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PM Modi Cheetah Project: तय हुई तारीख, 70 साल बाद 17 सितंबर से भारत से दिखेंगे चीते, PM मोदी कराएंगे कूनो नेशनल पार्क में प्रवेश - modi madhya pradesh visit program

करीब 70 साल बाद देश में 17 सितंबर को चीतों की वापसी होगी. नामीबिया से 6 चीते मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चीतों को 17 सितंबर को ही कूनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश कराएंगे. 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट की बैठक से पहले मंत्रियों को इस संबंध में जानकारी दी.

shivraj
सीएम शिवराज
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Published : Sep 6, 2022, 2:17 PM IST

Updated : Sep 6, 2022, 4:30 PM IST

भोपाल। कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीतों के स्वागत की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कूनो पहुंचने को लेकर भी तैयारियां तेज हो गई हैं. कूनो नेशनल पार्क में पांच हेलीपैड बनाए गए हैं. बताया जा रहा है कि इसमें से तीन हेलीपैड वीवीआइपी के लिए हैं. वहीं चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाए जाने को लेकर विशेषज्ञों की टीम 2 दिन पहले पार्क में निरीक्षण कर चुकी है. पार्क से विशेषज्ञों के निर्देश के बाद तीन तेंदुआ को भी पकड़ कर बाहर निकाल दिया गया है. (African cheetah MP) (pm modi cheetah project) (pm modi launch cheetah project on birthday) (mp cheeta project)

1952 से भारत में चीते विलुप्त : अब इंतजार कूनो में चीतों को लाए जाने को लेकर है. बता दें कि 1952 से भारत में चीते विलुप्त हो चुके हैं. मध्यप्रदेश में चीतों को इंटरकॉन्टिनेंटल ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट के तहत लाया जा रहा है. ये चीते नामीबिया से लाए जा रहे हैं, जिनकी संख्या 6 है. इसी तरह दक्षिण अफ्रीका और भारत सरकार के बीच भी समझौता अपने अंतिम चरण में है. भारतीय वन संस्थान के डीन बाईबी झाला इस पूरे कार्यक्रम को देख रहे हैं.

एमपी चीता प्रोजेक्ट

Waiting African cheetahs : 70 साल बाद अफ्रीकन चीतों का दीदार कर सकेंगे सैलानी, कूनो नेशनल पार्क में तैयारी

एअरलिफ्ट किए जाएंगे चीते : बताया जा रहा है कि चीतों को नामीबिया से मध्य प्रदेश तक एअरलिफ्ट करके लाया जाएगा. इन्हें नामीबिया से पहले ग्वालियर और बाद में सड़क मार्ग से कूनो नेशनल पार्क तक लेकर जाया जाएगा. ग्वालियर से कूनो की दूरी करीब 200 किलोमीटर है. इस तरह करीब साढे 8000 किलोमीटर की दूरी तय कर चीते 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे, जहां उन्हें अपना नया घर मिलेगा. ये भारत के लिए भी गर्व का मौका होगा. देश की धरती पर चीतों की नई बसाहट शुरु होगी और प्रजनन के बाद इनकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी. (pm modi kuno wildlife sanctury visit) (pm modi birthday 17 September cheetah arrival) (modi madhya pradesh visit program)

8 हजार 6 किमी तक 'उड़कर' आएंगे चीते: कूनों अभ्यारण्य की अपने नए घर तक आने के लिए चीतों को करीब साढे 8 हजार किलोमीटर का सफर तय करना होगा. चीतों को कमर्शियल फ्लाइट से नामीबिया से दिल्ली-ग्वालियर फिर सड़क मार्ग से कूनों पहुंचाया जाएगा.

  • नामीबिया से दिल्ली की हवाई मार्ग से दूरी 8 हजार 177 किलोमीटर है. हवाई मार्ग से चीतों को नामीबिया के विंडहॉक एयरपोर्ट से दिल्ली तक पहुंचने में करीब 12 घंटे लगेंगे.
  • दिल्ली से ग्वालियर की हवाई मार्ग की दूरी 323 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में 55 मिनिट लगेंगे.
  • ग्वालियर से कूनो तक सड़क मार्ग से ले जाने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा.

चीतों को शिकार के लिए मिलेगा चीतल: कूनो नशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा कहते हैं कि कूनो नेशनल पार्क में नरसिंहगढ़ से 177 और पेंच से 66 चीतलों को छोड़ा गया है. चीते इनका शिकार कर सकेंगे. चीते झुंड में भी शिकार करते हैं, इसलिए जो चीतल बड़े हैं, उनका वह एक साथ मिलकर और जो छोटे हैं उनका अकेले शिकार कर सकेंगे. हालांकि साउथ अफ्रीकन चीता हमेशा गजेल (चिंकारा) का ही शिकार करते हैं, इसलिए वे यहां पहली बार चीतल को देखेंगे. (mp cheeta project)

भोपाल। कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीतों के स्वागत की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कूनो पहुंचने को लेकर भी तैयारियां तेज हो गई हैं. कूनो नेशनल पार्क में पांच हेलीपैड बनाए गए हैं. बताया जा रहा है कि इसमें से तीन हेलीपैड वीवीआइपी के लिए हैं. वहीं चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाए जाने को लेकर विशेषज्ञों की टीम 2 दिन पहले पार्क में निरीक्षण कर चुकी है. पार्क से विशेषज्ञों के निर्देश के बाद तीन तेंदुआ को भी पकड़ कर बाहर निकाल दिया गया है. (African cheetah MP) (pm modi cheetah project) (pm modi launch cheetah project on birthday) (mp cheeta project)

1952 से भारत में चीते विलुप्त : अब इंतजार कूनो में चीतों को लाए जाने को लेकर है. बता दें कि 1952 से भारत में चीते विलुप्त हो चुके हैं. मध्यप्रदेश में चीतों को इंटरकॉन्टिनेंटल ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट के तहत लाया जा रहा है. ये चीते नामीबिया से लाए जा रहे हैं, जिनकी संख्या 6 है. इसी तरह दक्षिण अफ्रीका और भारत सरकार के बीच भी समझौता अपने अंतिम चरण में है. भारतीय वन संस्थान के डीन बाईबी झाला इस पूरे कार्यक्रम को देख रहे हैं.

एमपी चीता प्रोजेक्ट

Waiting African cheetahs : 70 साल बाद अफ्रीकन चीतों का दीदार कर सकेंगे सैलानी, कूनो नेशनल पार्क में तैयारी

एअरलिफ्ट किए जाएंगे चीते : बताया जा रहा है कि चीतों को नामीबिया से मध्य प्रदेश तक एअरलिफ्ट करके लाया जाएगा. इन्हें नामीबिया से पहले ग्वालियर और बाद में सड़क मार्ग से कूनो नेशनल पार्क तक लेकर जाया जाएगा. ग्वालियर से कूनो की दूरी करीब 200 किलोमीटर है. इस तरह करीब साढे 8000 किलोमीटर की दूरी तय कर चीते 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे, जहां उन्हें अपना नया घर मिलेगा. ये भारत के लिए भी गर्व का मौका होगा. देश की धरती पर चीतों की नई बसाहट शुरु होगी और प्रजनन के बाद इनकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी. (pm modi kuno wildlife sanctury visit) (pm modi birthday 17 September cheetah arrival) (modi madhya pradesh visit program)

8 हजार 6 किमी तक 'उड़कर' आएंगे चीते: कूनों अभ्यारण्य की अपने नए घर तक आने के लिए चीतों को करीब साढे 8 हजार किलोमीटर का सफर तय करना होगा. चीतों को कमर्शियल फ्लाइट से नामीबिया से दिल्ली-ग्वालियर फिर सड़क मार्ग से कूनों पहुंचाया जाएगा.

  • नामीबिया से दिल्ली की हवाई मार्ग से दूरी 8 हजार 177 किलोमीटर है. हवाई मार्ग से चीतों को नामीबिया के विंडहॉक एयरपोर्ट से दिल्ली तक पहुंचने में करीब 12 घंटे लगेंगे.
  • दिल्ली से ग्वालियर की हवाई मार्ग की दूरी 323 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में 55 मिनिट लगेंगे.
  • ग्वालियर से कूनो तक सड़क मार्ग से ले जाने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा.

चीतों को शिकार के लिए मिलेगा चीतल: कूनो नशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा कहते हैं कि कूनो नेशनल पार्क में नरसिंहगढ़ से 177 और पेंच से 66 चीतलों को छोड़ा गया है. चीते इनका शिकार कर सकेंगे. चीते झुंड में भी शिकार करते हैं, इसलिए जो चीतल बड़े हैं, उनका वह एक साथ मिलकर और जो छोटे हैं उनका अकेले शिकार कर सकेंगे. हालांकि साउथ अफ्रीकन चीता हमेशा गजेल (चिंकारा) का ही शिकार करते हैं, इसलिए वे यहां पहली बार चीतल को देखेंगे. (mp cheeta project)

Last Updated : Sep 6, 2022, 4:30 PM IST
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