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यूक्रेन संकट एक चेतावनी है, ऊर्जा व रक्षा जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते: गोयल

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Published : Mar 13, 2022, 4:04 PM IST

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Commerce and Industry Minister Piyush Goyal) ने रविवार को भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरू (IT Capital of India Bangalore) में एक स्टार्टअप पुरस्कार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन संकट भारत के लिए एक चेतावनी की तरह है. क्योंकि इसने दिखाया है कि हम अपनी ऊर्जा और सुरक्षा जरूरतों के लिए दूसरों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

पीयूष
piyush goyal

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के संकट के दौरान अभिनव समाधान शुरू करने के लिए भारतीय स्टार्टअप और उद्यमियों की सराहना की जानी चाहिए. गोयल ने उनसे ऊर्जा व रक्षा के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अन्य देशों पर देश की निर्भरता कम करने के लिए नवाचार करने का भी आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि वर्तमान युद्ध संकट में भी कई अवसर मिल सकते हैं. वर्तमान यूक्रेन-रूस संकट हम सभी के लिए एक वेक अप कॉल है, जो यह बताता है कि कच्चे तेल और रक्षा उपकरणों पर निर्भरता नहीं होनी चाहिए. गोयल ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध रविवार को 18वें दिन में प्रवेश कर गया और तमाम कूटनीतिक प्रयासों और रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के बावजूद युद्ध जारी है. यह युद्ध भले ही यूरोप में हो रहा है लेकिन दुनिया का कोई भी देश युद्ध के प्रतिकूल आर्थिक, राजनीतिक और राजनयिक प्रभाव से अछूता नहीं है.

मानवीय संकट

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने कहा कि इससे पहले यह एक मानवीय संकट था क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने कीव, खार्किव और सुमी में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए विपरीत हालातों में काम किया. क्योंकि बड़ी संख्या में छात्र, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे.

बढ़ती ऊर्जा कीमतें

अब भारतीय अधिकारी युद्ध के गंभीर आर्थिक परिणामों से जूझ रहे हैं क्योंकि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के दौरान कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई, फिर 130 डॉलर प्रति बैरल को छू गई, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है. कच्चे तेल की आसमान छूती कीमतों का भारत जैसे शुद्ध ऊर्जा आयातक देश के लिए गंभीर आर्थिक परिणाम हैं. जो अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का 85% से अधिक और विदेशों से गैस की आवश्यकता का आधे से अधिक आयात करता है.

रूसी आक्रमण के जवाब में अमेरिका, यूरोपीय देशों और उनके सहयोगियों ने रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे अन्य देशों के लिए रूसी संघ के साथ व्यापार करना मुश्किल हो गया है. यह प्रतिबंध रूसी रक्षा आपूर्ति को भी पटरी से उतार सकते हैं. रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों का खतरा पहले से ही भारत जैसे देश के लिए जोखिम का कारण है क्योंकि यह रूसी रक्षा उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर करता है.

यह भी पढ़ें- ukraine crisis : उच्चस्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में मारे गए नवीन के पार्थिव शरीर को लाने का निर्देश दिया

जिसमें आधुनिक युद्धक टैंक जैसे कि टी-72 और टी-90, सुखोई-30, मिग-29, जेट, सबमरीन और एमकेआई जैसे फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान शामिल हैं. पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंध भारत को रूसी एस-400 मिसाइल रक्षा बैटरी की डिलीवरी में नई चुनौतियां पेश करेंगे और पहले से शामिल रक्षा उपकरणों के लिए स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति भी मुश्किल हो जाएगी.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के संकट के दौरान अभिनव समाधान शुरू करने के लिए भारतीय स्टार्टअप और उद्यमियों की सराहना की जानी चाहिए. गोयल ने उनसे ऊर्जा व रक्षा के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अन्य देशों पर देश की निर्भरता कम करने के लिए नवाचार करने का भी आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि वर्तमान युद्ध संकट में भी कई अवसर मिल सकते हैं. वर्तमान यूक्रेन-रूस संकट हम सभी के लिए एक वेक अप कॉल है, जो यह बताता है कि कच्चे तेल और रक्षा उपकरणों पर निर्भरता नहीं होनी चाहिए. गोयल ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध रविवार को 18वें दिन में प्रवेश कर गया और तमाम कूटनीतिक प्रयासों और रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के बावजूद युद्ध जारी है. यह युद्ध भले ही यूरोप में हो रहा है लेकिन दुनिया का कोई भी देश युद्ध के प्रतिकूल आर्थिक, राजनीतिक और राजनयिक प्रभाव से अछूता नहीं है.

मानवीय संकट

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने कहा कि इससे पहले यह एक मानवीय संकट था क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने कीव, खार्किव और सुमी में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए विपरीत हालातों में काम किया. क्योंकि बड़ी संख्या में छात्र, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे.

बढ़ती ऊर्जा कीमतें

अब भारतीय अधिकारी युद्ध के गंभीर आर्थिक परिणामों से जूझ रहे हैं क्योंकि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के दौरान कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई, फिर 130 डॉलर प्रति बैरल को छू गई, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है. कच्चे तेल की आसमान छूती कीमतों का भारत जैसे शुद्ध ऊर्जा आयातक देश के लिए गंभीर आर्थिक परिणाम हैं. जो अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का 85% से अधिक और विदेशों से गैस की आवश्यकता का आधे से अधिक आयात करता है.

रूसी आक्रमण के जवाब में अमेरिका, यूरोपीय देशों और उनके सहयोगियों ने रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे अन्य देशों के लिए रूसी संघ के साथ व्यापार करना मुश्किल हो गया है. यह प्रतिबंध रूसी रक्षा आपूर्ति को भी पटरी से उतार सकते हैं. रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों का खतरा पहले से ही भारत जैसे देश के लिए जोखिम का कारण है क्योंकि यह रूसी रक्षा उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर करता है.

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जिसमें आधुनिक युद्धक टैंक जैसे कि टी-72 और टी-90, सुखोई-30, मिग-29, जेट, सबमरीन और एमकेआई जैसे फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान शामिल हैं. पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंध भारत को रूसी एस-400 मिसाइल रक्षा बैटरी की डिलीवरी में नई चुनौतियां पेश करेंगे और पहले से शामिल रक्षा उपकरणों के लिए स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति भी मुश्किल हो जाएगी.

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