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MP Cycle Distribution Scheme 2022: अधिकारियों और टेंडर कंपनियों की मनमानी, जुलाई के बजाए अक्टूबर में मिलेगी साइकिल

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Published : Jun 12, 2022, 1:48 PM IST

Updated : Jun 12, 2022, 1:59 PM IST

मध्यप्रदेश सरकार ने बच्चों को शासकीय स्कूूलों के प्रति रुझान पैदा करने के लिए साइकिल वितरण योजना चलाई थी, ताकि दूर के बच्चे साइकिल से आसानी से स्कूल पहुंच सकें. अधिकारी इस योजनाओं को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. इस बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों और टेंडर कंपनियों की मनमानी के चलते बच्चों को पैदल ही स्कूल की दूरी तय करनी पड़ेगी. जुलाई के पहले मिलने वाली साइकिल अब उन्हें अक्टूबर में मिलेगी.(MP Cycle Distribution Scheme 2022) (Government students will get cycle in October)

students will get cycle in October
एमपी में अक्टूबर में मिलेगी साइकिल

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग (MP Education Department) के अधिकारी और टेंडर कंपनियों की मनमानी का खामियाजा अब स्कूल जाने वाले बच्चों को भुगतना पड़ेगा. जुलाई के पहले मिलने वाली साइकिल अब उन्हें तीन से चार महीने बाद मिलेगी. इस लिहाज से इस बार गांव में रहने वाले बच्चों को बारिश में पैदल ही स्कूल जाना पड़ेगा. शिक्षक संघ से जुड़े नेता इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी और कंपनी मालिकों पर साइकिल टेंडरिंग में कमीशन की बात कह रहे हैं.

अफसरों और टेंडर कंपनी में सांठगांठ: गांव से 2 किलोमीटर दूर स्कूल जाने वाली छात्राओं को सरकार कक्षा छठवीं से साइकिल देती है. यह घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी. छठवीं की छात्राओं को 18 इंच की साइकिल दी जाती है. तो 9वीं में पढ़ने वालों को 20 इंच की. इसके लिए प्रदेश सरकार के पास 200 करोड़ का बजट है. अफसरों की लेटलतीफी और टेंडर करने वाली कंपनी के मालिकों से अधिकारियों से सांठ-गांठ के चलते, गांव के बच्चे अब बारिश में पैदल जाने को मजबूर हो जाएंगे.

साइकिल के लिए 200 करोड़ का बजट: इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का अलग तर्क है. उनका कहना है कि 200 करोड़ का बजट साइकिल के लिए आवंटित है. लेकिन आमतौर पर एक साइकिल की कीमत 3 हजार 5 सौ 50 रूपये होती है. महंगाई बढ़ने की वजह से इस बार इसकी कीमत 4000 तक की जाने की संभावना है. ऐसे में 450 प्रति साइकिल पर अंतर आ सकता है. अभी कुछ दिन पहले ही टेंडर हुए हैं, कोटेशन आने में 1 महीने से ज्यादा का समय लग जाएगा. जब कोटेशन होने की प्रक्रिया पूरी होगी, उसके बाद सप्लाई में करीब तीन से चार महीने लग जाते हैं. ऐसे में छात्राओं को अक्टूबर तक ही साइकिल उपलब्ध होगी. इसमें भी एक दिक्कत यह है कि अगर कोई कंपनी ज्यादा रेट देती है तो फिर से री-ऑक्शन लिया जाता है.

भ्रष्टाचार की बू: इधर, शिक्षक संघ से जुड़े नेता आशुतोष पांडे (Teachers union leader Ashutosh Pandey) इस पूरे मामले को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए मान रहे हैं. आशुतोष का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी और साइकिल टेंडर कंपनियों के बीच रकम का समझौता नहीं होने के चलते टेंडर की प्रक्रिया में रेट बढ़ा दिए गए हैं. पूरा खेल कमीशन का है. ऐसे में इसका खामियाजा अब बच्चों को भुगतना पड़ेगा.(MP Cycle Distribution Scheme 2022) (Corruption in mp cycle scheme) (Government students will get cycle in October)

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग (MP Education Department) के अधिकारी और टेंडर कंपनियों की मनमानी का खामियाजा अब स्कूल जाने वाले बच्चों को भुगतना पड़ेगा. जुलाई के पहले मिलने वाली साइकिल अब उन्हें तीन से चार महीने बाद मिलेगी. इस लिहाज से इस बार गांव में रहने वाले बच्चों को बारिश में पैदल ही स्कूल जाना पड़ेगा. शिक्षक संघ से जुड़े नेता इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी और कंपनी मालिकों पर साइकिल टेंडरिंग में कमीशन की बात कह रहे हैं.

अफसरों और टेंडर कंपनी में सांठगांठ: गांव से 2 किलोमीटर दूर स्कूल जाने वाली छात्राओं को सरकार कक्षा छठवीं से साइकिल देती है. यह घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी. छठवीं की छात्राओं को 18 इंच की साइकिल दी जाती है. तो 9वीं में पढ़ने वालों को 20 इंच की. इसके लिए प्रदेश सरकार के पास 200 करोड़ का बजट है. अफसरों की लेटलतीफी और टेंडर करने वाली कंपनी के मालिकों से अधिकारियों से सांठ-गांठ के चलते, गांव के बच्चे अब बारिश में पैदल जाने को मजबूर हो जाएंगे.

साइकिल के लिए 200 करोड़ का बजट: इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का अलग तर्क है. उनका कहना है कि 200 करोड़ का बजट साइकिल के लिए आवंटित है. लेकिन आमतौर पर एक साइकिल की कीमत 3 हजार 5 सौ 50 रूपये होती है. महंगाई बढ़ने की वजह से इस बार इसकी कीमत 4000 तक की जाने की संभावना है. ऐसे में 450 प्रति साइकिल पर अंतर आ सकता है. अभी कुछ दिन पहले ही टेंडर हुए हैं, कोटेशन आने में 1 महीने से ज्यादा का समय लग जाएगा. जब कोटेशन होने की प्रक्रिया पूरी होगी, उसके बाद सप्लाई में करीब तीन से चार महीने लग जाते हैं. ऐसे में छात्राओं को अक्टूबर तक ही साइकिल उपलब्ध होगी. इसमें भी एक दिक्कत यह है कि अगर कोई कंपनी ज्यादा रेट देती है तो फिर से री-ऑक्शन लिया जाता है.

भ्रष्टाचार की बू: इधर, शिक्षक संघ से जुड़े नेता आशुतोष पांडे (Teachers union leader Ashutosh Pandey) इस पूरे मामले को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए मान रहे हैं. आशुतोष का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी और साइकिल टेंडर कंपनियों के बीच रकम का समझौता नहीं होने के चलते टेंडर की प्रक्रिया में रेट बढ़ा दिए गए हैं. पूरा खेल कमीशन का है. ऐसे में इसका खामियाजा अब बच्चों को भुगतना पड़ेगा.(MP Cycle Distribution Scheme 2022) (Corruption in mp cycle scheme) (Government students will get cycle in October)

Last Updated : Jun 12, 2022, 1:59 PM IST
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