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नेपोटिज्म पर बेकार में इतनी चर्चा हो रही है : अनुभव सिन्हा

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Published : Sep 15, 2020, 1:56 PM IST

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से इंडस्ट्री में चल रहे नेपोटिज्म के मुद्दे पर फिल्मकार अनुभव सिन्हा का कहना है कि इस मुद्दे पर बेकार में इतनी चर्चा हो रही है. यह सिर्फ बॉलीवुड इंडस्ट्री में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मौजूद है.

Nepotism is an overrated debate says Anubhav Sinha
नेपोटिज्म पर बेकार में इतनी चर्चा हो रही है : अनुभव सिन्हा

मुंबई : फिल्मकार अनुभव सिन्हा का मानना है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद के मुद्दे को जरूरत से कहीं ज्यादा तूल दिया जा रहा है.

अनुभव सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, "नेपोटिज्म पर चर्चा जरूरत से ज्यादा है. यह हर कहीं मौजूद है और मैं ऐसा पहले दिन से कहता आ रहा हूं. कुछ ज्यादा ही इस पर बातें हो रही हैं."

उन्होंने फेवरेटिज्म के मुद्दे पर भी बात की और यह भी कहा कि हाल ही में उत्पन्न हुए शब्द 'मूवी माफिया' से बहुत ज्यादा अवगत नहीं रहे हैं.

फिल्म 'थप्पड़' के निर्देशक आगे कहते हैं, "माफियाओं की बात करूं, तो इंडस्ट्री के परिप्रेक्ष्य में मैंने इस शब्द को ज्यादा नहीं सुना है. हां, फेवरेटिज्म और बुली करना इस इंडस्ट्री में मौजूद है और ऐसा हर कहीं होता है, लेकिन हमें अपने साथी कलाकारों के बारे में अधिक ध्यान बरतने की आवश्यकता है. हमें एक-दूसरे का ख्याल रखना है और दोस्ताना पूर्ण ढंग से काम करना है."

पढ़ें : बॉलीवुड में ड्रग : सारा, रकुल और सिमोन को समन भेज सकती है एनसीबी

वहीं बात अनुभव सिन्हा के वर्कफ्रंट की करें तो, उनको 'तुम बिन', 'मुल्क', 'आर्टिकल 15' और 'थप्पड़' जैसी फ़िल्मों के लिए जाना जाता है. वह इस ज़माने के बेहतरीन फ़िल्ममेकर्स में से एक हैं. उनकी फ़िल्मों की कहानी अहम मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती है.

मुंबई : फिल्मकार अनुभव सिन्हा का मानना है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद के मुद्दे को जरूरत से कहीं ज्यादा तूल दिया जा रहा है.

अनुभव सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, "नेपोटिज्म पर चर्चा जरूरत से ज्यादा है. यह हर कहीं मौजूद है और मैं ऐसा पहले दिन से कहता आ रहा हूं. कुछ ज्यादा ही इस पर बातें हो रही हैं."

उन्होंने फेवरेटिज्म के मुद्दे पर भी बात की और यह भी कहा कि हाल ही में उत्पन्न हुए शब्द 'मूवी माफिया' से बहुत ज्यादा अवगत नहीं रहे हैं.

फिल्म 'थप्पड़' के निर्देशक आगे कहते हैं, "माफियाओं की बात करूं, तो इंडस्ट्री के परिप्रेक्ष्य में मैंने इस शब्द को ज्यादा नहीं सुना है. हां, फेवरेटिज्म और बुली करना इस इंडस्ट्री में मौजूद है और ऐसा हर कहीं होता है, लेकिन हमें अपने साथी कलाकारों के बारे में अधिक ध्यान बरतने की आवश्यकता है. हमें एक-दूसरे का ख्याल रखना है और दोस्ताना पूर्ण ढंग से काम करना है."

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वहीं बात अनुभव सिन्हा के वर्कफ्रंट की करें तो, उनको 'तुम बिन', 'मुल्क', 'आर्टिकल 15' और 'थप्पड़' जैसी फ़िल्मों के लिए जाना जाता है. वह इस ज़माने के बेहतरीन फ़िल्ममेकर्स में से एक हैं. उनकी फ़िल्मों की कहानी अहम मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती है.

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