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MP Panchayat Chunav: BJP में धनबल-बाहुबल से अध्यक्ष पद की राह आसान! कांग्रेस का आरोप- करोड़ों में विधायक खरीद रही भाजपा

मध्यप्रदेश में पंचायतों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए धनबल बाहुबल का खेल शुरू हो गया है. सूत्रों की मानें तो सदस्यों के दाम लगने शुरू हो गए हैं, एक-एक सदस्य की कीमत लाखों में है. इस वक्त बीजेपी की सरकार सत्ता में है और वो हर हाल में जनपद और जिला पंचायतों में अपने ही अध्यक्ष बनाना चाहती है. (MP Panchayat Chunav 2022)

MP Panchayat Chunav 2022
एमपी जिला जनपद पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुनाव
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Published : Jul 26, 2022, 9:10 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी सत्ता और संगठन पूरी तरह से पंचायतों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की ताजपोशी चाहते हैं, हालांकि दोनों पार्टियों के लिए इस वक्त करो या मरो की स्थिति है. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने कह दिया है कि जिसे अध्यक्ष बनना है, उसको ही सदस्यों को अपने खेमे में लाना होगा और सारा गुणा भाग खुद ही करना होगा. अब इसे लेकर पंचायत स्तर पर खींचतान दिख रही है, इसके अलावा कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा धनबल और बाहुबल का प्रयोग करती आई है और वही कर रही है. (MP Panchayat Chunav 2022)

बीजेपी का दावा 85 फीसदी हमारे समर्थित जीते: बीजेपी ने दावा किया कि 290 जनपद में से अभी तक 229 पर जीत दर्ज की है और जिला पंचायत में 54 में से 44 पर बीजेपी आई है. कांग्रेस दावा कर रही है कि उसके समर्थित प्रत्याशी ही जनपद और जिला में जीते हैं, कांग्रेस के मुताबिक 875 जिला पंचायत में से 386 कांग्रेस समर्थित सदस्य जीते हैं. वहीं कांग्रेस कह रही है कि जनपद सदस्यों में उसके समर्थित 118 सदस्य जीते हैं, हालांकि जिला पंचायत सदस्यों में अन्य व 129 निर्दलीय जीते हैं.

भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को करोड़ों में खरीदा: कमलनाथ सरकार में पूर्व मंत्री रहे पी सी शर्मा का कहना है कि "बीजेपी ने लोकतंत्र पूरी तरह खत्म कर दिया है, हमने पहले भी देखा की बीजेपी ने हमारे विधायकों को करोड़ों में खरीदा है. अब एक बार फिर जनपद और जिला पंचायतों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिये बीजेपी के बाहुबल और धनबल का प्रलोभन देकर हमारे सदस्यों को खरीदना चाहते हैं, लेकिन हमारे जीते हुए सदस्य पूरी तरह से पार्टी के साथ खड़े हुए हैं."

Sagar MP District Panchayat : मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई के जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने जाने के दावे पर BJP में ही विरोध

कांग्रेस के आरोप बेबुनियाद: नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि, "कांग्रेस के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं, जब जनता ने पंचायतों मैं 85% बीजेपी समर्थित प्रत्याशियों को चुना है ऐसे में जो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होंगे वह बीजेपी समर्थित होंगे. कांग्रेस झूठ का पुलिंदा है, उस की करारी हार हुई है, इसी वजह से वह हम पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं."

नेताओं की साख दांव पर: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक और प्रह्लाद पटेल की साख बुंदेलखंड से दांव पर लगी है, ऐसे में यहां पर भारी खींचतान देखने को मिल रही है. वहीं मालवा, निमाड़, महाकौशल और भोपाल में भी कशमकश जारी है. बीजेपी ने अपने विधायकों के साथ-साथ मंत्रियों को भी अपने ही क्षेत्र में रहने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि "जब तक अध्यक्ष बनने लायक फंड ना जुटे तब तक आप अपने क्षेत्र में ही रहें."

Gwalior Panchayat Chunav 2022: जिला और जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव के लिए पार्टियों ने शुरू की घेराबंदी, तीर्थस्थलों पर भेजे गए कई नेता

बदले जा रहे नेताओं के स्थान: इसी के साथ कांग्रेस भी अपने पर्यवेक्षकों और प्रभारियों को जिलों में पहुंचाकर सदस्यों पर नजर रख रही है. बताया जा रहा है कि पार्टी के कई सदस्य भूमिगत हो गए हैं, जिन्हें किसी धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल पर भेज दिया गया है. इतना ही नहीं हर 2 दिन में इनके स्थान बदले जा रहे हैं. विंध्य, बुंदेलखंड और भोपाल में जिला सदस्यों की बोली लगाए जाने की अटकलों ने भी बाजार गर्म कर दिया है, आदिवासी बहुल इलाकों में कांग्रेस के कई सदस्यों के भूमिगत होने की खबरें भी सामने आ रही है. वहीं ग्वालियर चंबल में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह मोर्चा संभाले हुए हैं.

भोपाल में कांग्रेस भारी: राजधानी भोपाल की 222 पंचायतों का जिला अध्यक्ष कांग्रेस का होगा या बीजेपी का इसे लेकर खींचतान जारी है, 10 में से आठ सदस्य भूमिगत हो गए हैं, हालांकि कांग्रेस का दावा है कि 10 में सदस्य 7 सदस्य उस के खेमे में हैं. कांग्रेस का कहना है कि भोपाल में इस बार बीजेपी के 2 सदस्य ही जीत सकते हैं, लेकिन बावजूद इसके भाजपा ने कह दिया है कि जो भी सदस्यों को अपने खेमे में ला सकेगा, उसे अध्यक्ष बना दिया जाएगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी सत्ता और संगठन पूरी तरह से पंचायतों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की ताजपोशी चाहते हैं, हालांकि दोनों पार्टियों के लिए इस वक्त करो या मरो की स्थिति है. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने कह दिया है कि जिसे अध्यक्ष बनना है, उसको ही सदस्यों को अपने खेमे में लाना होगा और सारा गुणा भाग खुद ही करना होगा. अब इसे लेकर पंचायत स्तर पर खींचतान दिख रही है, इसके अलावा कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा धनबल और बाहुबल का प्रयोग करती आई है और वही कर रही है. (MP Panchayat Chunav 2022)

बीजेपी का दावा 85 फीसदी हमारे समर्थित जीते: बीजेपी ने दावा किया कि 290 जनपद में से अभी तक 229 पर जीत दर्ज की है और जिला पंचायत में 54 में से 44 पर बीजेपी आई है. कांग्रेस दावा कर रही है कि उसके समर्थित प्रत्याशी ही जनपद और जिला में जीते हैं, कांग्रेस के मुताबिक 875 जिला पंचायत में से 386 कांग्रेस समर्थित सदस्य जीते हैं. वहीं कांग्रेस कह रही है कि जनपद सदस्यों में उसके समर्थित 118 सदस्य जीते हैं, हालांकि जिला पंचायत सदस्यों में अन्य व 129 निर्दलीय जीते हैं.

भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को करोड़ों में खरीदा: कमलनाथ सरकार में पूर्व मंत्री रहे पी सी शर्मा का कहना है कि "बीजेपी ने लोकतंत्र पूरी तरह खत्म कर दिया है, हमने पहले भी देखा की बीजेपी ने हमारे विधायकों को करोड़ों में खरीदा है. अब एक बार फिर जनपद और जिला पंचायतों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिये बीजेपी के बाहुबल और धनबल का प्रलोभन देकर हमारे सदस्यों को खरीदना चाहते हैं, लेकिन हमारे जीते हुए सदस्य पूरी तरह से पार्टी के साथ खड़े हुए हैं."

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कांग्रेस के आरोप बेबुनियाद: नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि, "कांग्रेस के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं, जब जनता ने पंचायतों मैं 85% बीजेपी समर्थित प्रत्याशियों को चुना है ऐसे में जो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होंगे वह बीजेपी समर्थित होंगे. कांग्रेस झूठ का पुलिंदा है, उस की करारी हार हुई है, इसी वजह से वह हम पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं."

नेताओं की साख दांव पर: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक और प्रह्लाद पटेल की साख बुंदेलखंड से दांव पर लगी है, ऐसे में यहां पर भारी खींचतान देखने को मिल रही है. वहीं मालवा, निमाड़, महाकौशल और भोपाल में भी कशमकश जारी है. बीजेपी ने अपने विधायकों के साथ-साथ मंत्रियों को भी अपने ही क्षेत्र में रहने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि "जब तक अध्यक्ष बनने लायक फंड ना जुटे तब तक आप अपने क्षेत्र में ही रहें."

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