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Bhopal Diagnostic Kit RGPV: अब हजारों खर्च करने की जरूरत नहीं, जानें कैसे 50 रुपए में होगी कैंसर, डायबिटीज, कोरोना, लीवर की जांच

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Published : Dec 3, 2021, 6:31 PM IST

आरजीवीपी के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेस (Bhopal Diagnostic Kit RGPV) ने विभाग की विभागाध्यक्ष ने प्रोफेसर और स्टूडेंट की टीम की साथ मिलकर एक डायग्नोस्टिक टूल किट तैयार की है. कैंसर, डायबिटीज, कोरोना और लीवर से जुड़ी जांच के लिए ब्लड और स्वाब आदि लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह जांच चंद मिनटों में सांस का सेंपल लेकर की जा सकेंगी. इसके रिजल्ट के लिए भी लंबा इंतजार नहीं करना होगा.

cancer diabetes corona liver test will be done in mp 50 rupees
एमपी 50 रुपए में होगी कैंसर डायबिटीज कोरोना लीवर की जांच

भोपाल। कैंसर, डायबिटीज, कोरोना और लीवर से जुड़ी जांच के लिए ब्लड और स्वाब आदि लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह जांच चंद मिनटों में सांस का सेंपल लेकर की जा सकेंगी. इसके रिजल्ट के लिए भी लंबा इंतजार नहीं करना होगा. दरअसल, राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय (Bhopal Diagnostic Kit RGPV) के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेस विभाग की विभागाध्यक्ष ने प्रोफेसर और स्टूडेंट की टीम की साथ मिलकर यह डायग्नोस्टिक टूल किट तैयार की है और जल्द ही इसको पेटेंट किया जाएगा.

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सांस से होगी जांच

आरजीवीपी के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेस की एचओडी डाॅ. दीप्ति जैन ने बताया कि कोरोना के पहले फेज के दौरान जांच किट की कमी के देखते हुए इस विषय पर काम करना शुरू किया था, लेकिन इसे सिर्फ कोरोना की जांच तक सीमित नहीं रखा. उनकी कोशिश यही थी कि दूसरे बीमारियों की जांच सस्ती और जल्दी हो सके. इसी को ध्यान में रखते हुए साथी प्रोफेसर डाॅ. रामसिंह विश्नोई और एम फार्मा की स्टूडेंट वर्षा पांडेय और भावेश्वरी वाघ के साथ मिलकर एक वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड किट बनाई है. यह एक तरह का ब्रीथ एनालाइजर है, जिसकी मदद से सांस में मौजूद कपाउंड का एनालिसिस किया जाता है और उसके आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाता है.

ब्लड सेंपल की नहीं पड़ेगी जरूरत

एचओडी डाॅ. दीप्ति जैन बताती हैं कि इस किट के माध्यम से श्वांस संबंधी रोग के अलावा कोरोना, डायबिटीज, कैंसर, लीवर से जुड़ी बीमारियों का टेस्ट किया किया जा सकेगा. इसे संबंधित व्यक्ति के मुंह पर लगाकर सांस इसमें ली जाएगी, इसके बाद उसमें मौजूद कंपोनेंट का सेंसर के माध्यम से एनालिसिस किया जाएगा. इस किट से अभी तक करीब 200 से ज्यादा सेंपल लिए गए हैं, जिसके अच्छे रिजल्ट आए हैं. इस किट का उपयोग एक टेस्ट में ही किया जाता है, यानी एक किट से सिर्फ एक टेस्ट ही किया जा सकेगा, इसमें करीब 50 रुपए का खर्चा आएगा. टेस्टिंग किट के अच्छे रिजल्ट आने के बाद अब इसको पेटेंट कराने की तैयारी की जा रही है, इसके लिए अलग-अलग देशों में पेटेंट के लिए जल्द ही आवेदन लगाए जाएंगे.

भोपाल। कैंसर, डायबिटीज, कोरोना और लीवर से जुड़ी जांच के लिए ब्लड और स्वाब आदि लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह जांच चंद मिनटों में सांस का सेंपल लेकर की जा सकेंगी. इसके रिजल्ट के लिए भी लंबा इंतजार नहीं करना होगा. दरअसल, राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय (Bhopal Diagnostic Kit RGPV) के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेस विभाग की विभागाध्यक्ष ने प्रोफेसर और स्टूडेंट की टीम की साथ मिलकर यह डायग्नोस्टिक टूल किट तैयार की है और जल्द ही इसको पेटेंट किया जाएगा.

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सांस से होगी जांच

आरजीवीपी के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेस की एचओडी डाॅ. दीप्ति जैन ने बताया कि कोरोना के पहले फेज के दौरान जांच किट की कमी के देखते हुए इस विषय पर काम करना शुरू किया था, लेकिन इसे सिर्फ कोरोना की जांच तक सीमित नहीं रखा. उनकी कोशिश यही थी कि दूसरे बीमारियों की जांच सस्ती और जल्दी हो सके. इसी को ध्यान में रखते हुए साथी प्रोफेसर डाॅ. रामसिंह विश्नोई और एम फार्मा की स्टूडेंट वर्षा पांडेय और भावेश्वरी वाघ के साथ मिलकर एक वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड किट बनाई है. यह एक तरह का ब्रीथ एनालाइजर है, जिसकी मदद से सांस में मौजूद कपाउंड का एनालिसिस किया जाता है और उसके आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाता है.

ब्लड सेंपल की नहीं पड़ेगी जरूरत

एचओडी डाॅ. दीप्ति जैन बताती हैं कि इस किट के माध्यम से श्वांस संबंधी रोग के अलावा कोरोना, डायबिटीज, कैंसर, लीवर से जुड़ी बीमारियों का टेस्ट किया किया जा सकेगा. इसे संबंधित व्यक्ति के मुंह पर लगाकर सांस इसमें ली जाएगी, इसके बाद उसमें मौजूद कंपोनेंट का सेंसर के माध्यम से एनालिसिस किया जाएगा. इस किट से अभी तक करीब 200 से ज्यादा सेंपल लिए गए हैं, जिसके अच्छे रिजल्ट आए हैं. इस किट का उपयोग एक टेस्ट में ही किया जाता है, यानी एक किट से सिर्फ एक टेस्ट ही किया जा सकेगा, इसमें करीब 50 रुपए का खर्चा आएगा. टेस्टिंग किट के अच्छे रिजल्ट आने के बाद अब इसको पेटेंट कराने की तैयारी की जा रही है, इसके लिए अलग-अलग देशों में पेटेंट के लिए जल्द ही आवेदन लगाए जाएंगे.

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