उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में प्रति वर्ष रंगपंचमी का माहौल ब्रज जैसा ही रहता है, लेकिन दो साल से कोरोना ने सभी त्यौहार को फीका कर रखा था. अब जबकि कोरोना काल की तमाम पाबंदियां खत्म हो गई हैं ऐसे में भस्म आरती में भक्त शामिल हुए और परंपरा अनुसार रंग पंचमी पर्व को बाबा महाकाल के आंगन में मनाया जा रहा है.
बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से बना केसरिया रंग अर्पित किया गया
इस दौरान पंडे- पुजारियों ने बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से बना केसरिया रंग अर्पित किया और आरती के दौरान रंग को श्रद्धालुओं पर बिखेरा गया जो की एक अद्भुत दृश्य था. श्रद्धालु भी काफी उत्साहित नजर आए और खूब आनंद के साथ बाबा महाकाल के साथ रंग पंचमी का पर्व को मनाया.
शाम को निकलेगी गेर
देर शाम 6:00 बजे बाबा महाकाल के प्रांगण से शहर भर में परंपरा अनुसार गेर निकाली जाएगी जिसमें 11 ध्वज, दो बैंड झांकियों के साथ श्रद्धालु जनप्रतिनिधि जिला प्रशासन के लोग शामिल होंगे.
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बाबा के साथ जुड़ी पुरानी परंपराएं
प्रत्येक वर्ष रंगपंचमी के अवसर पर बाबा महाकाल के साथ होली खेलने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो सदियों पुरानी परंपरा है. उज्जैन में विराजमान बाबा महाकाल को हर त्योहार में सबसे पूजा जाता है. चाहे दीवाली, होली या रंग पंचमी महाकाल मंदिर में सबसे पहले पर्व की शुरुआत की जाती है. जैसे मंगलवार सुबह रंग पंचमी मनाई गई. बाबा महाकाल का परंपरा अनुसार अलसुबह 3 बजे पट खुलने के बाद 4 बजे से पंचाअभिषेक किया गया जिसके बाद बाबा को भस्म लगाई है और आरती के दौरान खूब आनंद और उत्साह दिखा.
रंगों से हुआ बाबा की श्रृंगार
उज्जैन महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर के अंदर प्रतिवर्ष कई उत्सव मनाए जाते हैं, हर एक पर्व को सबसे पहले मंदिर में मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है अल सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा का रंगों से श्रृंगार किया गया व बाबा ने भक्तों संग होली मनाई, पुजारी पुरोहितों ने बाबा से भक्तों के लिए देश की सुख समृद्धि के किये प्रार्थना की व पर्व को धूम धाम से मंदिर में बाबा संग मनाया.
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(Rang panchami 2022) (Ujjain Mahakaleshwar temple)