ग्वालियर। अभी तक आपने पर्यावरण प्रेमी के बारे में पढ़ा और सुना है लेकिन ग्वालियर में एक ऐसी महिला जिसने अपने पूरे घर को घोंसले के रूप में तब्दील कर दिया. एक महिला ने अपने घर के कोने कोने में एक सैकड़ा से अधिक कृतिम घोंसले तैयार किए हैं जिसमें अब विलुप्त होते कई पक्षी आराम करने के लिए आते हैं. खास बात यह है कि महिला अब गौरैया संरक्षण के लिए लगातार प्रयास कर रही है और उनका यह प्रयास अब सार्थक होता नजर आ रहा है.
ऐसे मिली प्रेरणा: शहर के दीनदयाल नगर में रहने वाली साधना कोठारी पेशे हाउसवाइफ है और समाज सेवी का कार्य करती हैं. साधना कोठारी ने बताया कि घर की छत के जो फैन बॉक्स होते हैं उसमें किसी चिड़िया ने अपना घोंसला रख दिया था और अनजाने में वह घोंसला परिवार के किसी सदस्य ने हटा दिया. जिसमें चिड़िया के दो बच्चे रखे थे. वह भी गिर गए और उनकी मौत हो गई. इसे देखकर उनकी आत्मा को बेहद कष्ट हुआ और तभी से उन्होंने ठान लिया कि अब किसी भी पक्षी और उनके बच्चे को मरने नहीं देंगे.
बना दिए सैकड़ों घोंसले: उसके बाद उन्होंने अपने घर में एक घोंसला बनाया था और देखते ही देखते उस घोसले में चिड़िया और कुछ पक्षियों का आना शुरू हो गया. उसके बाद कुछ पक्षियों ने उस घोसले को अपना घर मान लिया. उसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपने घर मे घोंसला बनाना शुरू किया. उसके बाद इन घरों में अलग-अलग प्रकार के पछी आने लगे और कुछ पंछियों ने अपने बच्चों को जन्म भी दिया. उसके बाद साधना कोठारी का प्रेम इन पंछियों को लेकर इतना बढ़ गया कि उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक घर में हर कोने में अलग-अलग प्रकार के एक सैकड़ा से अधिक घोसले तैयार कर दिए ताकि आने वाले पंछी आराम से रह सके और खा सकें और वह अपना घर बना सके.
गौरैया संरक्षण का प्रयास: साधना कोठारी ने बताया है कि अब वह गौरैया को संरक्षण करने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं और उनके प्रयास को लगातार सफलता भी मिल रही है. इतना नहीं उन्होंने बताया कि गौरैया उनके घर में आती है और उन्होंने अपना बसेरा बना लिया है. उन्होंने बताया है कि गौरैया नहीं उनके घर को अपना घर बना दिया है. वर्तमान में 80 से 90 गोरैया उनके द्वारा बनाई गये कृतिम घोसलों में आ कर रह रही हैं. और खास बात यह है कि उन कृतिम घोसलों में अंडे देती हैं और कुछ दिनों बाद पूरे घर में पक्षियों की चहचहाहट गूंज उठती है जिससे मन प्रसन्न हो जाता है. उन्होंने बताया है कि इन घोसलों में कम से कम एक साल में 50 से 60 गोरिया के बच्चे जन्म लेते हैं.
पक्षियों की पार्टी: साधना कोठारी ने बताया है कि वह इन सभी गौरैया और अन्य पक्षियों को अपने बच्चों की तरह पार्टी है. उनका समय समय पर खाने-पीने का इंतजाम करती हैं. साथ ही मौसम के अनुकूल घोसलों के वातावरण को अनकूल रखती हैं. उनके लिए दाना पानी की व्यवस्था है हमेशा तैयार रहती हैं. उनका कहना है कि अब गौरैया सहित अन्य पक्षियों से उनका इतना प्रेम और स्नेह बढ़ गया है कि वह उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जाती हैं. साथ ही अब उनके साथ पूरा परिवार भी उनकी मदद करता है. खास बात यह है कि आसपास के लोग अब उनके घर को गौरैया हाउस के नाम से पुकारते हैं. उन्होंने बताया है कि गोरैया हमारे वातावरण से लगातार विलुप्त होती जा रही है ऐसे में उसका संरक्षण करना हमारी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है.