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हीरों की तलाश के लिए टीकमगढ़ और छतरपुर में होगा खनन कार्य, MECL को मिली अनुमति

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Published : Feb 28, 2022, 1:37 PM IST

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ और छतरपुर में हीरों की तलाश के लिए खनन का कार्य शुरू किया जाएगा. खनिज विभाग ने इसके लिए निगम को अनुमति दे दी है. (Mining work done in Tikamgarh)

Mining work done in Chhatarpur for diamonds
हीरों की तलाश के लिए टीकमगढ़ और छतरपुर में होगा खनन कार्य

भोपाल। मध्य प्रदेश के छतरपुर के बक्सवाहा में हीरे को लेकर उत्खनन कार्य भले ही शुरू ना हो पाया हो, लेकिन प्रदेश के दो और जिलों में हीरे की तलाश शुरू हो गई है. प्रदेश के टीकमगढ़ और छतरपुर में हीरे की तलाश के लिए मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन को खनन के अधिकार दिए गए हैं. कारपोरेशन क्षेत्र में अगले 2 साल तक खनन किया जाएगा. खनिज विभाग ने इसके लिए निगम को अनुमति दे दी है.

टीकमगढ़ छतरपुर में खोजा जाएगा हीरा
छतरपुर के अंगिरा ए ब्लॉक में 1.862 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हीरे की खोज की जाएगी. इसके अलावा छतरपुर के ही अंगिरा बी ब्लॉक में 4.049 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हीरे की खोज होगी. इसी तरह टीकमगढ़ ए ब्लॉक में 10.897 वर्ग किलोमीटर, टीकमगढ़ बी ब्लॉक में 9.993 वर्ग किलोमीटर, टीकमगढ़ सी ब्लॉक में 38.822 वर्ग किलोमीटर, टीकमगढ़ डी ब्लॉक में 2.372 और टीकमगढ़ के ब्लॉक में 16.152 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कारपोरेशन हीरे की तलाश करेगी.

खनिज विभाग को पहले देनी होगी सूचना
एमईसीएल संचालक को खनन का कार्य शुरू करने के पहले खनिज विभाग को सूचना देनी होगी. हीरे की तलाश और इसके सर्वे के लिए हीरा खनन के लिए दो साल का समय निर्धारित किया गया है. अगर यह कार्य इस निर्धारित समय तक पूरा नहीं हुआ तो इसकी अवधि तीन साल के लिए बढ़ाई जा सकती है. एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन जरूरत के हिसाब से भूमि स्वामी की सहमति प्राप्त करेगा, और उसके बाद ही क्षेत्र में सर्वे कार्य शुरू कर सकेंगे. यदि भूमि वन क्षेत्र की है तो वन भूमि में खनन के लिए वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (no objection certificate) लेना होगा. निगम प्रतिबंधात्मक क्षेत्रों में किसी तरह का सर्वे कार्य नहीं कर सकेगा. निगम को संबंधित क्षेत्र में खनन के लिए पहले संबंधित जिला कलेक्टर से अनुमति लेना जरूरी होगा.

दूसरे दिन भी हुई हीरों की ताबड़तोड़ नीलामी, सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहा 26.11 कैरेट का हीरा

बक्सवाहा में विरोध के चलते नहीं हो पाया खनन शुरू
छतरपुर के बक्सवाहा तहसील में 3.42 करोड़ कैरेट हीरा होने के तथ्य सर्वेक्षण के बाद मिले थे. सर्वेक्षण को 20 साल पहले ऑस्ट्रेलियन कंपनी रियो टिंटो ने किया था, इसे निकालने के लिए कंपनी ने करीब 900 हेक्टेयर जमीन की मांग की थी. हालांकि इस जमीन पर करीब 11 लाख पेड़ के काटे जाने की आशंका के बाद इसको लेकर स्थानीय स्तर पर जमकर विरोध हुआ था. पैसे निकालने का काम आदित्य बिरला समूह में सबसे ऊंची बोली लगाकर 50 साल के लिए लीज पर अपने नाम किया था. इसके लिए कंपनी को करीबन 2500 करोड़ रुपए खर्च करने थे, लेकिन विरोध और प्रक्रियाओं के चलते यह उत्खनन कार्य शुरू नहीं हो सका. (Mining work done in Chhatarpur for diamonds)

भोपाल। मध्य प्रदेश के छतरपुर के बक्सवाहा में हीरे को लेकर उत्खनन कार्य भले ही शुरू ना हो पाया हो, लेकिन प्रदेश के दो और जिलों में हीरे की तलाश शुरू हो गई है. प्रदेश के टीकमगढ़ और छतरपुर में हीरे की तलाश के लिए मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन को खनन के अधिकार दिए गए हैं. कारपोरेशन क्षेत्र में अगले 2 साल तक खनन किया जाएगा. खनिज विभाग ने इसके लिए निगम को अनुमति दे दी है.

टीकमगढ़ छतरपुर में खोजा जाएगा हीरा
छतरपुर के अंगिरा ए ब्लॉक में 1.862 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हीरे की खोज की जाएगी. इसके अलावा छतरपुर के ही अंगिरा बी ब्लॉक में 4.049 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हीरे की खोज होगी. इसी तरह टीकमगढ़ ए ब्लॉक में 10.897 वर्ग किलोमीटर, टीकमगढ़ बी ब्लॉक में 9.993 वर्ग किलोमीटर, टीकमगढ़ सी ब्लॉक में 38.822 वर्ग किलोमीटर, टीकमगढ़ डी ब्लॉक में 2.372 और टीकमगढ़ के ब्लॉक में 16.152 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कारपोरेशन हीरे की तलाश करेगी.

खनिज विभाग को पहले देनी होगी सूचना
एमईसीएल संचालक को खनन का कार्य शुरू करने के पहले खनिज विभाग को सूचना देनी होगी. हीरे की तलाश और इसके सर्वे के लिए हीरा खनन के लिए दो साल का समय निर्धारित किया गया है. अगर यह कार्य इस निर्धारित समय तक पूरा नहीं हुआ तो इसकी अवधि तीन साल के लिए बढ़ाई जा सकती है. एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन जरूरत के हिसाब से भूमि स्वामी की सहमति प्राप्त करेगा, और उसके बाद ही क्षेत्र में सर्वे कार्य शुरू कर सकेंगे. यदि भूमि वन क्षेत्र की है तो वन भूमि में खनन के लिए वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (no objection certificate) लेना होगा. निगम प्रतिबंधात्मक क्षेत्रों में किसी तरह का सर्वे कार्य नहीं कर सकेगा. निगम को संबंधित क्षेत्र में खनन के लिए पहले संबंधित जिला कलेक्टर से अनुमति लेना जरूरी होगा.

दूसरे दिन भी हुई हीरों की ताबड़तोड़ नीलामी, सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहा 26.11 कैरेट का हीरा

बक्सवाहा में विरोध के चलते नहीं हो पाया खनन शुरू
छतरपुर के बक्सवाहा तहसील में 3.42 करोड़ कैरेट हीरा होने के तथ्य सर्वेक्षण के बाद मिले थे. सर्वेक्षण को 20 साल पहले ऑस्ट्रेलियन कंपनी रियो टिंटो ने किया था, इसे निकालने के लिए कंपनी ने करीब 900 हेक्टेयर जमीन की मांग की थी. हालांकि इस जमीन पर करीब 11 लाख पेड़ के काटे जाने की आशंका के बाद इसको लेकर स्थानीय स्तर पर जमकर विरोध हुआ था. पैसे निकालने का काम आदित्य बिरला समूह में सबसे ऊंची बोली लगाकर 50 साल के लिए लीज पर अपने नाम किया था. इसके लिए कंपनी को करीबन 2500 करोड़ रुपए खर्च करने थे, लेकिन विरोध और प्रक्रियाओं के चलते यह उत्खनन कार्य शुरू नहीं हो सका. (Mining work done in Chhatarpur for diamonds)

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