ETV Bharat / city

MP में कितनी सुरक्षित 'सांसें' : ईटीवी भारत का रियलिटी चेक - ईटीवी भारत ने किया रियलिटी चेक

बाकी राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी मची हुई है. सरकार दावा करती है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. क्या ये सच है ? अस्पतालों तक कैसे पहुंचाई जा रही है ऑक्सीजन. ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक में जानी अस्पतालों की हकीकत.

etv bharat reality check
ईटीवी भारत का रियलिटी चेक
author img

By

Published : Apr 22, 2021, 8:00 PM IST

भोपाल/ग्वालियर/जबलपुर। आजकल हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा चर्चित विषय बन गया है oxygen. कोरोना नाम की महामारी ने ऐसा कहर ढाया है कि लोगों को उधार की सांसों की जरूरत पड़ गई है. ऐसे 10-20 मरीज नहीं, लाखों मरीज हैं जो अस्पताल में सिर्फ clinical oxygen पर जिंदा है. इसकी मांग इतनी बढ़ गई है कि लोग मुंहमांगे दामों पर इसे खरीदने को तैयार हैं. कई जगह ऑक्सीजन के लिए मार-पिटाई तक हो गई है. कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर को ही लोग लूट ले गए.

दूसरे राज्यों की तरह मध्य प्रदेश भी अन्य राज्यों से ऑक्सीजन के टैंकर मंगवा रहा है, ताकि कोरोना मरीजों की सांसें चलती रहे.हाल ही में नासिक में गैस रिसाव की घटना से करीब 22 मरीजों की जान चली गई थी. ऐसे में ऑक्सीजन फिलिंग करना भी एक बड़ी चुनौती है.

oxygen plant का रियलिटी चेक

भोपाल के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया अस्पताल में ऑक्सीजन supply का ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया. यहां करीब 27 kl यानि 27 हजार लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध है. अस्पताल में पाइप लाइन के जरिए मरीजों तक पहुंचती है.ऑक्सीजन प्लांट में फिलिंग को लेकर काफी एहतियात बरती जाती है. ताकि किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही के चलते दुर्घटना ना हो जाए. हाल ही में नासिक में ऑक्सीजन फिलिंग के दौरान लीकेज के चलते कई मरीजों की जान चली गई थी. भोपाल के बड़े अस्पतालों में फिलिंग के दौरान एहतिहात बरतने के निर्देश भी दिए हैं.

लाखों मरीजों का सहारा बना ये सिलेंडर

जबलपुर में संगीनों के साए oxygen supply

जबलपुर में ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. यहां से जबलपुर के अलावा आसपास के कई जिलों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. ऑक्सीजन को लेकर मची लूटमार को देखते हुए संभागीय कमिश्नर ने इसकी निगरानी के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी और बंदूकधारी जवानों को तैनात किया है.

जबलपुर में बंदूक के साए में 'सांसें'

जबलपुर में क्या है ऑक्सीजन सप्लाई का हाल ?

जबलपुर के प्लांट्स से रोजाना करीब 2500 बड़े और 500 छोटे अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. यहां ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. इनमें से दो प्लांट रिछाई में और एक प्लांट पनागर में है. इन्हीं तीनों प्लांटों से जबलपुर, छिंदवाड़ा-नरसिंहपुर-कटनी-डिंडोरी सहित आसपास के जिलो में ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. करीब 1000 से 1200 सिलेंडर यहां से रोजाना सप्लाई किए जा रहे है.

ग्वालियर में सालों से बंद है ऑक्सीजन प्लांट

ग्वालियर के हालात भी ज्यादा अच्छे नहीं हैं. ईटीवी भारत की टीम को यह जानकारी लगी कि अंचल के सबसे बड़े उद्योग क्षेत्र मालनपुर इंडस्ट्रीज में एक ऐसा बड़ा ऑक्सीजन का प्लांट है, जो सालों से बंद पड़ा हुआ है.

यह ऑक्सीजन प्लांट एशिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी एमपी आयरन में मौजूद है. लेकिन ये 1998 से बंद पड़ा हुआ है.उस समय प्लांट फैक्ट्री को रोज 90 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई करता था. जब एमपी आयरन फैक्ट्री बंद हो गई, उसके बाद यह ऑक्सीजन का प्लांट भी बंद हो गया. अगर इस प्लांट को फिर से चालू हो जाए, तो कई मरीजों की सांसें टूटने से बचाई जा सकती हैं.

ग्वालियर के हाल भी अच्छे नहीं

रेलवे देगा मध्यप्रदेश को 'संजीवनी'

कोरोना वायरस संक्रमण की बढ़ती रफ्तार और देश के विभिन्न राज्यों की बिगड़ती हालत को देखते हुए रेल मंत्रालय ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चला रहा है. मंत्रालय ने फैसला लिया है कि राज्यों की मांग के मुताबिक ये ट्रेनें चलेंगी. कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है. मध्य प्रदेश सरकार ने भी रेलवे से ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाने की मांग की है.

सांसों की संजीवनी बना ऑक्सीजन बैंक, मुफ्त में मिल रहा सिलेंडर

रेलवे की express train

रेल मंत्रालय ने हाल ही में ऑक्‍सीजन टैंकरों को जल्‍द पहुंचाने के लिए रो-रो सेवा शुरू की है. इसमें ट्रेनों में टैंकरों को लादकर एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक पहुंचाया जाता है. सड़क मार्ग से जो ऑक्सीजन टैंकर 24 घंटे में पहुंचते हैं, उन्हें रो-रो सेवा के जरिये सिर्फ 12 घंटों में गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जा सकता है. सबसे पहली ऑक्‍सीजन एक्‍सप्रेस यानी रो-रो सेवा महाराष्‍ट्र में शुरू की जा चुकी है.

भोपाल/ग्वालियर/जबलपुर। आजकल हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा चर्चित विषय बन गया है oxygen. कोरोना नाम की महामारी ने ऐसा कहर ढाया है कि लोगों को उधार की सांसों की जरूरत पड़ गई है. ऐसे 10-20 मरीज नहीं, लाखों मरीज हैं जो अस्पताल में सिर्फ clinical oxygen पर जिंदा है. इसकी मांग इतनी बढ़ गई है कि लोग मुंहमांगे दामों पर इसे खरीदने को तैयार हैं. कई जगह ऑक्सीजन के लिए मार-पिटाई तक हो गई है. कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर को ही लोग लूट ले गए.

दूसरे राज्यों की तरह मध्य प्रदेश भी अन्य राज्यों से ऑक्सीजन के टैंकर मंगवा रहा है, ताकि कोरोना मरीजों की सांसें चलती रहे.हाल ही में नासिक में गैस रिसाव की घटना से करीब 22 मरीजों की जान चली गई थी. ऐसे में ऑक्सीजन फिलिंग करना भी एक बड़ी चुनौती है.

oxygen plant का रियलिटी चेक

भोपाल के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया अस्पताल में ऑक्सीजन supply का ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया. यहां करीब 27 kl यानि 27 हजार लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध है. अस्पताल में पाइप लाइन के जरिए मरीजों तक पहुंचती है.ऑक्सीजन प्लांट में फिलिंग को लेकर काफी एहतियात बरती जाती है. ताकि किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही के चलते दुर्घटना ना हो जाए. हाल ही में नासिक में ऑक्सीजन फिलिंग के दौरान लीकेज के चलते कई मरीजों की जान चली गई थी. भोपाल के बड़े अस्पतालों में फिलिंग के दौरान एहतिहात बरतने के निर्देश भी दिए हैं.

लाखों मरीजों का सहारा बना ये सिलेंडर

जबलपुर में संगीनों के साए oxygen supply

जबलपुर में ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. यहां से जबलपुर के अलावा आसपास के कई जिलों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. ऑक्सीजन को लेकर मची लूटमार को देखते हुए संभागीय कमिश्नर ने इसकी निगरानी के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी और बंदूकधारी जवानों को तैनात किया है.

जबलपुर में बंदूक के साए में 'सांसें'

जबलपुर में क्या है ऑक्सीजन सप्लाई का हाल ?

जबलपुर के प्लांट्स से रोजाना करीब 2500 बड़े और 500 छोटे अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. यहां ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. इनमें से दो प्लांट रिछाई में और एक प्लांट पनागर में है. इन्हीं तीनों प्लांटों से जबलपुर, छिंदवाड़ा-नरसिंहपुर-कटनी-डिंडोरी सहित आसपास के जिलो में ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. करीब 1000 से 1200 सिलेंडर यहां से रोजाना सप्लाई किए जा रहे है.

ग्वालियर में सालों से बंद है ऑक्सीजन प्लांट

ग्वालियर के हालात भी ज्यादा अच्छे नहीं हैं. ईटीवी भारत की टीम को यह जानकारी लगी कि अंचल के सबसे बड़े उद्योग क्षेत्र मालनपुर इंडस्ट्रीज में एक ऐसा बड़ा ऑक्सीजन का प्लांट है, जो सालों से बंद पड़ा हुआ है.

यह ऑक्सीजन प्लांट एशिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी एमपी आयरन में मौजूद है. लेकिन ये 1998 से बंद पड़ा हुआ है.उस समय प्लांट फैक्ट्री को रोज 90 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई करता था. जब एमपी आयरन फैक्ट्री बंद हो गई, उसके बाद यह ऑक्सीजन का प्लांट भी बंद हो गया. अगर इस प्लांट को फिर से चालू हो जाए, तो कई मरीजों की सांसें टूटने से बचाई जा सकती हैं.

ग्वालियर के हाल भी अच्छे नहीं

रेलवे देगा मध्यप्रदेश को 'संजीवनी'

कोरोना वायरस संक्रमण की बढ़ती रफ्तार और देश के विभिन्न राज्यों की बिगड़ती हालत को देखते हुए रेल मंत्रालय ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चला रहा है. मंत्रालय ने फैसला लिया है कि राज्यों की मांग के मुताबिक ये ट्रेनें चलेंगी. कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है. मध्य प्रदेश सरकार ने भी रेलवे से ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाने की मांग की है.

सांसों की संजीवनी बना ऑक्सीजन बैंक, मुफ्त में मिल रहा सिलेंडर

रेलवे की express train

रेल मंत्रालय ने हाल ही में ऑक्‍सीजन टैंकरों को जल्‍द पहुंचाने के लिए रो-रो सेवा शुरू की है. इसमें ट्रेनों में टैंकरों को लादकर एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक पहुंचाया जाता है. सड़क मार्ग से जो ऑक्सीजन टैंकर 24 घंटे में पहुंचते हैं, उन्हें रो-रो सेवा के जरिये सिर्फ 12 घंटों में गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जा सकता है. सबसे पहली ऑक्‍सीजन एक्‍सप्रेस यानी रो-रो सेवा महाराष्‍ट्र में शुरू की जा चुकी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.