भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर 10 मई को सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संशोधन याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है जिसपर 17 मई को सुनवाई होगी. चुनावों में OBC वर्ग को आरक्षण दिए जाने के लिए यह एप्लीकेशन फॉर मॉडिफिकेशन 12 मई की देर रात सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. हालांकि सरकार ने यह भी दावा किया है कि वह पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है.
चुनाव आयोग ने तेज की तैयारी: SC के अंतरिम आदेश के बाद मध्यप्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव की तैयारी तेज कर दी है. सरकार ने इसमें ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट पेश की है. सरकार की तरफ से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत है, जबकि एससी और एसटी में से घटाने पर प्रदेश में 79 फीसदी है. इस आधार पर ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए दावा किया है. साथ ही याचिका में यह भी सवाल उठाया गया है कि पंचायतों के लिए आरक्षण प्रक्रिया 15 दिन में कैसे पूरी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए इस पर सुनवाई 17 मई मंगलवार को तय की है.
सरकार ने चला आखिरी दांव: इससे पहले 10 मई को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की रिपोर्ट को अधूरा बताते हुए कोर्ट ने बगैर OBC आरक्षण के ही पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव कराने के आदेश दिए थे. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है, लेकिन अब सरकार की संशोधन याचिका मंजूर होने से एक बार फिर पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. संशोधन याचिका दाखिल करने के पीछे सरकार का मकसद यह है कि वह किसी भी हाल में ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव कराना नहीं चाहती इसलिए उसने आखिरी दांव चला है.
फैसले में कई संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख नहींः मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव नहीं कराए जाने के मामले में याचिका लगाने वाली जया ठाकुर गत दिवस आए फैसले पर एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट में पेश की है. जया ठाकुर का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उसमें काफी सारे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख नहीं है. जया ठाकुर को उम्मीद है कि एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन से सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सुधार होगा और ओबीसी वर्ग के साथ जो अन्याय हुआ है, वह आगे नहीं होगा. उन्होंने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी है. (mp obc reservation petition in supreme court)
बीजेपी का आरोप कांग्रेस नहीं चाहती ओबीसी को आरक्षण मिले: मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रामखेलावन पटेल ने शहडोल जिले में पत्रकारों से चर्चा के दौरान ओबीसी आरक्षण पर खुलकर बात की, उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है, कि कांग्रेस नहीं चाहती कि पिछड़ा वर्ग के लोगों को आरक्षण मिले. मंत्री पटेल ने कहा है कि कांग्रेस ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं लगाकर पिछड़े वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को रोकने का काम किया है जो निंदनीय है. पटेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा पिछड़े वर्ग की हितैषी रही है पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिले उसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग बनाया. आयोग ने प्रदेश के सभी 52 जिलों का दौरा करके मध्य प्रदेश के मतदाताओं में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 48% बताई और रिपोर्ट में यह मांग भी की गई है कि ओबीसी वर्ग को 35 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.
जारी है वार-पलटवार: जब से सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर अपना फैसला सुनाया है उसके बाद से बीजेपी और कांग्रेस लगातार एक दूसरे पर हमले कर रही हैं. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही हैं,और ओबीसी वर्ग की हितैषी बनने की कोशिश कर रही हैं. फिलहाल अब सरकार की संशोधन याचिका मंजूर होने से एक बार फिर पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों पर अंतिम फैसला 17 मई तक टल गया माना जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही तय होगा कि चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे या आरक्षण के बगैर.