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कोरोना काल में मृत पुलिस कर्मियों के परिजनों को नहीं मिला मुआवजा, हाईकोर्ट बोला - चार सप्ताह में जवाब दे सरकार - पुलिस कर्मियों के परिजनों को मुआवजा

मध्यप्रदेश में कोरोना काल के दौरान मौत का शिकार हुए पुलिस कर्मियों के परिजनों को आर्थिक मदद नहीं दिए जाने को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए मप्र शासन को चार सप्ताह का समय दिया है. कोरोना काल के दौरान प्रदेश में 152 पुलिस वालों की मौत हुई थी.

हाईकोर्ट जबलपुर
MP High court Jabalpur
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Published : Mar 4, 2022, 2:14 PM IST

जबलपुर। कोरोना संक्रमण के कारण मध्यप्रदेश में मृत पुलिस कर्मियों को मुआवजा राशि नहीं मिलने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस व जस्टिस डीके पालीवाल की युगलपीठ में हुई सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से जवाब पेश करने के लिए समय देने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.

कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश में डेढ़ सौ से अधिक पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी. इनके आश्रितों को 50 लाख की सहायता राशि नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. एडवोकेट एहथेसाम हाशमी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही घातक थी. मृत पुलिस कर्मियों के परिजनों को प्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा योजना का लाभ नहीं मिला.

मुख्यमंत्री ने की थी 50 लाख देने की घोषणा

प्रदेश में कोरना काल के दौरान कुल 152 पुलिस कर्मियों की मौत हुई थी. पहली लहर में 40 पुलिस कर्मियों की मौत हुई. जबकि दूसरी लहर में 112 पुलिस कर्मियों की मौत हुई. कोरोना काल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए इन पुलिस कर्मियों की मौत हुई है। शासन ने पुलिस कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखा था. राज्य सरकार द्वारा फ्रंटलाइन वर्कर्स की मृत्यु पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना योद्धा सम्मान योजना के तहत उनके आश्रितों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने की घोषणा की थी. लेकिन सरकार ने अभी तक इस घोषणा पर अमल नहीं किया.

याचिका में मृत पुलिस कर्मियों का विवरण

हाईकोर्ट में दायर याचिका में कई पुलिस कर्मियों की मृत्यु का विवरण दिया गया है. साथ ही उनके परिवार को योजना के तहत 50 लाख रुपये नहीं दिये जाने का उल्लेख किया गया है. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने ऐलान तो किया लेकिन किसी भी मृत पुलिस कर्मी के परिजन को उक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया. याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार के आग्रह पर जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान किया. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गुनछा रसूल ने पक्ष रखा.

जबलपुर। कोरोना संक्रमण के कारण मध्यप्रदेश में मृत पुलिस कर्मियों को मुआवजा राशि नहीं मिलने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस व जस्टिस डीके पालीवाल की युगलपीठ में हुई सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से जवाब पेश करने के लिए समय देने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.

कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश में डेढ़ सौ से अधिक पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी. इनके आश्रितों को 50 लाख की सहायता राशि नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. एडवोकेट एहथेसाम हाशमी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही घातक थी. मृत पुलिस कर्मियों के परिजनों को प्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा योजना का लाभ नहीं मिला.

मुख्यमंत्री ने की थी 50 लाख देने की घोषणा

प्रदेश में कोरना काल के दौरान कुल 152 पुलिस कर्मियों की मौत हुई थी. पहली लहर में 40 पुलिस कर्मियों की मौत हुई. जबकि दूसरी लहर में 112 पुलिस कर्मियों की मौत हुई. कोरोना काल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए इन पुलिस कर्मियों की मौत हुई है। शासन ने पुलिस कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखा था. राज्य सरकार द्वारा फ्रंटलाइन वर्कर्स की मृत्यु पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना योद्धा सम्मान योजना के तहत उनके आश्रितों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने की घोषणा की थी. लेकिन सरकार ने अभी तक इस घोषणा पर अमल नहीं किया.

याचिका में मृत पुलिस कर्मियों का विवरण

हाईकोर्ट में दायर याचिका में कई पुलिस कर्मियों की मृत्यु का विवरण दिया गया है. साथ ही उनके परिवार को योजना के तहत 50 लाख रुपये नहीं दिये जाने का उल्लेख किया गया है. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने ऐलान तो किया लेकिन किसी भी मृत पुलिस कर्मी के परिजन को उक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया. याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार के आग्रह पर जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान किया. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गुनछा रसूल ने पक्ष रखा.

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