नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस बलों में 33 प्रतिशत महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के निर्देशों के बावजूद, उनमें से किसी ने भी लक्ष्य हासिल नहीं किया है (mha women state police). विडंबना यह है कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे आंध्र प्रदेश, मेघालय, तेलंगाना, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 3 से 6 प्रतिशत है.
'ईटीवी भारत' के पास मौजूद आंकड़े बताते हैं कि बिहार, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ही ऐसा है जहां महिला पुलिस अधिकारियों का अधिकतम प्रतिनिधित्व है. सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि बिहार में महिला पुलिस कर्मियों का प्रतिनिधित्व सबसे अधिक 25.30 प्रतिशत है.
सिविल, जिला सशस्त्र रिजर्व, विशेष सशस्त्र पुलिस और आईआरबी में कुल 92,862 महिला अधिकारी हैं, जिनके मुकाबले बिहार में पुलिस कर्मियों में 23,245 महिलाओं का प्रतिनिधित्व है.
इसी तरह, तमिलनाडु में पुलिस की कुल संख्या 1,12,745 के मुकाबले 20,861 महिलाएं हैं, जिसके बाद लद्दाख का स्थान आता है. पूरे यूटी में 1,673 पुलिस बलों की वास्तविक ताकत के मुकाबले, इसमें 309 महिला पुलिस कर्मियों का प्रतिनिधित्व है. विडंबना यह है कि पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्यों में महिला पुलिस प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है.
राज्यवार जानें क्या स्थिति
असम में कुल पुलिसकर्मियों की संख्या 71,608. यहां महिला पुलिस प्रतिनिधित्व 5434 (7.59 प्रतिशत). अरुणाचल प्रदेश में 12546 कुल पुलिस बल में 1087 महिला पुलिस प्रतिनिधित्व है यानी 8.66 प्रतिशत. मणिपुर में 29410 कुल पुलिस बल में 2676 महिला पुलिस कर्मी हैं मतलब 9.10 प्रतिशत.
इसी तरह मेघालय में 14760 कुल पुलिस बल में 852 महिला पुलिस कर्मी हैं यानी 9.10 प्रतिशत. मिजोरम में 8081 कुल पुलिस बल के मुकाबले 580 महिला पुलिस कर्मी हैं. यहां 7.18 प्रतिशत आंकड़ा है. नागालैंड में 28113 कुल पुलिस बल है, महिलाओं की संख्या 2739 है, जो 9.74 प्रतिशत है. सिक्किम में कुल 5678 पुलिस बल में 458 महिला पुलिस कर्मी हैं, ये करीब 8.07 प्रतिशत है. इसी तरह त्रिपुरा में 22791 कुल पुलिस बल में 1169 महिला पुलिस कर्मी हैं.
यहां यह उल्लेखनीय है कि पूरे भारत में कुल 20,91,488 पुलिस कर्मियों की वास्तविक संख्या के मुकाबले महिला पुलिस कर्मियों की वास्तविक संख्या 2,15,504 है जो केवल 10.30 प्रतिशत है. गृह मंत्रालय ने कई मौकों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महिला पुलिस के प्रतिनिधित्व को कुल संख्या का 33 प्रतिशत तक बढ़ाने की सलाह दी है. इस तरह की आखिरी एडवाइजरी पिछले साल 22 जून को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एमएचए द्वारा भेजी गई थी.
संसदीय समिति ने ये की सिफारिश
गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने हाल ही में गृह मामलों की एक संसदीय समिति को बताया कि एक महिला हेल्प डेस्क चौबीसों घंटे संचालित होती है. सभी राज्य सरकारों से पुरुष कांस्टेबलों के रिक्त पदों को मिलाकर महिला कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर के अतिरिक्त पद सृजित करने का अनुरोध किया गया है. उद्देश्य यह है कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन में कम से कम 3 महिला सब-इंस्पेक्टर और 10 महिला पुलिस कांस्टेबल हों.
पढ़ें- संसदीय समिति का सुझाव, महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना हो लागू
समिति ने एमएचए को सुझाव दिया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 33 प्रतिशत महिला पुलिस के प्रतिनिधित्व को वास्तविकता बनाने के लिए एक रोडमैप बनाएं. समिति ने कहा कि पुलिस में महिलाओं की नियुक्ति पुरुष आरक्षकों के अवकाश पदों को परिवर्तित करने की बजाय अतिरिक्त पद सृजित करके की जा सकती है. समिति ने सुझाव दिया कि रक्षा बलों से सबक लेकर पुलिस में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाने के साथ ही उन्हें महत्वपूर्ण व चुनौतीपूर्ण कामों की भी जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए.