भोपाल। दूरसंचार व्यवस्था का नाम आते ही आज हमारे जेहन में मोबाइल टेक्नोलाजी आती है, लेकिन तकनीकी इतिहास पर नजर डालें तो हमारे हाथ में स्मार्टफोन आने तक दूरसंचार की व्यवस्था ने कई पड़ाव तय किए हैं. ये पड़ाव कौन-कौन से थे, इसे जानने का एकमात्र स्थान राजधानी में स्थित 'राष्ट्रीय दूरसंचार संग्रहालय' है. यह एशिया का एकमात्र संग्रहालय है, जिसमें टेलीग्राफ के जमाने से लेकर टेलीफोन तक और टेलीफोन से लेकर मोबाइल व स्मार्टफोन तक का सफर देखा जा सकता है. चार मंजिल और 2 एकड़ में बना है संग्रहालय-देश का इकलौता दूरसंचार संग्रहालय मध्य प्रदेश टेलीकाम सर्कल द्वारा 18 अगस्त 1995 को खोला गया था, इसे खोलने की पहल तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक आरएन गोयल ने की थी. इस संग्रहालय को खोलने के पीछे उनका उद्देश्य दूरसंचार क्षेत्र में शोध कार्य, विस्तृत अध्ययन व लोगों को इस विषय की जानकारी देना था. वहीं संग्रहालय में मौजूद अधिकारी का कहना है कि ये संग्रहालय अपने आप में अनूठा है, यहां पर दूरसंचार के इतिहास को बखूबी बताया गया है. MP Unique Museum
संग्रहालय में 185 साल पुराने दुर्लभ उपकरण मौजूद: करीब दो एकड़ क्षेत्र में फैले इस संग्रहालय में प्रवेश पूरी तरह फ्री है, हर मंजिल में अलग-अलग उपकरण-संग्रहालय में 185 साल पुराने दुर्लभ उपकरण मौजूद हैं. यहां अलग-अलग तल पर अलग-अलग प्रकार के उपकरण व ज्ञानवर्धक लेख दर्शकों के लिए दीर्घा में रखे गए हैं, विभिन्न प्रकार के टेलीफोन उपकरणों के साथ-साथ यहां अलग अलग देशों द्वारा समय-समय पर प्रकाशित किए जाने वाले डाक टिकट, प्रथम दिवस आवरण लिफाफे, सिक्के, जलियावाला बाग की ईंटें तथा प्रसिद्ध रणभूमि हल्दी घाटी के पत्थर भी हैं. 1837 के टेलीग्राफ गैल्वेनोमीटर सहित कई उपकरण हैं, यहां भारत के आधुनिक और प्राचीन दूरसंचार उपकरणों का अद्भुत संग्रह मौजूद है. यहां 1960 का है केलकुला ग्राफ है, जिसका उपयोग ट्रंक काल का स्टार्ट और अंत का समय छापने के लिए ट्रंक एक्सचेंज में किया जाता था.
दूरसंचार के इतिहास को बताया गया: सन 1930 का 'टेलीप्रिंटर नं 7 बी' भी इस संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है, इसके साथ ही यहां 1837 का हाइटन का टेलीग्राफ गैल्वनोमीटर, 1836 की मोर्स टेलीग्राफी, 1880 में ब्रिटिश पोस्ट आफिस द्वारा प्रयोग किया जाने वाला टेलीफोन, 1881 में बना स्वीडन इरेक्सन कंपनी का घुमावदार फुलदान नुमा आकृति का फोन, 1891 का वाल टाइप टेलीफोन भी है. National Telephone Museum
5जी मोबाइल सर्विस लगभग 1 महीने में शुरू होने की संभावना : दूरसंचार राज्य मंत्री
कई ज्ञानवर्धक लेख भी मौजूद: यहां विभिन्न ज्ञानवर्धक लेखों के जरिए बताया गया है कि पुराने जमाने में दूरसंचार कैसे होता था। साथ ही बताया गया है कि '1913 में क्रास बार टेलीफोन एक्सचेंज' की जरूरत क्यों पढ़ी ? लंदन, न्यूयार्क व बंबई आदि में 'डायरेक्टर ट्रंकिंग स्कीम' क्यों लाई गई? 1915 में पैनेल तकनीक वाला टेलीफोन सिस्टम कैसे काम करता था. इस लेखों में एक रोचक किस्सा भी है, जिसके अनुसार 1886 में अमेरिका के केंसस शहर के एक व्यापारी ने शिकायत की थी कि उसके लिए प्राप्त होने वाली व्यापारिक टेलीफोन कालें एक चतुर आपरेटर द्वारा उसके प्रतिद्वंदी को लगा दी जाती हैं, जिससे उसे व्यवसाय में भारी नुकसान हो रही है. तब इसी शहर के आल्मंड ब्राउन स्ट्राउजर ने इस चुनौती को स्वीकार किया और पांच साल की मेहनत के बाद 1891 में एक स्वीच बनाया, जिससे यह समस्या हल हो गई. इस स्वीच को विश्व का पहला 'स्वचालित स्ट्राउजर टेलीफोन एक्सचेंज' कहा गया है. Telephone Museum in Bhopal