भोपाल। प्रदेश में होने वाले पौधारोपण की जमीनी सच्चाई का पता सरकार लिडार सर्वे के जरिए लगाएगी. यह दावा किया है प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंगार ने. उन्होंने कहा है कि अभी तक सर्वे जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम के जरिए कराया जाता रहा है जिससे पौधरोपण की सही स्थिति पता नहीं चल पाती. फिलहाल इसे पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा.
वन मंत्री के अनुसार जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम से होने वाले सर्वे में पौधरोपण की सही रिपोर्ट तभी मिल पाती है, जब पौधों में नई टहनियां आना शुरू होती हैं. इसमें दो से तीन साल का वक्त लगता है. मंत्री ने दावा करते हुए कहा हैं कि लाइट डिटेक्शन रेजिंग डाटा सर्वे यानी लिडार के उपयोग से पौधरोपण की जमीनी सच्चाई हूबहू मिल जाएगी.उन्होंने कहा कि इसके लिए दो से 3 सालों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. फिलहाल लिडार से सर्वे पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह जल्द ही तय कर लिया जाएगा. लिडार तकनीक से सर्वे से यह भी पता चल जाएगा कि पौधों की ऊंचाई कितनी है. हालांकि, जीआईएस की तुलना में इस तकनीक से सर्वे बहुत मंहगा है क्योंकि लिडार सर्वे लिडार सर्वे हेलीकाप्टर की मदद से किया जाता है. हैलीकॉप्टर में लिडार सिस्टम के जरिये सतह पर लेजर किरणें डाली जाती हैं और इसके विश्लेषण से डाटा तैयार किया जाता है.