जबलपुर। बरगी स्थित शासकीय आरोग्यम अस्पताल में इलाज के अभाव में हुई 5 साल के बच्चे की मौत के jabalpur death in hospital मामले में नया मोड आ गया है. इस मामले में क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक डॉ संजय मिश्रा ने बयान दिया है कि बच्चे के परिजन जब बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे तब वह मर चुका था. इससे पहले मृत बच्चे के परिजनों ने बुधवार को हॉस्पिटल में डॉक्टर और नर्स के न होने और समय पर इलाज ने मिल पाने के चलते बच्चे की मौत होने का आरोप लगाया था.
मामले की जांच रिपोर्ट आई: स्वास्थ्य केंद्र मे समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते बीते दिन एक 5 साल के मासूम ने की मौत के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश दिए थे. जिसपर कलेक्टर इलैयाराजा टी ने एसडीएम जबलपुर पीके सेनगुप्ता को जांच प्रभारी नियुक्त किया था. जांच के लिए डॉक्टरों की एक टीम गठित की गई थी. जांच के संबंध में एसडीएम जबलपुर पीके सेनगुप्ता ने बताया है कि बच्चे ऋषि पान्द्रे को उसके परिजन मृत अवस्था में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरगी लेकर पहुंचे थे.
- बच्चे के बांये पैर के घुटने पर जलने के दो-तीन दिन पुराने घाव थे और वह पिछले पांच-छह दिन से उल्टी-दस्त की बीमारी से ग्रसित था.
- जांच टीम का कहना है कि उस समय स्वास्थ्य केन्द्र में डॉ. लोकेश श्रीवास्तव मौजूद थे. डॉ. श्रीवास्तव ने मृत अवस्था में लाये गये बच्चे का विधिवत परीक्षण भी किया. इस दौरान उसकी आंखों की पुतलियां फैली हुई थीं तथा पल्स बंद पाई गई.
- अस्पताल के रजिस्टर में भी स्टॉफ नर्स द्वारा brought dead दर्ज किया गया थाय
- बच्चे के पिता को पोस्टमार्टम कराने कहा गया लेकिन उनके द्वारा मना कर दिया गया और शव को लेकर चले गये.
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मध्यप्रदेश के जबलपुर के बरगी की यह तस्वीरें बेहद ह्रदय विदारक है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 1, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
एक मासूम बालक स्वास्थ्य केन्द्र के बाहर अपनी माँ की गोद में तड़प-तड़प कर दम तोड़ देता है क्योंकि ना उसे डॉक्टर मिल पाया , ना इलाज मिल पाया। pic.twitter.com/bgfdsDtTRM
">मध्यप्रदेश के जबलपुर के बरगी की यह तस्वीरें बेहद ह्रदय विदारक है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 1, 2022
एक मासूम बालक स्वास्थ्य केन्द्र के बाहर अपनी माँ की गोद में तड़प-तड़प कर दम तोड़ देता है क्योंकि ना उसे डॉक्टर मिल पाया , ना इलाज मिल पाया। pic.twitter.com/bgfdsDtTRMमध्यप्रदेश के जबलपुर के बरगी की यह तस्वीरें बेहद ह्रदय विदारक है।
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एक मासूम बालक स्वास्थ्य केन्द्र के बाहर अपनी माँ की गोद में तड़प-तड़प कर दम तोड़ देता है क्योंकि ना उसे डॉक्टर मिल पाया , ना इलाज मिल पाया। pic.twitter.com/bgfdsDtTRM
मौके पर मौजूद नर्सों के भी दर्ज हुए बयान: प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरगी के स्टॉफ के दर्ज किये गये बयानों में उस दौरान अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि बच्चा पिछले 5-6 दिनों से उल्टी, दस्त की बीमारी से पीड़ित था.
- परिजनों द्वारा मिडकी, चरगंवा, गंगई और कोहला स्वास्थ्य केन्द्र और यहां तक कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडीकल कॉलेज और सुखसागर मेडीकल कॉलेज समीप होने के बावजूद प्राइवेट में कहीं अन्य जगह ईलाज कराया जा रहा था.
- 31 अगस्त को सुबह 8 बजे से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरगी में मौजूद एएनएम जयश्री मालवीय एवं सफाई कर्मी मुन्नी बाई ने अपने बयान में बताया कि बच्चे के पिता द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र में पर्ची भी बनवाई गई, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि बच्चा पूर्व से ही मृत है तब उनके द्वारा उस पर्ची को फाड़कर फेंक दिया गया.
MP Poor Health System मां की गोद में मासूम ने तोड़ा दम, पत्नी का तीजा व्रत होने के कारण अस्पताल नहीं पहुंचे डॉक्टर
परिजनों का आरोप मौजूद नहीं थे डॉक्टर : मासूम बच्चे की मौत के बाद से बच्चे राजकली और पिता संजय पान्द्रे का रो रो कर बुरा हाल है. 5 साल का ऋषि संजय और राजकली का इकलौता पुत्र था, लेकिन किस्मत ने उनके घर का इकलौता चिराग भी छीन लिया. बच्चे की मां राजकली का कहना है कि वह सुबह करीब 9 बजे बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे ते. दो घंटे इंतजार करने के बाद भी वहां कोई डॉक्टर नहीं आया. अस्पताल में मौजूद चपरासी ने डॉक्टर को फोन लगाकर बताया था कि एक इमरजेंसी केस आया है, लेकिन इसके 2 घंटे बीत जाने के बाद डॉक्टर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने बच्चे को देखा और कहा कि अब बहुत देर हो चुकी है आप बच्चे को घर ले जा सकते हैं.
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मैं सरकार से माँग करता हूँ कि इस मामले की जाँच हो , इसके दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो , पीड़ित परिवार की हर संभव मदद हो।
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डॉक्टर्स बोले आरोप निराधार: इस पूरे घटनाक्रम में क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक डॉ संजय मिश्रा का कहना है कि परिजन जो आरोप लगा रहे हैं वे पूरी तरह से निराधार हैं. उनका कहना है कि जब परिजन अपने बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे तो वहां पर एक डॉक्टर तैनात था. जिसने बच्चे की जांच भी की और वास्तिविक स्थिति बताई. डॉक्टर की समझाइश के बाद परिजन बच्चे को वापस अपने घर ले गए, लेकिन फिर कुछ लोगों के बहकावे में आकर फिर अस्पताल पहुंचे और आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे. खास बात है कि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति की बात से साफ इंकार कर रहे हैं.
स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल: बच्चे की मौत के मामले से आक्रोशित स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर आदिवासी गांव में स्वास्थ्य के नाम पर एक भी अस्पताल मौजूद नहीं है. जिसके लोगों को इलाज के लिए 30 किलोमीटर दूर चरगवां या 20 किलोमीटर दूर बरगी स्वास्थ्य केंद्र या जबलपुर तक जाना पड़ता है. आदिवासी अंचल में स्वास्थ सुविधाओं का बेहद बुरा हाल है. जिसका खामियाजा भोले-भाले लोगों को अपनी जान देकर चुकाना होता है. लोगों का आरोप है कि आदिवासियों के लिए सरकार तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन धरातल पर उनकी स्थिति कुछ और ही है.
कांग्रेस ने की जांच की मांग: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस पूरे मामले को शर्मनाक बताते हुए प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते हुए इस पूरे मामले भी जांच की मांग की है. उन्होंने सवाल उठाए की आए दिन सामने आ रही तस्वीरें प्रदेश के स्वास्थ्य सिस्टम पर सवालिया निशान लगा रही हैं.