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रानी कमलापति के किले की सूरत बदलने की आस, देखें फिलहाल किस हालत में है किला

राजधानी भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अब इसे रानी कमलनापति के नाम पर रख दिया गया है. रानी कमलापति के सम्मान में सरकार की तरफ से ये बड़ा फैसला लिया गया. इसी के साथ अब उम्मीद जागी है कि रानी के किले की तस्वीर भी बदलेगी. लेकिन फिलहाल यह किला खंडहर में तब्दील हो चुका है. ईटीवी भारत ने जाकर किले की स्थिति जानी, और लोगों से इस संबंध में बात भी किया.

किस हालत में है किला
किस हालत में है किला
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Published : Nov 17, 2021, 9:43 PM IST

भोपाल। इन दिनों गोंड रानी कमलापति का नाम चर्चाओं में है. वजह भी है क्योंकि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व स्तरीय रेल्वे स्टेशन को उनका नाम दिया गया है. तो वहीं दूसरी तरफ रानी का किला जर्जर हालत में है. जनजातीय योद्धाओं के शौर्य और पराक्रम से देश को अवगत कराने के लिए शुरु हुई मुहिम से उम्मीद की जाने लगी है कि खंडहर में बदलते किले को भी नया जीवन मिलेगा.

किस हालत में है किला

गोंड रानी कमलापति की शौर्यगाथा आज भी लोगों को रोमांचित कर देती है, क्योंकि उन्होंने राज्य और जिंदगी बचाने के लिए समझौता नहीं किया. जब उन्हें अपनी इज्जत पर आंच आते दिखी तो उन्होंने जल समाधि ले ली थी.

राजधानी का करीबी जिला है सीहोर, यहां स्थित है गिन्नौरगढ़. जहां के किले पर गोंड राजाओं का आधिपत्य रहा है. गोंड राजाओं ने 750 गांवों को मिलाकर गिन्नौरगढ़ राज्य बनाया, जो देहलावाड़ी के पास आता है. गोंड राजा निजाम शाह की सात पत्नियां थीं, जिनमें कमलापति सबसे सुंदर थीं. रानी कमलापति भोपाल की अंतिम गोंड आदिवासी और हिंदू रानी थीं.

सीहोर रियासत के सलकनुपर के राजा कृपाल सिंह सरौतिया थे, यह बात है 16वीं शताब्दी की. उनकी बेटी की सुंदरता को देखते हुए उसका नाम कमलापति रखा गया. वह बहुत बुद्धिमान और साहसी थी और शिक्षा, घुड़सवारी, मल्लयुद्ध, तीर-कमान चलाने में उन्हें महारत हासिल थी. लिहाजा राजा कृपाल सिंह ने सलकनपुर राज्य की देखरेख करने की पूरी जिम्मेदारी राजकुमारी कमलापति को दे दी, जो आक्रमणकारियों से लोहा लेकर अपने राज्य की रक्षा करती रहीं.

राजा कृपाल सिंह का रिश्ते का भांजा चैन सिंह कमलापति से विवाह करना चाहता था, मगर ऐसा हो न सका. राजा सुराज सिंह शाह (सलाम) के पुत्र निजाम शाह, जो बहुत बहादुर, निडर और हर कार्य-क्षेत्र में निपुण थे, उन्हीं से रानी कमलापति का विवाह हुआ. उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम नवल शाह था. आगे चलकर चैन सिंह ने जहर देकर निजामशाह की हत्या कर दी. फिर चैन सिंह ने रानी को पाने के लिए गिन्नौरगढ़ पर हमला बोल दिया. रानी कमलापति ने उस समय अपने कुछ वफादारों और 12 वर्षीय बेटे नवलशाह के साथ भोपाल में बने इस महल में छुप जाने का निर्णय लिया. इसी दौरान भोपाल की सीमा के पास कुछ अफगानियों ने जगदीशपुर (इस्लाम नगर) पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में ले लिया था. इन अफगानों का सरदार दोस्त मोहम्मद खान था, जो पैसा लेकर किसी की तरफ से भी युद्ध लड़ता था. लोक मान्यता है कि रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद को एक लाख मुहरें देकर चैन सिंह पर हमला करने को कहा.

रानी कमलापति किला
रानी कमलापति किला

दोस्त मोहम्मद ने गिन्नौरगढ़ के किले पर हमला कर दिया, जिसमें चैनसिंह मारा गया और किले को हड़प लिया गया. उसके बाद दोस्त मोहम्मद नियत बदली और उसने सम्पूर्ण भोपाल की रियासत पर कब्जा करना चाहा, उसने रानी कमलापति को अपने हरम (धर्म) में शामिल होने और शादी करने का प्रस्ताव रखा. दोस्त मोहम्मद खान के इस नापाक इरादे को देखते हुए रानी कमलापति का 14 वर्षीय बेटा नवल शाह अपने 100 लड़ाकों के साथ लाल घाटी में युद्ध करने चला गया. इस घमासान युद्ध में दोस्त मोहम्मद खान ने नवल शाह को मार दिया. इस स्थान पर इतना खून बहा कि यहां की जमीन लाल हो गई और इसी कारण इसे लाल घाटी कहा जाने लगा.

पहले दोस्त मोहम्मद ने गिन्नौरगढ़ के किले पर कब्जा किया, फिर नवलशाह की जान ली और रानी कमलापति को शादी का प्रस्ताव दिया. इन विषम परिस्थति को देखते हुए रानी ने अपनी इज्जत को बचाने के लिए वर्तमान दौर के छोटा तालाब के रूप में महल की समस्त धन-दौलत, जेवरात, आभूषण डालकर स्वयं वर्ष 1723 में जल-समाधि ले ली.

रानी कमलापति का गिन्नौरगढ़ का किला तब से देखभाल के अभाव में वक्त गुजरने के साथ खस्ता हाल होता जा रहा है. बीते लगभग तीन शताब्दी में इस किले ने खंडहर का रुप ले लिया हैं. देश की आजादी के बाद कई सरकारें आईं और गईं, मगर इस किले के हाल नहीं बदला.

जनजातीय वर्ग को शौर्य और गौरव गाथाओं से आमजनों को परिचित कराने के लिए भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन से नई शुरुआत हुई है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे और उन्होंने इस वर्ग के नायकों को उचित सम्मान दिलाने का वादा किया. साथ ही राजधानी के आधुनिक और विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन का नाम भी गोंड रानी कमलापति के नाम रखा गया है.

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वहीं गोंड रानी कमलापति के गिन्नौरगढ़ के महल की भी हर तरफ चर्चा है, क्योंकि वह खंडहर में बदल रहा है. कांग्रेस के विचार विभाग के प्रमुख भूपेंद्र गुप्ता ने तो इस किले की तस्वीर को साझा करते हुए तंज कसा, क्या रानी-कमलापति-रेलवे-स्टेशन के वीआइपी कक्ष में रानी के गिन्नौर-महल की यह तस्वीर भी नहीं लगानी चाहिये. ताकि रानी के इतिहास को बचाने 17 साल की भाजपाईयों की मेहनत का परिणाम पता चले.

आम लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के भोपाल आगमन और जनजातीय वर्ग के नायकों को सम्मान दिलाने के लिए शुरु हुई पहल के चलते रानी कमलापति के गिन्नौरगढ़ के किले की तस्वीर भी अब बदलेगी.

(इनपुट-आईएएनएस)

भोपाल। इन दिनों गोंड रानी कमलापति का नाम चर्चाओं में है. वजह भी है क्योंकि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व स्तरीय रेल्वे स्टेशन को उनका नाम दिया गया है. तो वहीं दूसरी तरफ रानी का किला जर्जर हालत में है. जनजातीय योद्धाओं के शौर्य और पराक्रम से देश को अवगत कराने के लिए शुरु हुई मुहिम से उम्मीद की जाने लगी है कि खंडहर में बदलते किले को भी नया जीवन मिलेगा.

किस हालत में है किला

गोंड रानी कमलापति की शौर्यगाथा आज भी लोगों को रोमांचित कर देती है, क्योंकि उन्होंने राज्य और जिंदगी बचाने के लिए समझौता नहीं किया. जब उन्हें अपनी इज्जत पर आंच आते दिखी तो उन्होंने जल समाधि ले ली थी.

राजधानी का करीबी जिला है सीहोर, यहां स्थित है गिन्नौरगढ़. जहां के किले पर गोंड राजाओं का आधिपत्य रहा है. गोंड राजाओं ने 750 गांवों को मिलाकर गिन्नौरगढ़ राज्य बनाया, जो देहलावाड़ी के पास आता है. गोंड राजा निजाम शाह की सात पत्नियां थीं, जिनमें कमलापति सबसे सुंदर थीं. रानी कमलापति भोपाल की अंतिम गोंड आदिवासी और हिंदू रानी थीं.

सीहोर रियासत के सलकनुपर के राजा कृपाल सिंह सरौतिया थे, यह बात है 16वीं शताब्दी की. उनकी बेटी की सुंदरता को देखते हुए उसका नाम कमलापति रखा गया. वह बहुत बुद्धिमान और साहसी थी और शिक्षा, घुड़सवारी, मल्लयुद्ध, तीर-कमान चलाने में उन्हें महारत हासिल थी. लिहाजा राजा कृपाल सिंह ने सलकनपुर राज्य की देखरेख करने की पूरी जिम्मेदारी राजकुमारी कमलापति को दे दी, जो आक्रमणकारियों से लोहा लेकर अपने राज्य की रक्षा करती रहीं.

राजा कृपाल सिंह का रिश्ते का भांजा चैन सिंह कमलापति से विवाह करना चाहता था, मगर ऐसा हो न सका. राजा सुराज सिंह शाह (सलाम) के पुत्र निजाम शाह, जो बहुत बहादुर, निडर और हर कार्य-क्षेत्र में निपुण थे, उन्हीं से रानी कमलापति का विवाह हुआ. उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम नवल शाह था. आगे चलकर चैन सिंह ने जहर देकर निजामशाह की हत्या कर दी. फिर चैन सिंह ने रानी को पाने के लिए गिन्नौरगढ़ पर हमला बोल दिया. रानी कमलापति ने उस समय अपने कुछ वफादारों और 12 वर्षीय बेटे नवलशाह के साथ भोपाल में बने इस महल में छुप जाने का निर्णय लिया. इसी दौरान भोपाल की सीमा के पास कुछ अफगानियों ने जगदीशपुर (इस्लाम नगर) पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में ले लिया था. इन अफगानों का सरदार दोस्त मोहम्मद खान था, जो पैसा लेकर किसी की तरफ से भी युद्ध लड़ता था. लोक मान्यता है कि रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद को एक लाख मुहरें देकर चैन सिंह पर हमला करने को कहा.

रानी कमलापति किला
रानी कमलापति किला

दोस्त मोहम्मद ने गिन्नौरगढ़ के किले पर हमला कर दिया, जिसमें चैनसिंह मारा गया और किले को हड़प लिया गया. उसके बाद दोस्त मोहम्मद नियत बदली और उसने सम्पूर्ण भोपाल की रियासत पर कब्जा करना चाहा, उसने रानी कमलापति को अपने हरम (धर्म) में शामिल होने और शादी करने का प्रस्ताव रखा. दोस्त मोहम्मद खान के इस नापाक इरादे को देखते हुए रानी कमलापति का 14 वर्षीय बेटा नवल शाह अपने 100 लड़ाकों के साथ लाल घाटी में युद्ध करने चला गया. इस घमासान युद्ध में दोस्त मोहम्मद खान ने नवल शाह को मार दिया. इस स्थान पर इतना खून बहा कि यहां की जमीन लाल हो गई और इसी कारण इसे लाल घाटी कहा जाने लगा.

पहले दोस्त मोहम्मद ने गिन्नौरगढ़ के किले पर कब्जा किया, फिर नवलशाह की जान ली और रानी कमलापति को शादी का प्रस्ताव दिया. इन विषम परिस्थति को देखते हुए रानी ने अपनी इज्जत को बचाने के लिए वर्तमान दौर के छोटा तालाब के रूप में महल की समस्त धन-दौलत, जेवरात, आभूषण डालकर स्वयं वर्ष 1723 में जल-समाधि ले ली.

रानी कमलापति का गिन्नौरगढ़ का किला तब से देखभाल के अभाव में वक्त गुजरने के साथ खस्ता हाल होता जा रहा है. बीते लगभग तीन शताब्दी में इस किले ने खंडहर का रुप ले लिया हैं. देश की आजादी के बाद कई सरकारें आईं और गईं, मगर इस किले के हाल नहीं बदला.

जनजातीय वर्ग को शौर्य और गौरव गाथाओं से आमजनों को परिचित कराने के लिए भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन से नई शुरुआत हुई है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे और उन्होंने इस वर्ग के नायकों को उचित सम्मान दिलाने का वादा किया. साथ ही राजधानी के आधुनिक और विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन का नाम भी गोंड रानी कमलापति के नाम रखा गया है.

'युवराज' ने तलवार से काटा केक, 26 साल के हुए महाआर्यमन सिंधिया (Mahaaryaman Scindia), देखें जश्न का Video

वहीं गोंड रानी कमलापति के गिन्नौरगढ़ के महल की भी हर तरफ चर्चा है, क्योंकि वह खंडहर में बदल रहा है. कांग्रेस के विचार विभाग के प्रमुख भूपेंद्र गुप्ता ने तो इस किले की तस्वीर को साझा करते हुए तंज कसा, क्या रानी-कमलापति-रेलवे-स्टेशन के वीआइपी कक्ष में रानी के गिन्नौर-महल की यह तस्वीर भी नहीं लगानी चाहिये. ताकि रानी के इतिहास को बचाने 17 साल की भाजपाईयों की मेहनत का परिणाम पता चले.

आम लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के भोपाल आगमन और जनजातीय वर्ग के नायकों को सम्मान दिलाने के लिए शुरु हुई पहल के चलते रानी कमलापति के गिन्नौरगढ़ के किले की तस्वीर भी अब बदलेगी.

(इनपुट-आईएएनएस)

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