बाद किसानों को मिल पाती है। प्रमाणित नकल लेने के लिए किसानों को यह सेवा समाधान एक दिवस के अंतर्गत दी जाती है लेकिन जिला मुख्यालय पर हालात कुछ और ही बयां कर रहे है। नकल हासिल करने के लिए किसानों को कलेक्टोरेट से तहसील कार्यालय तक भटकते हुवे देखा जा सकता है। किसानों ने लोकसेवा केंद्र पर अपना आक्रोश भी व्यक्त किया तो केंद्र पर तैनात कर्मचारियों ने किसानों को बताया कि नकल तहसील कार्यालय से बनकर आती है यहां पर नकल प्रमाणित की जाती है। तहसील कार्यालय से ही नकल नही आई है तो हम आपको नकल केसे उपलब्ध करवा सकते है यह जवाब सुनकर कई किसान मायूस हो गए। यदि किसानों को समय पर खसरा, बी 1 की नकल नही मिली तो वे प्याज बेचने के लिए पंजीयन नही करवा पाएंगे। ऐसे में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।


Conclusion:बता दे कि खून पसीना बहाकर अपने खेतों में फसल की पैदावार करते। फसल की पैदावार को प्रमाणित करने के लिए पटवारी के चक्कर लगाने पड़ते है। यहाँ से ही किसान का कतार में लगने का सिलसिला आरम्भ हो जाता है। उपज का पंजीयन कराने के लिए कतार में लगना पड़ता है। खसरा, बी 1 की नकल के लिए कतार में किसान खड़ा दिखाई देता है। कृषि उपज मंडी में उपज बेचने के लिए भी कतार लगती है। बैंक में पैसा लेने जाता है तो वहाँ भी उसे कतार में ही लगना पड़ता है। इन दिनों इस कतार से किसान खासा परेशान हो चुका है।
किसान गब्बासिंह, प्रेमसिंह आदि ने बताया कि उनको प्याज का पंजीयन कराना है इसमें खसरा व बी 1 की नकल मांगी गई है 3 दिन से चक्कर लगा रहे है लेकिन नकल नही मिल पा रही है। सुबह आते है तो कहा जाता है कि शाम को नकल मिलेगी प्रतिदिन यही सिलसिला चल रहा है। गर्मी में बार-बार यहां आकर हम परेशान हो चुके है।
वही जब इस संबंध में लोकसेवा प्रबंधक से बात करना चाही तो उन्होंने कुछ वही जवाब देने से पल्ला झाड़ लिया।

बाइट- परेशान किसान
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