खरगोन। मध्यप्रदेश के निमाड़ मालवा और राजस्थान में मनाए जाने वाला पर्व गणगौर की शुरुआत हो गई है. चैत्र माह की तीज को मनाया जाने वाला यह महापर्व एक महोत्सव रूप में संपूर्ण मध्यप्रदेश निमाड़- मालवांचल में अपनी अनूठी छटा बिखेरता है. इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलाएं शिवजी और पार्वती जी की पूजा करती हैं.
गणगौर पर्व को लेकर महिलाएं प्रतिदिन बगीचों में जाकर पाती खेल रही हैं. साथ ही महिलाएं दूल्हा-दुल्हन बनकर झालरिया गीत गा कर इस त्योहार का आंनद ले रही हैं. झालरिया खेलने आई अर्चना सोनी ने बताया कि यह पर्व परम्परागत तरीके से मनाया जाता है, जिसमे महिलाएं पाती खेलती है. यह चैत्र की नवरात्रि में मनाया जाता है. अभी माता बाड़ी में है, तब तक प्रतिदिन पाती खेली जाएगी. तीज के दिन माता को बेटी के रूप में घर लाते हैं और दो दिन बाद माता की विदाई की जाती है.
वहीं दुल्हन बनी सोनम सोनी ने बताया कि रनु बाई माता नाराज होकर अपने पीहर आ जाती है, तब उन्हें मनाने परिवार के सभी सदस्य आते हैं. पर वह ससुराल नहीं जाती हैं. लेकिन वहीं जब उनके पति धनियर राजा उन्हें प्यार से मनाने आते हैं, तब माता आंनदपूर्वक अपने ससुराल के लिए रवाना हो जाती हैं. बता दें गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं, वहीं विवाहिता महिलाएं गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.