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अनाथ आश्रम में बच्चों से बालश्रम करवाने का मामला आया सामने, प्रशासन नहीं कर रहा कोई कार्रवाई - ग्वालियर

ग्वालियर में कुछ स्थानीय लोगों ने एक नाबालिग लड़की को भीषण गर्मी में फूल बेचते देखा, जिसके बाद गोला मंदिर के पास स्थित अनाथ आश्रम में बच्चों से बालश्रम करवाने का मामला सामने आया है.

अनाथ आश्रम में बच्चों से बालश्रम करवाने का मामला
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Published : May 22, 2019, 10:33 PM IST

ग्वालियर। गोला मंदिर के पास स्थित अनाथ आश्रम में बच्चों से बालश्रम करवाने का मामला सामने आया है. मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब कुछ स्थानीय लोगों ने एक नाबालिग लड़की को भीषण गर्मी में फूल बेचते देखा. शक होने पर जब पूछताछ की तो अनाथ आश्रम के संचालकों बच्चों से बालश्रम करवाने का खुलासा हुआ.

कुछ जागरूक नागरिकों ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी. लेकिन प्रशासन ने अभी तक आश्रय गृह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. पीड़िता को अपना पेट भरने के लिए आश्रय गृह के लोगों के ज़्यादतियों का शिकार होना पड़ता है. वह हर रोज सुबह 10 बजे आश्रय गृह से निकलती है और 1 बजे तक प्लास्टिक के फूलों का गुच्छा बेचकर अपना पेट भरती है. साथ ही ये उन लोगों का भी पेट भरती है जहां उसे आसरा दिया गया है. इसके बावजूद भी युवती को दस-दस दिन तक खाना तक नहीं दिया जाता है और मारपीट किया जाता है. शरीर के अंगों को तेजाब या केमिकल से जलाया जाता है. युवती का कहना है कि करीब 250 और लड़कियां अपना गुजर-बसर करने उसी आश्रय गृह में रह रही हैं.

अनाथ आश्रम में बच्चों से बालश्रम करवाने का मामला

इस मामले की खबर मीडिया को देने वाले बसंत तोमर और उसी इलाके में एक्सिस बैंक के कर्मचारी रवि पांडे बताते हैं कि एक बच्ची आई थी उसके हाथ में फ्लावर थे. वह जब आई थी तो वह खुद अपने हाथ से पानी तक नहीं पी पा रही थी. जिस अनाथालय की बात यह युवती कर रही है वह गोला का मंदिर के पास सुरुचि होटल वाली गली में बताया जा रहा है, जिस की संचालिका अनीता शर्मा हैं.

इस मामले में प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों से बात की गई और उनको पीड़िता की बदहाल हालत के बारे में बताया गया तो वे अपनी चुनावी व्यस्तताओं के बीच सिर्फ इतना बता सकें कि मामला गंभीर और बहुत ज्यादा संवेदनशील है. प्रशासन ने हालांकि इस बारे में पुलिस सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है.

ग्वालियर। गोला मंदिर के पास स्थित अनाथ आश्रम में बच्चों से बालश्रम करवाने का मामला सामने आया है. मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब कुछ स्थानीय लोगों ने एक नाबालिग लड़की को भीषण गर्मी में फूल बेचते देखा. शक होने पर जब पूछताछ की तो अनाथ आश्रम के संचालकों बच्चों से बालश्रम करवाने का खुलासा हुआ.

कुछ जागरूक नागरिकों ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी. लेकिन प्रशासन ने अभी तक आश्रय गृह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. पीड़िता को अपना पेट भरने के लिए आश्रय गृह के लोगों के ज़्यादतियों का शिकार होना पड़ता है. वह हर रोज सुबह 10 बजे आश्रय गृह से निकलती है और 1 बजे तक प्लास्टिक के फूलों का गुच्छा बेचकर अपना पेट भरती है. साथ ही ये उन लोगों का भी पेट भरती है जहां उसे आसरा दिया गया है. इसके बावजूद भी युवती को दस-दस दिन तक खाना तक नहीं दिया जाता है और मारपीट किया जाता है. शरीर के अंगों को तेजाब या केमिकल से जलाया जाता है. युवती का कहना है कि करीब 250 और लड़कियां अपना गुजर-बसर करने उसी आश्रय गृह में रह रही हैं.

अनाथ आश्रम में बच्चों से बालश्रम करवाने का मामला

इस मामले की खबर मीडिया को देने वाले बसंत तोमर और उसी इलाके में एक्सिस बैंक के कर्मचारी रवि पांडे बताते हैं कि एक बच्ची आई थी उसके हाथ में फ्लावर थे. वह जब आई थी तो वह खुद अपने हाथ से पानी तक नहीं पी पा रही थी. जिस अनाथालय की बात यह युवती कर रही है वह गोला का मंदिर के पास सुरुचि होटल वाली गली में बताया जा रहा है, जिस की संचालिका अनीता शर्मा हैं.

इस मामले में प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों से बात की गई और उनको पीड़िता की बदहाल हालत के बारे में बताया गया तो वे अपनी चुनावी व्यस्तताओं के बीच सिर्फ इतना बता सकें कि मामला गंभीर और बहुत ज्यादा संवेदनशील है. प्रशासन ने हालांकि इस बारे में पुलिस सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है.

Intro:एंकर-- ग्वालियर में एक युवती की एक ऐसी तस्वीर उजागर हुई है जिसको देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे ।यह तस्वीर नहीं एक हकीकत है जिसमें एक युवती के शरीर के अंगों को तेज़ाब या केमिकल से जलाया गया है ।इतना ही नहीं इस युवती को आठ -आठ दस -दस दिन तक खाना तक नहीं दिया जाता है ,,पता चला है कि आसरा देने वालों द्वारा अपना खुद का और मजलूम युवती को पेट भरने के लिए बाजार में फूल बेचने को भेज दिया जाता है।मीडिया के कुछ लोगों द्वारा इस युवती को ग्वालियर के गोला का मंदिर क्षेत्र में एक बैंक के पास फूल बेचते हुए देखा गया ।कुछ जागरूक नागरिकों ने इसकी इत्तला दी तो प्रशासन तक भी खबर पहुंची लेकिन प्रशासन की टीम अभी तक उस आश्रय गृह या आश्रय स्कूल को तलाश नहीं पा रही है जिसमें रहने की दास्तान यह पीड़ित युवती बता रही है..


वीओ .1..यह किसी फिल्म की कहानी या सीन नही बल्कि हकीकत की दास्तान है ।खुद को 15 साल का बता रही ये युवती किसी किसी ड्रामेटिक सीन का हिस्सा नहीं है ,इस युवती के हाथ और पैरों पर जो जख्मों के निशान हैं ।वे कृत्रिम रूप से नहीं बनाए गए बल्कि असली जख्मों के घाव हैं ।और इन घाव के जख्म इस युवती के चेहरे पर खुद ही उभर कर आ जाते हैं । जब वह दास्तान सुनाती है कि वो गोला का मंदिर के पास सुरुचि होटल के आसपास किसी आश्रय गृह या अनाथालय में रहती है । और उसे 2010 में इस स्कूल में छोड़ दिया गया था उसके पिता भी फौज में थे ।अब उसे अपना पेट भरने के लिए आश्रय गृह के कसाई नुमा प्रबंधन की ज़्यादतियों का शिकार होना पड़ता है ।वह हर रोज इसी तरह सुबह 10:00 बजे से आश्रय ग्रह से निकलती है और 1:00 बजे तक यह बिना खुशबू वाले प्लास्टिक के फूलों का गुच्छा बेचकर अपना पेट नहीं भरती बल्कि उन भरे पेट वालों का भी पेट भरती है जहां उन लोगों ने आश्रय गृह के नाम पर उसे आसरा दिया हुआ है।

बाइट ..प्रताड़ित युवती


वीओ 2.. इस मजलूम युवती की बात पर यकीन किया जाए तो उस जैसी करीब ढाई सौ और लड़कियां आश्रय गृह में निवास कर रही हैं। जहां यह युवती रहकर अपनी गुजर-बसर कर रही है ।इस मामले की खबर मीडिया को देने वाले बसंत तोमर और उसी इलाके में एक्सिस बैंक के कर्मचारी रवि पांडे बताते हैं कि एक बच्ची आई थी उसके हाथ में फ्लावर थे,, वह जब आई थी तो वह खुद अपने हाथ से पानी तक नहीं पी पा रही थी,, जिस अनाथालय की बात यह युवती कर रही है वह गोल का मंदिर के पास सुरुचि होटल वाली गली में बताया जा रहा है। जिस की संचालिका कोई अनीता शर्मा है। युवती अपना पेट भरने के लिए फूलों को बेचती है। उसके साथ मारपीट भी की जाती है ,,जिसके निशान उसके शरीर पर देखे जा सकते हैं


बाइट.. तोमर बसंत तोमर-- स्थानीय निवासी..

बाइट---रवि पांडे ---कर्मचारी --एक्सिस बैंक

वीओ...3--यही गोला का मंदिर क्षेत्र में युवती को देखने और समझने वाले लोगों के दिल में जो वेदना जागी उसको उन्होंने इस तरह बयान किया.. कि जब उन्होंने इस व्यक्ति को देखा कि वह दो-तीन दिन से भूखी दिखाई दे रही थी ।जागरूक नागरिक के रूप में उनका सवाल था कि आखिर ऐसी संस्थाएं इस तरह अत्याचार कर और फूल बिकवा कर कौन सी सेवा कर रही हैं ।और आखिर प्रशासन कर क्या रहा है

..वाइट... भूपेंद्र... स्थानीय निवासी


Body:वीओ .4-- जब इस मामले में प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों से बात की गई और उनको उस युवती की बदहाल हालत के बारे में बताया गया तो वे अपनी चुनावी व्यस्तताओं के बीच सिर्फ इतना बता सके कि मामला गंभीर है। और बहुत ज्यादा संवेदनशील है ।प्रशासन ने हालांकि इस बारे में पुलिस सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है,, कि उस युवती का पता लगाया जाए और जहां वह निवास कर रही है उस आश्रय देने वाले आश्रय दाताओं की भी खैर खबर ली जाए..

बाइट ..अनुराग चौधरी.. कलेक्टर

Conclusion:वीओ .5... ग्वालियर महानगर में बुजुर्गों और महिलाओं और अशक्त युवतियों और महिलाओं के पुनरुद्धार और पुनर्वास के लिए कई आश्रम और संस्थाएं चल रही हैं ..लेकिन इस युवती की वेदना व दर्द को समझे बिना उसका शारीरिक मानसिक रूप से जो शोषण किए जाने की दास्तान उजागर हुई है.
उससे ऐसा लगता है कि इस निर्दयी समाज में समाज सेवा का ठीकरा अपने सिर पर उठा कर घूम रहे ऐसे समाजसेवियों को शायद ऊपर वाले की लाठी का एहसास ही नहीं है ।वह पीड़ित मानवता की सेवा क्या करेंगे ।और उन्हें शायद इस बात का भी एहसास नहीं होगा की वो जो पाप कर रहे हैं। शायद उसका पश्चाताप करने का मौका भी उन्हें ना मिल सके..एक अहम सवाल यह भी है कि नई सरकार बनाने की हडबड़ी में जिम्मेदार ओहदेदारान कहीं इस युवती जिसे वे बिना देखे ही नाबालिग मानने को तैयार नहीं है ,उसके गुनहगारों की खैर खबर ही लेना भूल जाएं..
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