इंदौर। पानी जीवन के लिए सबसे अहम जरूरतों में से एक है. वैसे तो धरती का तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा है, लेकिन इसके लगातार हो रहे इस्तेमाल के चलते कई क्षेत्रों में लोग प्यासे रह जाते हैं. देश में जल संरक्षण को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारें बारिश के पानी का संरक्षण करके रखने के लिए तरह-तरह की योजना बनाकर धरातल में उतारती रहती हैं, लेकिन कई बार महानगरों में पानी सप्लाई की लापरवाही और लीकेज के कारण काफी पानी बर्बाद हो जाता है, जिस कारण शहर के कई लोगों को प्यासा रहना पड़ता है.
50 साल पुरानी वितरण व्यवस्था
बात इंदौर की करें तो शहर में पानी की लाइनें 50 साल से भी अधिक पुरानी है जिससे कि शहर के अलग-अलग इलाकों में पानी की सप्लाई की जाती है. लेकिन पिछले कई सालों से शहर के अलग-अलग इलाकों में पानी की पाइप लाइन फूटने की शिकायतें सामने आ रही हैं, जिसमें कि लाखों गैलन पानी बह जाता है.
नर्मदा का पानी बुझाता है प्यास
इंदौर में 31 जनवरी 1978 को नर्मदा का पानी लाया गया, हालांकि इसके पहले भी शहर में पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए यह स्टिक जल प्रदाय की सुविधा शहर के तालाबों के माध्यम से की जा रही थी. लेकिन बढ़ती जनसंख्या के कारण नर्मदा से पानी लाकर शहर में सप्लाई किया जाने लगा और आज भी पानी सप्लाई के लिए नर्मदा पाइप लाइन ही सबसे बड़ा माध्यम है.
तेजी से हो रहा पाइप लाइन बिछाने का काम
फिलहाल इंदौर में अब इस पुरानी पाइप लाइन को बदलने का कार्य किया जा रहा है. लगभग 1,300 किलोमीटर की कुल लाइन डालकर शहर की जल व्यवस्था को मजबूत बनाने में नगर निगम लगा हुआ है. इसमें से 700 किलोमीटर की नई लाइन डल चुकी है, वहीं 600 किलोमीटर पुरानी लाइन को अमृत योजना के तहत बदला जा रहा है. ताकि शहर में सप्लाई किए जा रहे पानी को बर्बादी को रोका जा सके.
बनाई जा रही पानी की टंकियां
इंदौर शहर में 2 साल पहले पानी की 27 नई टंकियों को बनाने का काम शुरू किया गया था, जो कि अब लगभग पूरा हो चुका है. इन पानी की टंकियों से जुड़ी 710 किलोमीटर की लाइन भी ऐसे इलाकों में डाली जा चुकी है जहां पर नर्मदा का पानी नहीं पहुंच पाता था. इन टंकियों को मिलाकर मिलाकर अब इंदौर में जल्द 35 टंकिया पूरी तरह से तैयार हो जाएंगी. इससे पहले इन इलाकों में पानी के टैंकरों और बोरिंग के माध्यम से जल वितरण किया जाता था, जिसमें की पानी की बर्बादी अधिक होती थी.
डायनामिक वाटर मैनेजमेंट व्यवस्था
शहर में पानी की बर्बादी और चोरी को रोकने के लिए निगम पाइप लाइन रिप्लेस करने के साथ ही शहर में डायनामिक वाटर मैनेजमेंट व्यवस्था को बनाने में लगा हुआ है. नगर निगम के अब हर टंकियों पर कंट्रोल वाल्व लगा रहा है, जिनकी निगरानी जीपीआरएस और चिप कंट्रोलिंग की जा रही है.
जल्द कम होगी पानी की बर्बादी और किल्लत
वाटर मैनेजमेंट सिस्टम को मजबूत कर इंदौर मौजूद जल व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगा हुआ है, ताकि पानी की बर्बादी को रोका जा सके. शहर में अभी तक 120 एमएलडी पानी सहेजा जा रहा है, वहीं कई प्रोजेक्ट अमृत योजना तो कई निगम के फंड से चल रहे हैं, जिनेक पूरा हो जाने के बाद आशा है शहर में पानी की किल्लत और बर्बादी दोनो पूरी तरह से थम जाएगी.