छिंदवाड़ा। अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व प्रसिद्ध है. यहां शिव और पार्वती का अद्भुत शिवलिंग है. इसमें आधे शिवजी और आधे पार्वती जी हैं. यहां पर विशेष रूप से पूजा अर्चना किया जाता है. लोगों का मानना है कि जो भी वहां मनोकामना मांगते हैं उसे शिव पार्वती पूरा करते हैं. पौराणिक आधार पर यहां कई कहानियां प्रचलित है. यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य की कर्मभूमि है. ऐसी कई कहानियां अर्धनारीश्वर मंदिर की है.(Ardhanarishwar Jyotirlinga Temple in Chhindwara)
अर्धनारीश्वर भगवान ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दैत्य गुरु शुक्राचार्य भगवान भोलेनाथ के अनन्य भक्त थे. उन्होंने सर्पिणी तट पर तपस्या की थी. वह स्थान मंदिर परिसर में है. शुक्राचार्य की तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए तब शुक्राचार्य ने भगवान से कहा मैं केवल माताजी को आपके साथ देखना चाहता हूं, तब भगवान ने अर्द्धनारिश्वर रूप में उन्हें दिखे. उसी दिन से यहां पर अर्धनारीश्वर भगवान ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए.(Ardhanarishwar Shaktipeeth)
शिवलिंग की विशेषता: शक्तिपीठ अर्धनारीश्वर मंदिर का निर्माण महामृत्युंजय मंत्र पर आधारित है, इसलिए इसकी विशेषता और बढ़ जाती है. बताया जाता है कि अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व के कुछ ही जगहों पर स्थापित है. उनमें से एक सौसर का मोहगांव हवेली है. जहां पर सूर्य देवता सीधे मंदिर के अंदर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं. अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मोहगांव हवेली तहसील सौसर जिला छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश में है. सौसर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग शिव और पार्वती का शिवलिंग है. इनका दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.(Chhindwara Ardhanarishwar Jyotirlinga)
दूसरे सावन सोमवारी पर भक्तों की भीड़: यह स्थल चार धाम (बद्री ,केदार, द्वारिका, जगन्नाथपुरी ,रामेश्वरम) 12 ज्योतिर्लिंग कथा त्रिपुरा सुंदरी केंद्र बिंदु है. सनातन पुरातन काल से इस ज्योतिर्लिंग मंदिर से निर्माण संरचना और वस्तु की महामृत्युंजय मंत्र आधारित होने से यहां शक्तिपीठ आया. 13वीं शताब्दी और 15वीं शताब्दी के बीच मंदिर का जीर्णोद्धार देवगढ़ के गोंड राजा और नागपुर के घोसले राजा द्वारा किया गया था. अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग शिव पार्वती के दर्शन करने और सावन सोमवार में पूजन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है(Sawan 2022 Second Monday). बड़ी संख्या में भक्तगण भगवान शिव और पार्वती की उपासना करने के लिए पहुंचते हैं. वहीं सावन सोमवार के महा में कई धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाते हैं. (Shivling of Shiva Parvati in Ardhanarishwar Jyotirlinga temple)