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PDS घोटालाः MP के माफिया महाराष्ट्र के रास्ते हैदराबाद पहुंचाते थे अनाज

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Published : Jan 21, 2021, 10:37 PM IST

Updated : Jan 21, 2021, 11:26 PM IST

गरीबों का राशन डकारने वाले राशन माफिया पर शिकंजा कसता जा रहा है. इस घोटाले के तार हैदराबाद तक जुड़ते नजर आ रहे हैं. जांच में सामने आया है कि मध्य प्रदेश के गरीबों का अनाज महाराष्ट्र के रास्ते हैदराबाद पहुंचता था.

PDS scam
PDS घोटाला

इंदौर। अंतरराज्यीय राशन घोटाले का अनाज हैदराबाद तक पहुंचाया जा रहा था. जांच में पता चला कि सरगना भरत दवे, श्याम दवे व प्रमोद दहीगुड़े ने उपभोक्ता संघ के जरिए आरोपियों की नेटवर्किंग करता था. इसी का सहारा लेकर हैदराबाद तक सस्ती दरों में अमाज पहुंचाता था. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े खाद्यान्न घोटाले में यह भी पता चला है कि जो अनाज इंदौर से जबलपुर होते हुए नागपुर और वहां से हैदराबाद में भेजा जाता था.

इंदौर कलेक्टर

आरोपियों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई

इंदौर में इस मामले में जारी जांच के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने राशन घोटाले के मुख्य आरोपी श्याम दवे पिता बालकृष्ण दवे और भरत दवे पिता विजय दवे के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई के आदेश दिए हैं. दोनों ही आरोपी संगठित रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों और जरूरतमंदों को मिलने वाले राशन और केरोसिन को नकली बिलों के जरिए मध्य प्रदेश के अलावा अन्य पड़ोसी राज्यों में बेचने के काम में जुटे थे.

पढ़ें- इंदौर टू हैदराबाद: ऐसे बढ़ी राशन घोटाले की अमरबेल

फिलहाल जांच में इन राशन माफिया पर 255480 किलो खाद्यान्न का गबन करना पाया गया है, जिसकी कीमत 7904489 रुपये बताई जा रही है. यह राशन जिन हितग्राहियों को बंटना था, उनकी संख्या करीब 51000 है.

ऐसे हुआ खुलासा

इंदौर जिला प्रशासन के निर्देश पर खाद्य विभाग के जांच दल द्वारा शहर की 12 राशन की दुकानों की निगरानी की जा रही थी. निगरानी के दौरान पाया गया कि पीओएस मशीन की उपलब्धता के बावजूद दुकानों पर 185625 किलो गेहूं, 69855 किलो चावल, 3179 किलो नमक, 423 किलो शक्कर, 2201 किलो चना दाल, 1025 किलो साबुत चना, 472 किलो तुअर दाल, 4050 लीटर केरोसिन की कालाबाजारी की गई है. फिलहाल मामले में तीनों आरोपी फरार बताए गए हैं. जिनकी इंदौर पुलिस द्वारा सरगर्मी से तलाश कर रही है.

अन्य राज्यों के लिए बनते थे फर्जी बिल

इंदौर की 500 दुकानों पर जो अनाज आता था, उस अनाज को गरीब पात्र हितग्राहियों को देने के बजाय उसकी कालाबाजारी कर दी जाती थी. इसके लिए भरत दवे और श्याम दवे ने विभिन्न जिलों और राज्यों में अपना जो नेटवर्क फैला रखा था. उस नेटवर्क के जरिए यह आरोपी मंडियों के अलावा चावल फैक्ट्री और दाल मिलों आदि से फर्जी बिल तैयार करवाते थे. इन बिलों के जरिए अनाज खरीदना दिखाकर इसी अनाज को जबलपुर-नागपुर के रास्ते ट्रकों से हैदराबाद भेज दिया जाता था.

भरत दवे ने बनाई करप्शन की चेन!

इस संगठित अपराध की कहानी का सबसे बड़ा विलेन भरत दवे को बताया जा रहा है. ये प्रदेश की सभी राशन दुकानों के संचालकों के संगठन का अध्यक्ष है. इसलिए राशन की हर दुकान में इसका दखल था. अपने रसूख से इसने कई दुकानदारों को अपने साथ मिला लिया. इस तरह तैयार हो गई एक सामानान्तर सप्लाई चेन. जो तैयार थी गरीब का हक मारने के लिए.

कैसे पनपी भ्रष्टाचार की बेल ?

सरकार राशन की दुकान तक गरीबों के लिए अनाज भेजती. लेकिन उपभोक्ता को तय मात्रा से कम अनाज दिया जाता. बाकी अनाज को किसी दूसरे गोदाम में शिफ्ट कर दिया जाता. उपभोक्ता के नाम पर फर्जी एट्री लिख दी जाती. इस तरह जब गोदाम में बड़ी मात्रा में अनाज इकट्ठा हो जाता तो उसका फर्जी बिल तैयार किया जाता. यहां पर भी किसी भ्रष्ट अफसर का ईमान बिकने को तैयार होता था. अब चुनौती थी कृषि उपज मंडी से अनाज को बाहर ले जाने की. वहां फर्जी बिलों के आधार पर मंडी शुल्क चुकाया जाता. साथ ही दूसरी जगहों के व्यापारियों को माल बेचने की फर्जी रसीद भी दिखाई जाती. अब बारी थी माल को खपाने की. इसके लिए देश में दूसरी जगहों पर ऐसे व्यापारियों की तलाश की जाती, जो चोरी का माल खरीद लें. गरीबों के निवाले को ये दो नंबरी लोग हैदराबाद के व्यापारियों को बेच देते. जाहिर है भ्रष्टाचार की इस अमरबेल को सींचने में पूरा नेटवर्क लगा हुआ था. इनमें कृषि उपज मंडी के अधिकारी और कर्मचारी तो हैं ही. साथ ही सरकारी विभागों के अफसरों की मिलीभगत होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता.

फूड कंट्रोलर ने भी खाए पैसे !

अंत्योदय योजना में हर परिवार को 35 किलो राशन मिलता है. लेकिन गरीब परिवारों को सिर्फ 10 किलो राशन ही बांट जाता था . लोगों से कहा जाता कि अभी इतना ही राशन बांटने की इजाजत है. लोग शिकायत करते तो जांच होती, लेकिन दुकानों को क्लीन चिट दे दी जाती. दुकानों को क्लीन चिट देने वाले थे इस अपराध कथा के एक और विलेन फूड कंट्रोलर आरसी मीणा. घोटाले की रकम का एक हिस्सा इन तक भी पहुंचे की बात कही जा रही है. दिखाने के लिए मीणा कुछ दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड कर देते, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें फिर से बहाल कर दिया जाता.

घोटाले पर सियासी बयानबाजी तेज

राशन घोटाले पर सियासत भी जोरों से हो रही है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने इस घोटाले का ठीकरा बीजेपी सरकार पर फोड़ा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार को जिस चीज में भी मौका मिल जाए उसमें घोटाला करते हैं.

'माफिया की जगह सिर्फ जेल में'

सरकार का दावा है कि वे घोटालेबाजों किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि इन आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सभी घोटालेबाजों का स्थान जेल में फिक्स है.

इंदौर। अंतरराज्यीय राशन घोटाले का अनाज हैदराबाद तक पहुंचाया जा रहा था. जांच में पता चला कि सरगना भरत दवे, श्याम दवे व प्रमोद दहीगुड़े ने उपभोक्ता संघ के जरिए आरोपियों की नेटवर्किंग करता था. इसी का सहारा लेकर हैदराबाद तक सस्ती दरों में अमाज पहुंचाता था. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े खाद्यान्न घोटाले में यह भी पता चला है कि जो अनाज इंदौर से जबलपुर होते हुए नागपुर और वहां से हैदराबाद में भेजा जाता था.

इंदौर कलेक्टर

आरोपियों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई

इंदौर में इस मामले में जारी जांच के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने राशन घोटाले के मुख्य आरोपी श्याम दवे पिता बालकृष्ण दवे और भरत दवे पिता विजय दवे के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई के आदेश दिए हैं. दोनों ही आरोपी संगठित रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों और जरूरतमंदों को मिलने वाले राशन और केरोसिन को नकली बिलों के जरिए मध्य प्रदेश के अलावा अन्य पड़ोसी राज्यों में बेचने के काम में जुटे थे.

पढ़ें- इंदौर टू हैदराबाद: ऐसे बढ़ी राशन घोटाले की अमरबेल

फिलहाल जांच में इन राशन माफिया पर 255480 किलो खाद्यान्न का गबन करना पाया गया है, जिसकी कीमत 7904489 रुपये बताई जा रही है. यह राशन जिन हितग्राहियों को बंटना था, उनकी संख्या करीब 51000 है.

ऐसे हुआ खुलासा

इंदौर जिला प्रशासन के निर्देश पर खाद्य विभाग के जांच दल द्वारा शहर की 12 राशन की दुकानों की निगरानी की जा रही थी. निगरानी के दौरान पाया गया कि पीओएस मशीन की उपलब्धता के बावजूद दुकानों पर 185625 किलो गेहूं, 69855 किलो चावल, 3179 किलो नमक, 423 किलो शक्कर, 2201 किलो चना दाल, 1025 किलो साबुत चना, 472 किलो तुअर दाल, 4050 लीटर केरोसिन की कालाबाजारी की गई है. फिलहाल मामले में तीनों आरोपी फरार बताए गए हैं. जिनकी इंदौर पुलिस द्वारा सरगर्मी से तलाश कर रही है.

अन्य राज्यों के लिए बनते थे फर्जी बिल

इंदौर की 500 दुकानों पर जो अनाज आता था, उस अनाज को गरीब पात्र हितग्राहियों को देने के बजाय उसकी कालाबाजारी कर दी जाती थी. इसके लिए भरत दवे और श्याम दवे ने विभिन्न जिलों और राज्यों में अपना जो नेटवर्क फैला रखा था. उस नेटवर्क के जरिए यह आरोपी मंडियों के अलावा चावल फैक्ट्री और दाल मिलों आदि से फर्जी बिल तैयार करवाते थे. इन बिलों के जरिए अनाज खरीदना दिखाकर इसी अनाज को जबलपुर-नागपुर के रास्ते ट्रकों से हैदराबाद भेज दिया जाता था.

भरत दवे ने बनाई करप्शन की चेन!

इस संगठित अपराध की कहानी का सबसे बड़ा विलेन भरत दवे को बताया जा रहा है. ये प्रदेश की सभी राशन दुकानों के संचालकों के संगठन का अध्यक्ष है. इसलिए राशन की हर दुकान में इसका दखल था. अपने रसूख से इसने कई दुकानदारों को अपने साथ मिला लिया. इस तरह तैयार हो गई एक सामानान्तर सप्लाई चेन. जो तैयार थी गरीब का हक मारने के लिए.

कैसे पनपी भ्रष्टाचार की बेल ?

सरकार राशन की दुकान तक गरीबों के लिए अनाज भेजती. लेकिन उपभोक्ता को तय मात्रा से कम अनाज दिया जाता. बाकी अनाज को किसी दूसरे गोदाम में शिफ्ट कर दिया जाता. उपभोक्ता के नाम पर फर्जी एट्री लिख दी जाती. इस तरह जब गोदाम में बड़ी मात्रा में अनाज इकट्ठा हो जाता तो उसका फर्जी बिल तैयार किया जाता. यहां पर भी किसी भ्रष्ट अफसर का ईमान बिकने को तैयार होता था. अब चुनौती थी कृषि उपज मंडी से अनाज को बाहर ले जाने की. वहां फर्जी बिलों के आधार पर मंडी शुल्क चुकाया जाता. साथ ही दूसरी जगहों के व्यापारियों को माल बेचने की फर्जी रसीद भी दिखाई जाती. अब बारी थी माल को खपाने की. इसके लिए देश में दूसरी जगहों पर ऐसे व्यापारियों की तलाश की जाती, जो चोरी का माल खरीद लें. गरीबों के निवाले को ये दो नंबरी लोग हैदराबाद के व्यापारियों को बेच देते. जाहिर है भ्रष्टाचार की इस अमरबेल को सींचने में पूरा नेटवर्क लगा हुआ था. इनमें कृषि उपज मंडी के अधिकारी और कर्मचारी तो हैं ही. साथ ही सरकारी विभागों के अफसरों की मिलीभगत होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता.

फूड कंट्रोलर ने भी खाए पैसे !

अंत्योदय योजना में हर परिवार को 35 किलो राशन मिलता है. लेकिन गरीब परिवारों को सिर्फ 10 किलो राशन ही बांट जाता था . लोगों से कहा जाता कि अभी इतना ही राशन बांटने की इजाजत है. लोग शिकायत करते तो जांच होती, लेकिन दुकानों को क्लीन चिट दे दी जाती. दुकानों को क्लीन चिट देने वाले थे इस अपराध कथा के एक और विलेन फूड कंट्रोलर आरसी मीणा. घोटाले की रकम का एक हिस्सा इन तक भी पहुंचे की बात कही जा रही है. दिखाने के लिए मीणा कुछ दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड कर देते, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें फिर से बहाल कर दिया जाता.

घोटाले पर सियासी बयानबाजी तेज

राशन घोटाले पर सियासत भी जोरों से हो रही है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने इस घोटाले का ठीकरा बीजेपी सरकार पर फोड़ा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार को जिस चीज में भी मौका मिल जाए उसमें घोटाला करते हैं.

'माफिया की जगह सिर्फ जेल में'

सरकार का दावा है कि वे घोटालेबाजों किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि इन आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सभी घोटालेबाजों का स्थान जेल में फिक्स है.

Last Updated : Jan 21, 2021, 11:26 PM IST
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