दमोह/ जबलपुर। पेगासस फोन टैपिंग कांड में दमोह सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का नाम सामने आने के बाद प्रदेश की राजनीति में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. समर्थक जहां इसे पटेल को मिलने वाली किसी बड़ी जिम्मेदारी की वजह बता रहे हैं वहीं उनके विरोधी इसे उनका कद कम करने की राजनीति बताते हैं. फोन टैपिंग मामले में जो डाटाबेस सामने आया है उसके मुताबिक प्रह्लाद पटेल के अलावा उनकी पत्नी, बेटे ,कुक, माली, सांसद प्रतिनिधि सहित 15 से ज्यादा करीबियों के फोन टेप किए गए थे. ईटीवी भारत ने उनके दमोह आवास पर उनके स्टाफ से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन यहां कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं था.
बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना!
प्रहलाद पटेल को करीब से जानने वाले लोगों का कहना है पटेल ने अब तक जो राजनीति की है उसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिस पर किसी को नजर रखने की जरूरत हो. वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे का कहना है प्रहलाद पटेल ने दिग्विजय सिंह का विरोध किया हो या फिर शंकराचार्य के विरोध में मुहिम चलाई सारे काम उन्होंने एक बेबाक नेता की तरह किए इसमें छुपाने जैसा कुछ नहीं है. भारतीय जनता पार्टी से दूर होकर जब वे उमा भारती से साथ हो गए थे, तब सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ भी उन्होंने जो खुलासे किए वे भी सब के सामने साफ हैं. इसलिए प्रहलाद पटेल पर निगरानी रखना और वह भी इस स्तर तक की उनके बेहद करीबी लोगों के मोबाइल टेप किए जा रहे हो यह समझ के परे है. रविंद्र दुबे के मुताबिक निगरानी रखने की जो संभावित वजह हो सकती है उसमें इस बात की संभावना ज्यादा नजर आ रही है कि हो सकता है कि मोदी के चौंकाने वाले स्टाइल के तहत ही प्रहलाद पटेल को कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने की तैयारी की जा रही हो इसलिए उन पर निगाह रखी जा रही हो. जिस तरह उनके करीबियों के फोन टेप किए जा रहे थे उससे इस बात पूरी संभावना दिखाई देती है कि प्रहलाद पटेल को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली थी.