शहडोल। जिला मुख्यालय से सटे कल्याणपुर ग्राम पंचायत में अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान का रेस्क्यू सेंटर है. यहां पर दूर-दूर से एक्सीडेंटल बीमार लावारिस लाचार मवेशियों को रेस्क्यू करके लाया जाता है. उनके ठीक होने तक उन्हें रेस्क्यू सेंटर में ही एडमिट करके उनकी देखभाल की जाती है. उपचार के बाद जब वह ठीक हो जाते हैं तो उन्हें छोड़ दिया जाता है. ये संस्थान पिछले कई साल से चल रहा है. अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के युवाओं की टीम लगातार अपनी रेस्क्यू भी बढ़ाती जा रही है. आसपास के जिलों में भी अब इसकी एक अलग पहचान बन चुकी है.(Shahdol Atal Kamdhenu Gauseva Sansthan)
5 साल पहले हुई इसकी शुरुआत: अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के फाउंडर मेंबर गौरव राही मिश्रा बताते हैं कि, इसकी शुरुआत साल 2017 में की गई थी. जब इसकी शुरुआत की गई थी तो उन्हें भी अंदाजा भी नहीं था कि ये इतना बढ़ जाएगा. टीम में 14 युवा हैं जो लगातार निस्वार्थ भाव से इस पुनीत कार्य को कर रहे हैं. पहले तो अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान की शुरुआत एक दो मवेशी जिन्हें रेस्क्यू कर लाये थे और एक तिरपाल से हुई थी, पहले गौ वंश का रेस्क्यू भी एक दो ही होता था, उन्हें भी अंदाजा नहीं था की बदलते वक्त के साथ मवेशियों पर क्रूरता इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी और एक्सीडेंटल केस इतने आने लग जाएंगे और अब तो हर दिन 9 से 10 मवेशियों का रेस्क्यू उनकी टीम को करना पड़ रहा है और लगातार उनके सेंटर में मवेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है.
वर्तमान में 100 से ज्यादा मवेशी: गौरव राही मिश्रा बताते हैं कि, अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान में वर्तमान में करीब 100 से ज्यादा गोवंश अभी हैं, जो उनकी टीम की देखरेख में हैं. उनका इलाज किया जा रहा है और उनके हर मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है. गौरव कहते हैं कि जब रेस्क्यू कर लाये गए गौ वंश स्वस्थ्य हो जाते हैं तो उन्हें छोड़ दिया जाता है. उसकी वजह ये है कि उनके पास भी सीमित संसाधन है और एक्सीडेंटल केस की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिसकी वजह से उन्हें में भी जगह खाली करनी पड़ती है. जिसके चलते उन्हें छोड़ना पड़ता है, लेकिन फिलहाल कोशिश रहती है कि जिन भी गौ वंश को इलाज की जरूरत है, जिनको देखभाल की जरूरत है, जिन गौवंश को सेवा की जरूरत है उनकी सेवा में हमारी टीम सदैव तत्पर रहती है.
अब तक 5 हजार से ज्यादा रेस्क्यू: अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के युवाओं की ये टीम पिछ्ले 5 सालों में अब तक 5000 से ज्यादा गौवंश का रेस्क्यू कर ही चुकी है. जिसमें कई अमुक पशु पक्षी कुत्ते बिल्ली बंदर घोड़ा खच्चर भी शामिल हैं. यह लगातार चलता ही जा रहा है. अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के युवा बताते हैं कि, वो शहडोल जिले में तो गोवंश का रेस्क्यू करने के साथ शहडोल संभाग के अनूपपुर और उमरिया जिला, रीवा संभाग में भी वो रेस्क्यू करने जाते हैं. कुछ दिन पहले रीवा से उन्होंने एक मवेशी को रेस्क्यू करके लाए हैं. जिसकी स्थिति बहुत दयनीय थी.
युवाओं की अपील डॉक्टर करें विजिट: अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के युवाओं ने अपील की है कि, वह लगातार इस कार्य को कर ही रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने संस्थान में पशु डॉक्टर जरूरत है. जो इस संस्थान में एक बार विजिट करे. अगर हर दिन एक बार डॉक्टर यहां विजिट करने लग जाएंगे तो और ज्यादा गोवंश की जान बचाई जा सकती है. हालांकि क्रिटिकल केसेस में डॉक्टर आते हैं. लेकिन इतने ज्यादा मवेशी जहां एडमिट हैं.वहां हर दिन अगर एक डॉक्टर कुछ समय के लिए ही विजिट कर ले तो बहुत से मवेशियों गोवंश की जान बचाई जा सकती है.
यहां युवा बेझिझक करते हैं गौसेवा: अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान को चलाने वाली युवाओं के हौसले काफी बुलंद हैं. कभी भी किसी भी वक्त तैयार रहते हैं. ऐसा नहीं है कि युवा कुछ भी नहीं करते इनमें से कई युवा नौकरी भी करते हैं और समय निकालकर गौवंश की सेवा भी करते हैं. जब भी जिसको समय मिलता है तो वह इस कार्य में जुट जाता है. (Shahdol Youth Fight Against Animal Aruelty)
आधी रात को भी रेस्क्यू करने को तैयार: अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान के युवा बताते हैं कि उन्होंने रेस्क्यू करने के लिए बकायदे अपना एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर रखा है. साथ ही कई गौ सेवकों के नंबर लोगों के पास ही है. जहां भी कभी भी उनको इस तरह की कोई चीजें दिखती हैं तो वह तुरंत फोन करते हैं और अगर रात को 2:00 बजे भी उनके पास फोन आता है तो वह रेस्क्यू करने के लिए तुरंत तैयार रहते हैं. रीवा बाणसागर जैसे दूर अंचल जगहों पर भी जाकर रेस्क्यू करके मवेशियों को गोवंश को लाकर वो यहां इलाज कर रहे हैं.
पशु क्रूरता के खिलाफ लड़ाई जारी: अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के गौरव राही मिश्रा बताते हैं कि पशु क्रूरता के खिलाफ उनकी टीम लगातार लड़ाई भी लड़ती रहती है. जहां भी उनको पशु क्रूरता जैसे केस दिखते हैं वहां उनकी टीम पहुंचती है. पशु क्रूरता करने वालों के खिलाफ 8 मुकदमे भी उनकी टीम लड़ रही है. साथ ही लोगों को गौवंश की रक्षा करने के लिए प्रेरित भी करते हैं. सड़कों पर हाईवे पर बैठने वाले गौवंश के लिए चाहे रेडियम पट्टी लगाना हो, हाइवे में होर्डिंग लगाना हो, उनकी सुरक्षा के लिए सरकार से गुहार लगानी हो, जहां भी गोवंश संकट में दिखते हैं सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ते हैं.
समाजसेवी करते हैं सहयोग: अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के युवा इतना बड़ा कार्य कर रहे हैं तो उसके लिए खर्च भी लगता होगा तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि पैसा आता कहां से है. अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान के युवा बताते हैं कि समाजसेवी उनकी मदद कर रहे हैं. लगातार उनकी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं. जहां उनको जरूरत पड़ती है तो वह समाजसेवी से गुहार भी लगाते हैं. इससे उनकी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं. हालांकि जिस तरह से यह संस्थान लगातार बढ़ता जा रहा है और रेस्क्यू वाले मवेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है. उसे देखते हुए भविष्य में संस्थान के युवाओं ने सरकार से अपील भी की है की उनके इस संस्थान को कुछ मदद दी जाए. जिससे ज्यादा से ज्यादा गोवंश की सुरक्षा सेवा की जा सके. क्योंकि अभी सरकार की ओर से इन्हें किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है.(Shahdol Atal Kamdhenu Gauseva Sansthan) (cows Rescue in MP) (Shahdol Gauseva Sansthan)