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जनार्दन मिश्रा की राह नहीं आसान, सड़क-पानी नहीं होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश

गोकुल गांव अंबा की स्थिति बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा के उन दावों की पोल खोलती है, जो वह कई मंचों से देते रहते हैं. इधर बुनियादी सुविधाओं से महरूम गांववालों में भारी आक्रोश है.

ग्रामीणों में आक्रोश
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Published : Apr 20, 2019, 3:17 PM IST

रीवा। फिलहाल चुनावी मौसम है. नेता वोट मांगने पांच सालों बाद लोगों के बीच पहुंच रहे हैं. लोगों को विकास के नाम पर कई ख्वाब दिखाए जा रहे हैं. ऐसे ही कुछ ख्वाब पिछले चुनाव के वक्त रीवा के लोगों को दिखाए गये थे, जो हवा-हवाई साबित हुए हैं. यही वजह है कि जिले के गोकुल गांव अंबा के ग्रामीणों को आज भी जरूरी सुविधाओं का इंतजार है.

ग्रामीणों में आक्रोश

गोकुल गांव अंबा की स्थिति बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा के उन दावों की पोल खोलती है जो वह कई मंचों से देते रहते हैं. ये गांव जलसंकट से भी बेहाल है. स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है. शिक्षा व्यवस्था से लेकर सड़कों तक सभी की हालत खराब है. इससे ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि वह क्षेत्र के सांसद को ही नहीं पहचानते. ग्रामीणों ने आज तक सांसद महोदय का चेहरा नहीं देखा है. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ लोग वोट मांगने आते हैं, उसके बाद वह गांव की तरफ कभी रुख नहीं करते. गांव के सरपंच का कहना है कि अभी कुछ काम हो चुके हैं कुछ का काम चल रहा है.

रीवा जिले में कुल आठ विधानसभा सीटें रीवा, सेमरिया, गुढ़, देवतालाब, मनगंवा, मऊगंज, त्योंथर और सिरमौर हैं. वर्तमान में आठों सीट पर बीजेपी का कब्जा है. केंद्र सरकार होने के बावजूद यहां की हालत खस्ता है और ग्रामीण परेशान हैं. बीजेपी ने जनार्दन मिश्रा को एक बार फिर मैदान में उतारा है, ऐसे में ग्रामीणों की नाराजगी उनकी राह को मुश्किल बना सकती है.

रीवा। फिलहाल चुनावी मौसम है. नेता वोट मांगने पांच सालों बाद लोगों के बीच पहुंच रहे हैं. लोगों को विकास के नाम पर कई ख्वाब दिखाए जा रहे हैं. ऐसे ही कुछ ख्वाब पिछले चुनाव के वक्त रीवा के लोगों को दिखाए गये थे, जो हवा-हवाई साबित हुए हैं. यही वजह है कि जिले के गोकुल गांव अंबा के ग्रामीणों को आज भी जरूरी सुविधाओं का इंतजार है.

ग्रामीणों में आक्रोश

गोकुल गांव अंबा की स्थिति बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा के उन दावों की पोल खोलती है जो वह कई मंचों से देते रहते हैं. ये गांव जलसंकट से भी बेहाल है. स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है. शिक्षा व्यवस्था से लेकर सड़कों तक सभी की हालत खराब है. इससे ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि वह क्षेत्र के सांसद को ही नहीं पहचानते. ग्रामीणों ने आज तक सांसद महोदय का चेहरा नहीं देखा है. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ लोग वोट मांगने आते हैं, उसके बाद वह गांव की तरफ कभी रुख नहीं करते. गांव के सरपंच का कहना है कि अभी कुछ काम हो चुके हैं कुछ का काम चल रहा है.

रीवा जिले में कुल आठ विधानसभा सीटें रीवा, सेमरिया, गुढ़, देवतालाब, मनगंवा, मऊगंज, त्योंथर और सिरमौर हैं. वर्तमान में आठों सीट पर बीजेपी का कब्जा है. केंद्र सरकार होने के बावजूद यहां की हालत खस्ता है और ग्रामीण परेशान हैं. बीजेपी ने जनार्दन मिश्रा को एक बार फिर मैदान में उतारा है, ऐसे में ग्रामीणों की नाराजगी उनकी राह को मुश्किल बना सकती है.

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रीवा। जिले के गोकुल गांव अंबा की स्थिति राजनेताओं के दावे की पोल खोलती नजर आ रही है. गांव में न ही पानी की व्यवस्था है और न ही स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था है. विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था से गांव की सड़के तक गांव के रहवासियों की दक्कतों को साझा करती है. 

ग्रामीणों से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होने बताया कि वह अपने क्षेत्र के सांसद को ही नहीं पहचानते और न ही आज तक उन्होने उनका चेहरा देखा है. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ लोग बस वोट मांगने आते हैं उसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं रहता. वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि अभी कुछ काम हो चुके है वहीं कुछ कार्यरत हैं लेकिन इसकी पोल गांव की स्थिति खुद बयां करती है.

रीवा जिले में कुल आठ विधानसभा सीटें रीवा, सेमरिया, गुढ़, देवतालाब, मनगंवा, मऊगंज, त्योंथर और सिरमौर है. वर्तमान में आठों सीट पर बीजेपी का कब्जा है. केंद्र सरकार होने के बावजूद यहां की हालत खस्ता है और ग्रामीण परेशान है.


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