जबलपुर। एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के कंप्यूटर बीते 4 दिनों से बंद पड़े हुए हैं. पावर मैनेजमेंट कंपनी का सर्वर काम नहीं कर रहा है. एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के आईटी सेल ने इस समस्या को साइबर अटैक मानते हुए जबलपुर के गोरखपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई है. एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी मध्य प्रदेश की बिजली व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण कंपनी है. एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ही इस बात का ध्यान रखती है कि प्रदेश को कब, कहां और कितनी बिजली की जरूरत है और इसे कहां से पूरा किया जाएगा.
दरअसल बिजली के साथ एक बड़ी समस्या है कि इसको स्टोर नहीं किया जा सकता, इसलिए बिजली की आपूर्ति उसी समय की जाती है, जब बिजली बन रही होती है. देश भर में अलग-अलग बिजली उत्पादन संयंत्रों पर बिजली की उपलब्धता की जानकारी इंटरनेट के माध्यम से पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के कंप्यूटर पर आती रहती है. जिन कंपनियों से पावर मैनेजमेंट कंपनी का पावर परचेज एग्रीमेंट होता है. उनसे मैनेजमेंट कंपनी बिजली खरीद लेती है. इन्हीं कंप्यूटर पर बिजली की दरें भी दिखती रहती हैं और जहां सस्ती बिजली उपलब्ध होती है, उसे खरीदा जाता है.
4 दिन से इंटरनेट सेवाएं बंद: पावर मैनेजमेंट कंपनी केबल बिजली खरीदी का काम नहीं करती, बल्कि बिजली बेचने का काम भी करती है. मध्य प्रदेश के पास लगभग 6000 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है. कई बार इसमें से भी कुछ बिजली बच जाती है. इसे दूसरे प्रदेशों को बेचा जाता है. यह पूरा काम इंटरनेट के जरिए कंप्यूटर पर ही किया जाता है और यह खरीद बिक्री अरबों रुपयों की होती है, लेकिन इतने महत्वपूर्ण और बेहद जरूरी कारोबार के लिए कंप्यूटर का जो सिस्टम लगाया गया है. उसमें सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया और घरेलू कंप्यूटर्स की तरह की साइबर सिक्योरिटी का इस्तेमाल एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी कर रही है, इसलिए 4 दिन पहले जब इंटरनेट ने सेवाएं देना बंद की तब अधिकारियों ने इसे cyber-attack नहीं माना था.
साइबर अटैक: उनका मानना था कि कहीं कोई तार टूट गया है, लेकिन जब पूरे कनेक्शन चेक किए गए और वह सही पाए गए तब पता लगा कि किसी ने सिस्टम के साथ छेड़खानी की है. इसके बाद पहले पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के अधिकारियों ने खोजबीन जारी की, लेकिन इंटरनेट की व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पाई. तब समझ में आया कि यह सामान्य तकनीकी गड़बड़ी नहीं है, बल्कि किसी और ने एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी का सिस्टम खराब किया है. हालांकि पिछले साइबर हमलों की तरह कोई वायरस या कोई मैसेज जैसी पावर मैनेजमेंट कंपनी के कंप्यूटर पर नहीं आ रही है, लेकिन इसे साइबर अटैक ही माना गया है.
अधिकारियों की लापरवाही: मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी की आईटी की जिम्मेवारी रीता खेत्रपाल के पास है. रीता खेत्रपाल पावर मैनेजमेंट कंपनी में CGM IT के पद पर हैं, लेकिन उनकी डिग्री कंप्यूटर फील्ड की नहीं है और उनकी वे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग है. हमने रीता खेत्रपाल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने व्हाट्सएप पर एक मैसेज छोड़ कर अपनी जिम्मेदारी निभा दी और वे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुई.
जांच में लापरवाही: एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के ऊपर साइबर अटैक की शिकायत पावर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से जबलपुर के गोरखपुर थाने में की गई, जबकि गोरखपुर थाना साइबर अटैक जैसे मामलों को सुलझाने के लिए सक्षम नहीं है. गोरखपुर थाने ने इसे जबलपुर साइबर सेल को ट्रांसफर कर दिया. जबकि साइबर के बड़े हमलों की तहकीकात स्टेट साइबर सेल करती है और स्टेट साइबर सेल का दफ्तर पावर मैनेजमेंट कंपनी के ऑफिस से 10 कदम की दूरी पर था, लेकिन स्टेट साइबर के अधिकारी ने हमें बताया कि उनके पास शिकायत आई ही नहीं है.
आम आदमी को फिलहाल समस्या नहीं: एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी में आम आदमी से जुड़ा हुआ सीधी तौर पर कोई काम नहीं होता. आम उपभोक्ताओं का सीधा नाता विद्युत वितरण कंपनियों से होता है. विद्युत वितरण कंपनियों का सर्वर एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी से अलग है. इसलिए आम उपभोक्ता को इस मामले में परेशान होने की फिलहाल जरूरत नहीं है, लेकिन यदि एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी जैसी महत्वपूर्ण कंपनी पर साइबर हमला हो सकता है. इससे यह बात तय है कि बिजली से जुड़ी कंपनियों की साइबर सुरक्षा पुख्ता नहीं है और यह एक गंभीर मामला है.
पावर मैनेजमेंट कंपनी का काम पड़ा ठप: एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी केवल खरीद बिक्री का काम नहीं करती बल्कि अधिकारी कर्मचारियों की तनख्वाह बनाने का काम खरीद बिक्री से जुड़े हुए कई टेंडर और मध्य प्रदेश भर के बड़े अधिकारियों कि लिखा पढ़ी का काम पावर मैनेजमेंट कंपनी के सर्वर के जरिए ही होता था, जो फिलहाल ठप पड़ा हुआ है. पावर मैनेजमेंट कंपनी एक दूसरी निजी कंपनी से उधार पर इंटरनेट लेकर छोटे-मोटे काम चला रही है और अभी इसके ठीक होने की उम्मीद तुरंत नजर नहीं आ रही है. ऐसे में यदि मध्य प्रदेश की बिजली व्यवस्था गड़बड़ा जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.