ETV Bharat / city

MP उपचुनावः बीजेपी-कांग्रेस को अपनों से ज्यादा गैरों पर भरोसा ! - कमलनाथ ग्वालियर दौरे पर पहुंचे

मध्य प्रदेश में उपचुनाव का रोमांच अब बढ़ने लगा है. आज बीजेपी की पूर्व विधायक पारुल साहू कांग्रेस में शामिल हो गयी. अब तक बीजेपी के कई नेता कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं. कांग्रेस भी इन नेताओं पर भरोसा जता रही है. तो बीजेपी भी सभी 25 पूर्व विधायकों को टिकिट देने का मन बना चुकी है. यानि इस बार के उपचुनाव में दोनों पार्टियां अपनो से ज्यादा गैरों पर भरोसा जता रहे हैं.

bhopal news
अपनों से ज्यादा गैरों पर भरोसा !
author img

By

Published : Sep 18, 2020, 7:13 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे उपचुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे प्रदेश की सियासत का चेहरा तेजी से बदल रहा है. अब तो हाल यह है कि राजनीतिक दलों को अपनों से ज्यादा गैरों पर भरोसा होने लगा है. यह बात विधानसभा के उपचुनाव के उम्मीदवारों के चयन में साफ नजर भी आ रही है.

प्रदेश में कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों के दल-बदल करने से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी, जिससे बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी. इसके बाद तीन और तत्कालीन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया. वर्तमान में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं है. बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए जहां 9 विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करना है, वहीं कांग्रेस को सभी 28 स्थानों पर जीत हासिल करनी होगी, तभी उसे पूर्ण बहुमत हासिल हो पाएगा.

दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं पर जता रहे भरोसा

आगामी समय में होने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. यही कारण है कि दोनों ही दल जीत के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. बीजेपी जहां दल-बदल करने वाले सभी 25 पूर्व विधायकों को उम्मीदवार बनाने जा रही है. तो दूसरी ओर कांग्रेस भी बसपा और बीजेपी से आ रहे नेताओं को उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचक रही. कांग्रेस ने पिछले दिनों पंद्रह उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें पांच से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार हैं जो बसपा और बीजेपी से कांग्रेस में आए हैं.

जीत को बनाया गया लक्ष्य

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि वर्तमान दौर में राजनीतिक दलों के लिए विचारधारा और सिद्धांत के कोई मायने नहीं बचे हैं. अगर किसी चीज का मतलब है तो वह है चुनाव जीतने का. यही कारण है कि राजनीतिक दल किसी को भी अपना उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचकते. बीजेपी को सत्ता में लाने में जिन विधायकों ने मदद की है. उन्हें उम्मीदवार बनाने में पार्टी को कुछ भी गलत नहीं लगता. इसी तरह दूसरे दलों से आए नेताओं के प्रत्याशी बनाने में कांग्रेस भी परहेज नहीं कर रही है.

कांग्रेस के प्रदेश सचिव श्रीधर शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने उम्मीदवार चयन के लिए तीन स्तर पर सर्वेक्षण कराया है. जिन नेताओं के पक्ष में सर्वेक्षण रिपोर्ट आई है, उसे ही उम्मीदवार बनाया जा रहा है. पार्टी के लिए पहला लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है, क्योंकि बीजेपी ने प्रदेश का जनमत खरीदा है. प्रदेश की जनता भी कमलनाथ की सरकार को गिराने वालों को सबक सिखाने को तैयार है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे उपचुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे प्रदेश की सियासत का चेहरा तेजी से बदल रहा है. अब तो हाल यह है कि राजनीतिक दलों को अपनों से ज्यादा गैरों पर भरोसा होने लगा है. यह बात विधानसभा के उपचुनाव के उम्मीदवारों के चयन में साफ नजर भी आ रही है.

प्रदेश में कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों के दल-बदल करने से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी, जिससे बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी. इसके बाद तीन और तत्कालीन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया. वर्तमान में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं है. बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए जहां 9 विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करना है, वहीं कांग्रेस को सभी 28 स्थानों पर जीत हासिल करनी होगी, तभी उसे पूर्ण बहुमत हासिल हो पाएगा.

दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं पर जता रहे भरोसा

आगामी समय में होने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. यही कारण है कि दोनों ही दल जीत के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. बीजेपी जहां दल-बदल करने वाले सभी 25 पूर्व विधायकों को उम्मीदवार बनाने जा रही है. तो दूसरी ओर कांग्रेस भी बसपा और बीजेपी से आ रहे नेताओं को उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचक रही. कांग्रेस ने पिछले दिनों पंद्रह उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें पांच से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार हैं जो बसपा और बीजेपी से कांग्रेस में आए हैं.

जीत को बनाया गया लक्ष्य

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि वर्तमान दौर में राजनीतिक दलों के लिए विचारधारा और सिद्धांत के कोई मायने नहीं बचे हैं. अगर किसी चीज का मतलब है तो वह है चुनाव जीतने का. यही कारण है कि राजनीतिक दल किसी को भी अपना उम्मीदवार बनाने में नहीं हिचकते. बीजेपी को सत्ता में लाने में जिन विधायकों ने मदद की है. उन्हें उम्मीदवार बनाने में पार्टी को कुछ भी गलत नहीं लगता. इसी तरह दूसरे दलों से आए नेताओं के प्रत्याशी बनाने में कांग्रेस भी परहेज नहीं कर रही है.

कांग्रेस के प्रदेश सचिव श्रीधर शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने उम्मीदवार चयन के लिए तीन स्तर पर सर्वेक्षण कराया है. जिन नेताओं के पक्ष में सर्वेक्षण रिपोर्ट आई है, उसे ही उम्मीदवार बनाया जा रहा है. पार्टी के लिए पहला लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है, क्योंकि बीजेपी ने प्रदेश का जनमत खरीदा है. प्रदेश की जनता भी कमलनाथ की सरकार को गिराने वालों को सबक सिखाने को तैयार है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.