सतना। कुपोषण यानी एक ऐसा कंलक, जो मध्यप्रदेश पर इस तरह लगा है कि, तमाम सरकारी प्रयास विफल साबित हो रहे हैं. राज्य का कोई भी अंचल कुपोषण के कहर से बच नहीं पाया. बात अगर विंध्य की करें, तो यहां कुपोषण के गाल में अनगितन नौनिहाल समा चुके हैं. सतना जिले में कुपोषण को दूर करने वाली सरकारी योजनाएं धूल फांकती नजर आती हैं. यहां के बाशिंदे बताते हैं कि, उन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता, लिहाजा बच्चों को बीमारियां घेर लेती हैं. सड़क नहीं होने से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचती. ग्रामीणों का दर्द न तो सरकारी नुमाइंदों को दिखता है और न ही हुक्मरानों को.
सरकार बदली, लेकिन हालात नहीं: रविवार के दिन एक 7 वर्ष की कुपोषित बच्ची का मामला सामने आया. जिसके बाद प्रशासनिक अमला जागा और बच्ची के उपचार में जुट गया, और बच्ची को वर्तमान में सतना जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. यहां उसका उपचार जारी है. वहीं कुपोषण को लेकर सरकार की बड़ी बड़ी योजनाओं के दावे खोखले नजर आ रहे हैं. सूबे में चाहे बीजेपी की सत्ता रही हो या फिर कांग्रेस की, कुपोषण को दूर करने के लिए अब भी ठोस कदमों की कमी ही नजर आती है. इक्का दुक्का योजनाओं के परिणाम सार्थक आए हैं. यही वजह है कि, कुपोषण घटने की बजाए उल्टा बढ़ता गया. शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते हालात बदतर हो चुके हैं. (Malnutrition in Satna)
रविवार को आया नया केस: जिला मुख्यालय से महज 80 किलोमीटर दूर चित्रकूट नगर पंचायत के वॉर्ड क्रमांक 13 के सुरांगी मोहल्ला में महज 7 साल की आदिवासी सोमवती मवासी अतिगंभीर कुपोषित पाई गई है. इसका वजन केवल साढ़े 7 किलोग्राम है, और टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित है. पहली जांच में बच्ची का सुगर लेवल 700 रहा. महिला और बाल विकास विभाग ने बच्ची को फिलहाल जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराया है. अतिगंभीर कुपोषित बच्ची पाए जाने के बाद जिले में हडकंप मच गया. भोपाल से महिला एवं बाल विकास विभाग की एडिशनल डॉयरेक्टर राजपाल कौर दीक्षित सुरांगी हालात का जायजा लेने पहुंची. (girl victim of malnourished in Satna)
![girl victim of malnourished in Satna](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sat-02-kuposan-pkg-10025_05092022131642_0509f_1662364002_841.jpg)
अधिकारियों के अलाप: सोमवती जब मां के गर्भ में थी, तब उसके पिता ने मां को छोड़कर किसी और से शादी कर ली थी. जन्म के बाद जब सोमवती 3 साल की हुई तो मां ने भी बेटी को छोड़ किसी और के संग शादी कर ली. उसके बाद बच्ची को उसके नाना और उसकी एक मौसी पाल रही है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सोमवती की ढंग से देखरेख नहीं हुई, जिसकी वजह से वह कुपोषित रह गई. मझगवां के पोषण पुनर्वास केन्द्र में दो बार भर्ती होने के बाद भी सोमवती का कुपोषण दूर नहीं हो पाया. वहीं इस बारे में बच्ची की मौसी सीमा मवासी ने बताया कि हम लोग बहुत परेशान थे यहां आने के लिए पैसा नहीं रहता था. कोई अधिकारी नहीं आए कभी.
मुलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: जिले के चित्रकूट विधानसभा का मझगवां क्षेत्र, नागौद विधानसभा का उचेहरा परसमानिया क्षेत्र और मैहर विधानसभा का भदनपुर क्षेत्र, सड़क, पानी, एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं पहुंच पाती हैं. यही वजह है कि, सतना जिले के ये क्षेत्र अति कुपोषित माने जाते हैं, जिन्हें रेड जोन में रखा गया है.
बच्ची की जांच लगातार जारी: इस बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ सौरभ सिंह ने बताया कि, जैसे ही बच्ची के फोटोग्राफ्स और वीडियो संज्ञान में आए हैं. हमने और हमारी टीम ने तुरंत संज्ञान में लेते हुए बच्ची को भर्ती कराया है. बच्ची की सबसे पहले एनआरसी में चेकअप कराई गई. बच्ची पूर्व में भी एनआरसी में दो बार 2019 में 2020 में भर्ती हो चुकी है. बच्ची कमजोर है तो डॉक्टर की सलाह पर हमने बच्ची को अपने साथ ही रखा है. (Malnutrition does not disappear in Satna)