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देशभर के दलित वोटर्स को साधने में जुटी BJP, अनुसूचित जाति मोर्चा ने 75 हजार दलित बस्तियों में शुरु किया संपर्क अभियान

पीएम मोदी के जन्मदिन से बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा दलितों की बस्तियों में जाकर मोदी सरकार के कामकाज और दलितों के लिए जो मोदी ने किया है, उसका गुणगान कर रहे हैं. इसके साथ ही विरोधियों ने उनके लिए कुछ नहीं किया, इस रणनीति के तहत बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा ने देश की 75 हजार बस्तियों को चुना है और वहां पर मोर्चे की टीम ने काम करना शुरु कर दिया है. (BJP Scheduled Caste Morcha) (BJP Scheduled Caste Morcha connectivity campaign)

BJP Scheduled Caste Morcha connectivity campaign
75 हजार दलित बस्तियों में संपर्क अभियान शुरु
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Published : Oct 4, 2022, 10:07 AM IST

Updated : Oct 4, 2022, 10:59 AM IST

भोपाल। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा ने देश भर में बस्ती संपर्क अभियान शुरू किया है, इस अभियान के दौरान मोर्चा कार्यकर्ता दलित बस्तियों में जा रहे हैं और लोगों को भाजपा की सरकारों द्वारा दलितों के हित में किए गए काम और कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दलों की कारगुजारियों की जानकारी दे रहे हैं. भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का कहना है, कांग्रेस पार्टी दलितों के लिए नारे तो लगाते रही, लेकिन उनके लिए काम कुछ नहीं किया. मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का कहना है कि देश में दलित बस्तियों में जाकर मोदी ने जो इस वर्ग को दिया है, अभी तक किसी भी पार्टी ने उनके लिए ऐसा काम नहीं किया. पूरे देश में 75 हजार बस्तियों को चिन्हित किया है, वहीं मध्यप्रदेश में 30 हजार बस्तियों में जाकर संपर्क अभियान शुुरु हो चुका है. (BJP Scheduled Caste Morcha)

देशभर के दलित वोटर्स को साधने में जुटी भाजपा

70 दिनों में 75000 बस्तियों में प्रचार: आर्य ने कहा कि, यह अभियान संविधान दिवस, 26 नवंबर तक चलेगा, 70 दिनों के इस अभियान में मोर्चा के कार्यकर्ता देश के कोने तक जाकर दलित बस्तियों में संपर्क कर रहे हैं. इसके लिए देश के 30 प्रांतों के 871 जिलों में पांच लोगों की संपर्क टीम बनाई जा चुकी है और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है. मोर्चा की टीम दलित बस्तियों में संपर्क के अलावा देश के 7500 छात्रावासों में भी संपर्क कर रही है, इसके साथ ही अनुसूचित जाति के बुद्धिजीवियों के सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे.

BJP Scheduled Caste Morcha
देशभर के दलित वोटर्स को साधने में जुटी बीजेपी

दलितों में बढ़ा भाजपा के प्रति विश्वास: आर्य ने कहा कि, "पं. बंगाल एवं पांच राज्यों के चुनाव के दौरान जो सर्वे हुए थे, वो बताते हैं कि देश भर में दलितों का विश्वास भारतीय जनता पार्टी की सरकार के प्रति बढ़ा है. उत्तरप्रदेश में एक बड़ा बदलाव यह आया है कि वहां भाजपा को दलित समाजों के 48 प्रतिशत वोट मिले, इसी तरह पं. बंगाल में दलितों का 60 प्रतिशत वोट भाजपा को मिला."

connectivity campaign in 75 thousand Dalit settlements
75 हजार दलित बस्तियों में संपर्क अभियान शुरु

देश में 18 प्रतिशत से ज्यादा है दलित: देश में दलितों का प्रतिशत करीब 18 प्रतिशत है , हाल ही में यूपी चुनावों में बसपा से ये वोट बैंक छिटकर बीजेपी के खेमे में चला गया जिसका नतीजा रहा है कि बीजेपी ने वहां पर अपार सफलता हासिल की, तो वहीं अब 2024 को देखते हुए बीजेपी ने अपने इस मोर्चे को देश की दलित बस्तियों में भेजना शुरु कर दिया है .

चुनाव से पहले दलितों को साधने की कवायद, भीमराव की जयंती पर कांग्रेस-भाजपा ने बनाया प्लान, करेंगे यह कार्यक्रम

दलित वोट की नाराजी से बीजेपी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था: 2018 में देश भर में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर हिंसा भड़की थी. मप्र का ग्वालियर चंबल सबसे ज्यादा प्रभावित रहा. दरअसल ग्वालियर-चंबल अंचल में विधानसभा की 34 सीटें आती हैं, जिनमें से 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 34 में से 26 सीटें जीत ले गयी थी. खास बात यह है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 7 सीटों में 6 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था, जबकि बीजेपी को केवल 1 ही सीट मिली थी, हालांकि प्रदेश में हुए उपचुनाव के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 7 सीटों में 5 सीटों पर बीजेपी और 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन फिर भी ग्वालियर चंबल की 34 सीटों में से कई सीटों पर दलित वोट बैंक सबसे अहम माना जाता है. (BJP Scheduled Caste Morcha connectivity campaign)

दलित वोट अहम: मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग करीब 18 फीसदी है, 35 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं जो राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर सीधा असर करता है. 2013 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो 2018 के नतीजे बीजेपी के लिए नुकसानदायक रहे. 2013 की तुलना में अनुसूचित जाति वर्ग की 10 सीटों का नुकसान भाजपा को हुआ था, जबकि कांग्रेस को फायदा इसलिए दलित वर्ग को खुश रखना बेहद जरूरी है. भाजपा ने अभी से तैयारियों शुरु कर दी हैं.

भोपाल। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा ने देश भर में बस्ती संपर्क अभियान शुरू किया है, इस अभियान के दौरान मोर्चा कार्यकर्ता दलित बस्तियों में जा रहे हैं और लोगों को भाजपा की सरकारों द्वारा दलितों के हित में किए गए काम और कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दलों की कारगुजारियों की जानकारी दे रहे हैं. भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का कहना है, कांग्रेस पार्टी दलितों के लिए नारे तो लगाते रही, लेकिन उनके लिए काम कुछ नहीं किया. मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का कहना है कि देश में दलित बस्तियों में जाकर मोदी ने जो इस वर्ग को दिया है, अभी तक किसी भी पार्टी ने उनके लिए ऐसा काम नहीं किया. पूरे देश में 75 हजार बस्तियों को चिन्हित किया है, वहीं मध्यप्रदेश में 30 हजार बस्तियों में जाकर संपर्क अभियान शुुरु हो चुका है. (BJP Scheduled Caste Morcha)

देशभर के दलित वोटर्स को साधने में जुटी भाजपा

70 दिनों में 75000 बस्तियों में प्रचार: आर्य ने कहा कि, यह अभियान संविधान दिवस, 26 नवंबर तक चलेगा, 70 दिनों के इस अभियान में मोर्चा के कार्यकर्ता देश के कोने तक जाकर दलित बस्तियों में संपर्क कर रहे हैं. इसके लिए देश के 30 प्रांतों के 871 जिलों में पांच लोगों की संपर्क टीम बनाई जा चुकी है और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है. मोर्चा की टीम दलित बस्तियों में संपर्क के अलावा देश के 7500 छात्रावासों में भी संपर्क कर रही है, इसके साथ ही अनुसूचित जाति के बुद्धिजीवियों के सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे.

BJP Scheduled Caste Morcha
देशभर के दलित वोटर्स को साधने में जुटी बीजेपी

दलितों में बढ़ा भाजपा के प्रति विश्वास: आर्य ने कहा कि, "पं. बंगाल एवं पांच राज्यों के चुनाव के दौरान जो सर्वे हुए थे, वो बताते हैं कि देश भर में दलितों का विश्वास भारतीय जनता पार्टी की सरकार के प्रति बढ़ा है. उत्तरप्रदेश में एक बड़ा बदलाव यह आया है कि वहां भाजपा को दलित समाजों के 48 प्रतिशत वोट मिले, इसी तरह पं. बंगाल में दलितों का 60 प्रतिशत वोट भाजपा को मिला."

connectivity campaign in 75 thousand Dalit settlements
75 हजार दलित बस्तियों में संपर्क अभियान शुरु

देश में 18 प्रतिशत से ज्यादा है दलित: देश में दलितों का प्रतिशत करीब 18 प्रतिशत है , हाल ही में यूपी चुनावों में बसपा से ये वोट बैंक छिटकर बीजेपी के खेमे में चला गया जिसका नतीजा रहा है कि बीजेपी ने वहां पर अपार सफलता हासिल की, तो वहीं अब 2024 को देखते हुए बीजेपी ने अपने इस मोर्चे को देश की दलित बस्तियों में भेजना शुरु कर दिया है .

चुनाव से पहले दलितों को साधने की कवायद, भीमराव की जयंती पर कांग्रेस-भाजपा ने बनाया प्लान, करेंगे यह कार्यक्रम

दलित वोट की नाराजी से बीजेपी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था: 2018 में देश भर में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर हिंसा भड़की थी. मप्र का ग्वालियर चंबल सबसे ज्यादा प्रभावित रहा. दरअसल ग्वालियर-चंबल अंचल में विधानसभा की 34 सीटें आती हैं, जिनमें से 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 34 में से 26 सीटें जीत ले गयी थी. खास बात यह है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 7 सीटों में 6 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था, जबकि बीजेपी को केवल 1 ही सीट मिली थी, हालांकि प्रदेश में हुए उपचुनाव के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 7 सीटों में 5 सीटों पर बीजेपी और 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन फिर भी ग्वालियर चंबल की 34 सीटों में से कई सीटों पर दलित वोट बैंक सबसे अहम माना जाता है. (BJP Scheduled Caste Morcha connectivity campaign)

दलित वोट अहम: मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग करीब 18 फीसदी है, 35 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं जो राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर सीधा असर करता है. 2013 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो 2018 के नतीजे बीजेपी के लिए नुकसानदायक रहे. 2013 की तुलना में अनुसूचित जाति वर्ग की 10 सीटों का नुकसान भाजपा को हुआ था, जबकि कांग्रेस को फायदा इसलिए दलित वर्ग को खुश रखना बेहद जरूरी है. भाजपा ने अभी से तैयारियों शुरु कर दी हैं.

Last Updated : Oct 4, 2022, 10:59 AM IST
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