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सिंघु बॉर्डर पर युवक की हत्या करने वाले एक निहंग सिख ने किया आत्मसमर्पण - nihang surrenders before police in singhu murder case

हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर युवक की हत्या के मामले में एक निंहग सिख ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. बताया जा रहा है कि एक ने कलाई काटी थी और दूसरे ने पैर काटे थे और उसके शव को टांग दिया था.

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Published : Oct 15, 2021, 7:32 PM IST

Updated : Oct 15, 2021, 9:00 PM IST

सोनीपत : सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर युवक की बर्बर हत्या के मामले में बड़ी खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि इस मामले में एक निंहग सिख का नाम सामने आया है. जानकारी के मुताबिक एक ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है.

वहीं जानकारी ये भी है कि निहंग ने कबूल किया है कि उनमें से एक ने युवक की कलाई काटी थी और दूसरे ने पैर काटे थे और उसके शव को टांग दिया था. बता दें कि गुरुवार देर रात दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर एक शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई.

जब शुक्रवार की सुबह आंदोलनकारियों ने मुख्य मंच के पास युवक का शव लटका देखा, तो हड़कंप मच गया. इस घटना के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने का भी बयान सामने आया था कि हमें जानकारी मिली है कि सिंधु मोर्चा पर पंजाब के एक व्यक्ति जिसका नाम लखबीर सिंह, पुत्र दर्शन सिंह का अंग भंग कर उसकी हत्या कर दी गई.

सिंघु बॉर्डर पर युवक हत्या मामले में दो निहंग सिखों ने किया आत्म समर्पण, देखिए वीडियो

इस घटना के लिए घटनास्थल के एक निहंग समूह/ग्रुप ने जिम्मेवारी ले ली है और यह कहा है कि ऐसा उस व्यक्ति द्वारा सरबलोह ग्रंथ की बेअदबी करने की कोशिश की गई है. खबर है कि यह मृतक उसी समूह/ग्रुप के साथ पिछले कुछ समय से था.

संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी किया कि इस नृशंस हत्या की निंदा करते हुए यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस घटना के दोनों पक्षों, इस निहंग समूह/ग्रुप या मृतक व्यक्ति, का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा था कि हम किसी भी धार्मिक ग्रंथ या प्रतीक की बेअदबी के खिलाफ हैं, लेकिन इस आधार पर किसी भी व्यक्ति या समूह को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है. किसान नेताओं ने कहा कि हम यह मांग करते हैं कि इस हत्या और बेअदबी के षड़यंत्र के आरोप की जांच कर दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दी जाए.

शुरू से समझिए पूरा मामला

गुरुवार को सिंघु बॉर्डर पर 35 साल के शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई. हत्या का आरोप निहंगों (Nihangs killed man Singhu Border) पर लगा है. इस पूरे मामले में कई वीडियो पर सोशल मीडिया पर वायरल (Video viral man death on Singhu border) हो रहे हैं. एक वीडियो में निहंग दावा कर रहे हैं कि इस शख्स को साजिश के तहत यहां भेजा गया था. जिसने भी इसको भेजा पूरी ट्रेनिंग के साथ भेजा था.

यह भी पढ़ें-सिंघु-कुंडली बॉर्डर पर युवक की बेरहमी से हत्या, हाथ काटकर शव को लटकाया

वीडियो में ये भी दावा किया जा रहा है कि शख्स ने यहां पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप की बेअदबी करने की कोशिश की. जैसे ही निहंगों को इसका पता चला तो उन्होंने शख्स को पकड़ लिया. घसीटते हुए निहंग शख्स को मंच के पास ले गए.

जहां निहंगों ने शख्स से पूछताछ की. शख्स से पूछा गया कि उसे किसने भेजा, कितने रुपये दिए और उसके गांव का नाम क्या है. खबर है कि इस दौरान निहंगों ने शख्स का हाथ कलाई से काट दिया. निहंगों ने शख्स का पैर भी काटा. वीडियो में निहंग इसका दावा भी करते सुनाई दे रहे हैं.

किसे होते हैं निहंग सिख?

मुगलों के समय के सिख योद्धाओं के बीच एक खास सेना थी, जो 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा के निर्माण के लिए बनाई गई थी और तब से उनकी शुरुआत या उत्पत्ति माना जाता है. इसके सदस्यों को ही निहंग कहा जाता है. ये वैरागी या तपस्वी की तरह रहते रहते हैं, जो छावनियों में रहते हैं और गुरू ग्रंथ साहिब की रक्षा के लिए जाने जाते हैं. इन्हें योद्धा के तौर पर देखा जाता है, जो पूर्ण रूप से दसम गुरुओं के आदेशों के लिए हर समय तत्पर रहते हैं. दसम गुरुओं के काल में ये सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी होते थे. उन्होंने इतिहास में मुगलों से लेकर अफगानों तक लड़ाई लड़ी है.

ऐसा माना जाता है कि सिख धर्म के लिए निहंग सिख अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना “सिख” और “गुरु ग्रंथ साहिब” की आखिरी सांस तक रक्षा करते हैं. इनकी पहचान योद्धाओं के तौर पर ही है और गुरु गोबिंद सिंह के समय से ही कई जंग जीती है. बता दें कि अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली के हमलों के दौरान निहंगों ने भयंकर प्रतिरोध किया था और उससे जंग लड़ी थी. महाराजा रणजीत सिंह की सरकार-ए-खालसा का श्रेय निहंग योद्धाओं को ही दिया जाता है.

हालांकि, साल 1849 में सरकार-ए-खालसा के अंग्रेजों के पतन से निहंग प्रभाव कम हो गया. मगर, अंग्रेजों ने सिख सैन्य परंपराओं को आधुनिक सिख रेजिमेंट में शामिल किया था. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, संस्कृत और पारसी में अलग-अलग मतलब बताए गए हैं. हालांकि, श्री गुरु ग्रंथ साहिब में निहंग का मतलब एक जिद्दी निडर व्यक्ति के तौर पर है. इनमें भी अलग अलग दल होते हैं, जिसमें तरुण दल, बुड्ढा दल आदि शामिल है. मानवता की रक्षा और धर्म की कट्टरता का पालन करते हुए इन्‍हें मार्शल आर्ट के साथ युद्ध की अन्‍य कौशल कला की शिक्षा दी जाती है.

निहंग कैसै होते हैं?

आपने देखा होगा कि निहंग सिख हमेशा नीले रंग के कपड़ों में रहते हैं. इसके अलावा उनके साथ बड़ा तेग (भाला) या तलवार होती है. वे हमेशा नीली या केसरी पगड़ी बांधे दिखाई देते हैं. साथ ही पगड़ी पर भी चांद तोरा लगा होता है. हाथ में कड़ा पहने होते हैं. कमर पर कटार होती है. कई सिख ढाल भी रखते हैं. उनका योद्धाओं की जैसा पहनावा होता है.

सोनीपत : सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर युवक की बर्बर हत्या के मामले में बड़ी खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि इस मामले में एक निंहग सिख का नाम सामने आया है. जानकारी के मुताबिक एक ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है.

वहीं जानकारी ये भी है कि निहंग ने कबूल किया है कि उनमें से एक ने युवक की कलाई काटी थी और दूसरे ने पैर काटे थे और उसके शव को टांग दिया था. बता दें कि गुरुवार देर रात दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर एक शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई.

जब शुक्रवार की सुबह आंदोलनकारियों ने मुख्य मंच के पास युवक का शव लटका देखा, तो हड़कंप मच गया. इस घटना के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने का भी बयान सामने आया था कि हमें जानकारी मिली है कि सिंधु मोर्चा पर पंजाब के एक व्यक्ति जिसका नाम लखबीर सिंह, पुत्र दर्शन सिंह का अंग भंग कर उसकी हत्या कर दी गई.

सिंघु बॉर्डर पर युवक हत्या मामले में दो निहंग सिखों ने किया आत्म समर्पण, देखिए वीडियो

इस घटना के लिए घटनास्थल के एक निहंग समूह/ग्रुप ने जिम्मेवारी ले ली है और यह कहा है कि ऐसा उस व्यक्ति द्वारा सरबलोह ग्रंथ की बेअदबी करने की कोशिश की गई है. खबर है कि यह मृतक उसी समूह/ग्रुप के साथ पिछले कुछ समय से था.

संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी किया कि इस नृशंस हत्या की निंदा करते हुए यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस घटना के दोनों पक्षों, इस निहंग समूह/ग्रुप या मृतक व्यक्ति, का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा था कि हम किसी भी धार्मिक ग्रंथ या प्रतीक की बेअदबी के खिलाफ हैं, लेकिन इस आधार पर किसी भी व्यक्ति या समूह को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है. किसान नेताओं ने कहा कि हम यह मांग करते हैं कि इस हत्या और बेअदबी के षड़यंत्र के आरोप की जांच कर दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दी जाए.

शुरू से समझिए पूरा मामला

गुरुवार को सिंघु बॉर्डर पर 35 साल के शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई. हत्या का आरोप निहंगों (Nihangs killed man Singhu Border) पर लगा है. इस पूरे मामले में कई वीडियो पर सोशल मीडिया पर वायरल (Video viral man death on Singhu border) हो रहे हैं. एक वीडियो में निहंग दावा कर रहे हैं कि इस शख्स को साजिश के तहत यहां भेजा गया था. जिसने भी इसको भेजा पूरी ट्रेनिंग के साथ भेजा था.

यह भी पढ़ें-सिंघु-कुंडली बॉर्डर पर युवक की बेरहमी से हत्या, हाथ काटकर शव को लटकाया

वीडियो में ये भी दावा किया जा रहा है कि शख्स ने यहां पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप की बेअदबी करने की कोशिश की. जैसे ही निहंगों को इसका पता चला तो उन्होंने शख्स को पकड़ लिया. घसीटते हुए निहंग शख्स को मंच के पास ले गए.

जहां निहंगों ने शख्स से पूछताछ की. शख्स से पूछा गया कि उसे किसने भेजा, कितने रुपये दिए और उसके गांव का नाम क्या है. खबर है कि इस दौरान निहंगों ने शख्स का हाथ कलाई से काट दिया. निहंगों ने शख्स का पैर भी काटा. वीडियो में निहंग इसका दावा भी करते सुनाई दे रहे हैं.

किसे होते हैं निहंग सिख?

मुगलों के समय के सिख योद्धाओं के बीच एक खास सेना थी, जो 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा के निर्माण के लिए बनाई गई थी और तब से उनकी शुरुआत या उत्पत्ति माना जाता है. इसके सदस्यों को ही निहंग कहा जाता है. ये वैरागी या तपस्वी की तरह रहते रहते हैं, जो छावनियों में रहते हैं और गुरू ग्रंथ साहिब की रक्षा के लिए जाने जाते हैं. इन्हें योद्धा के तौर पर देखा जाता है, जो पूर्ण रूप से दसम गुरुओं के आदेशों के लिए हर समय तत्पर रहते हैं. दसम गुरुओं के काल में ये सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी होते थे. उन्होंने इतिहास में मुगलों से लेकर अफगानों तक लड़ाई लड़ी है.

ऐसा माना जाता है कि सिख धर्म के लिए निहंग सिख अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना “सिख” और “गुरु ग्रंथ साहिब” की आखिरी सांस तक रक्षा करते हैं. इनकी पहचान योद्धाओं के तौर पर ही है और गुरु गोबिंद सिंह के समय से ही कई जंग जीती है. बता दें कि अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली के हमलों के दौरान निहंगों ने भयंकर प्रतिरोध किया था और उससे जंग लड़ी थी. महाराजा रणजीत सिंह की सरकार-ए-खालसा का श्रेय निहंग योद्धाओं को ही दिया जाता है.

हालांकि, साल 1849 में सरकार-ए-खालसा के अंग्रेजों के पतन से निहंग प्रभाव कम हो गया. मगर, अंग्रेजों ने सिख सैन्य परंपराओं को आधुनिक सिख रेजिमेंट में शामिल किया था. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, संस्कृत और पारसी में अलग-अलग मतलब बताए गए हैं. हालांकि, श्री गुरु ग्रंथ साहिब में निहंग का मतलब एक जिद्दी निडर व्यक्ति के तौर पर है. इनमें भी अलग अलग दल होते हैं, जिसमें तरुण दल, बुड्ढा दल आदि शामिल है. मानवता की रक्षा और धर्म की कट्टरता का पालन करते हुए इन्‍हें मार्शल आर्ट के साथ युद्ध की अन्‍य कौशल कला की शिक्षा दी जाती है.

निहंग कैसै होते हैं?

आपने देखा होगा कि निहंग सिख हमेशा नीले रंग के कपड़ों में रहते हैं. इसके अलावा उनके साथ बड़ा तेग (भाला) या तलवार होती है. वे हमेशा नीली या केसरी पगड़ी बांधे दिखाई देते हैं. साथ ही पगड़ी पर भी चांद तोरा लगा होता है. हाथ में कड़ा पहने होते हैं. कमर पर कटार होती है. कई सिख ढाल भी रखते हैं. उनका योद्धाओं की जैसा पहनावा होता है.

Last Updated : Oct 15, 2021, 9:00 PM IST
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