ETV Bharat / bharat

MP Election 2023: ग्वालियर चंबल अंचल में मोदी मैजिक बेअसर, इन सीटों को जीतने के लिए अमित शाह बना रहे नई रणनीति

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत पक्की करने पार्टी कोई कमी नहीं करना चाहती. लिहाजा इस बार कई ऐसी सीटें जिस पर बीजेपी को जीत पाना किसी सपने से कम नहीं है. उन सीटों पर इस बार प्रदेश नेतृत्व नहीं बल्कि केंद्र से नजर रखी जा रही है. अमित शाह खुद एमपी आकर रणनीति तैयार कर रहे हैं.

MP Election 2023
मोदी मैजिक बेअसर
author img

By

Published : Jul 28, 2023, 10:59 PM IST

Updated : Jul 28, 2023, 11:08 PM IST

इन सीटों पर मोदी मैजिक बेअसर

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है और इसकी कमान खुद देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल रखी है. अमित शाह कांग्रेस को परास्त करने के लिए मध्यप्रदेश में आकर रणनीति तैयार कर रहे हैं, लेकिन चंबल अंचल में कांग्रेस के 7 ऐसे गढ़, जिनको राम, उमा, शिवराज और मोदी लहर में भी फतेह करना बीजेपी के लिए अभी तक सपना बना हुआ है. 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की मोदी-शिवराज लहर में भी इन किलों पर बीजेपी को शिकस्त मिली है. यही वजह है कि इन किलों पर चढ़ाई करने के लिए इस बार बीजेपी के शाह खुद सियासी बिछात बिछाने में लगे हैं, क्योंकि इस गढ़ों पर जीत के सहारे ही बीजेपी 2024 में कामयाबी का रास्ता बनाएगी.

इन सीटों पर जीत बीजेपी का सपना: शिवराज सिंह चौहान को एमपी बीजेपी में वन मैन आर्मी माना जाता है. मामा के नाम से मशहूर शिवराज ने लोकसभा से लेकर विधानसभा तक जीत का जलवा कायम रखा है. लेकिन क्या आप जानते है मामा शिवराज विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त भी झेल चुके हैं. जी हां 2003 की उमा लहर में मामा शिवराज राघौगढ़ का किला भेदने मैदान में उतरे थे, लेकिन दिग्गी राजा के आगे शिवराज चित हो गए. राघौगढ़ ही ग्वालियर-चंबल अंचल के 7 ऐसे किले हैं. जिनको भेदना बीजेपी के लिए कहीं मुश्किल तो कहीं नामुकिन बना हुआ है...आइए आपको बताते हैं कौन से गढ़ हैं जिनको जीतना बीजेपी का सपना बना हुआ है.

किला नंबर 1- राघौगढ़ (जिला गुना):

राघौगढ़ का किला जीतना आज भी बीजेपी के लिए सपना बना हुआ है. बीजेपी यहां अब तक जीत का स्वाद नहीं चख पाई है. 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की मोदी-शिवराज लहर के बावजूद राघौगढ़ के किले पर कांग्रेस का ही कब्जा बरकरार रहा है. 2003 में तो यहां तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान को करारी शिकस्त दी थी.

MP Election 2023
राघौगढ़ सीट का इतिहास

किला नंबर 2- लहार (जिला भिंड):

भिंड जिले की लहार विधानसभा भी कांग्रेस का वो किला है. जिसे बीजेपी बीते 28 सालों से भेद नहीं पाई है. इस सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. गोविंद सिंह अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं. गोविंद सिंह ने लहार सीट पर 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की शिवराज- मोदी लहर के बावजूद कामयाबी दिलाई है.

MP Election 2023
लहार सीट का इतिहास

किला नंबर 3 पिछोर (जिला शिवपुरी):

शिवपुरी जिले की पिछोर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर कांग्रेस के केपी सिंह बीते 25 सालों से अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 5 चुनाव में केपी सिंह ने लगातार जीत दर्ज की है. बीजेपी कड़ी मशक्कत के बाद भी इस सीट पर जीत का सपना संजोए हुए हैं. केपी सिंह ने इस सीट पर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही उमा भारती के भाई स्वामी प्रसाद लौधी और समधी प्रीतम लौधी को भी हराया है. पिछोर सीट पर केपी सिंह की जीत के आंकड़ों पर गौर करें तो

MP Election 2023
पिछोर सीट का इतिसाह

किला नंबर 4 विजयपुर (जिला श्योपुर):

विजयपुर सीट भी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, इस सीट पर कांग्रेस के रामनिवास रावत ने पिछले 6 में से 5 चुनाव में जीत दर्ज की है. रामनिवास रावत ने भी यहां 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की शिवराज-मोदी लहर में भी कांग्रेस को जीत दिलाई है, लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस बहुत कम अंतर से हार गई.

MP Election 2023
विजयपुर सीट का इतिहास

किला नंबर 5 भितरवार ( जिला ग्वालियर):

2008 में भीतरवार सीट के अस्तित्व में आने के बाद से बीजेपी के लिए इसे जीतना सपना बनी हुई है. इस सीट पर कांग्रेस के लाखन सिंह यादव अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं. बीते एक दशक में शिवराज लहर और शिवराज मोदी लहर के बावजूद यहां पर बीजेपी भितरवार में कांग्रेस के लाखन सिंह यादव को शिकस्त नहीं दे पाई है, 2013 में इस सीट पर कद्दावर नेता अनूप मिश्रा शिकस्त झेल चुके हैं. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता लाखन सिंह यादव ने फिर जीत हासिल कर ली.

MP Election 2023
भितरवार सीट का इतिहास

कुछ पॉलिटिकल खबरें यहां पढ़ें...

किला नंबर 6 डबरा ( जिला ग्वालियर):

डबरा में एक दशक से कांग्रेस की इमरती देवी का कब्जा है. 2013 में इमरती ने ग्वालियर जिले में सबसे बड़े अंतर की जीत दर्ज की थी. अपने वोट बैंक के सहारे कांग्रेस की इमरती इस सीट पर फिर से जीत को लेकर आश्वस्त है. 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की तो वहीं 2020 के उपचुनाव विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस ने बाजी मारी.

MP Election 2023
डबरा सीट का इतिहास

किला नंबर 7 अटेर ( जिला भिंड):

भिंड की अटेर सीट भी कांग्रेस के परंपरागत किले में शुमार है. इस सीट पर पिछले 8 चुनाव में से 5 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इस सीट को कटारे परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है. यहां से सत्यदवे कटारे 1985, 1993, 2003 और 2013 में जीते. जबकि सत्यदेव के निधन के बाद 2017 के उप चुनाव में उनके बेटे हेमंत कटारे ने यहां से जीत दर्ज की. उपचुनाव में तो शिवराज ने अटेर की गली-गली घूम कर प्रचार किया लेकिन बीजेपी अटेर का किला फतेह नहीं कर पाई. वहीं साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी और यहां से भाजपा से अरविंद सिंह भदौरिया को जीत हासिल हुई.

वक्त बताएगा इन सीटों पर इस चुनाव में क्या होगा परिणाम: इन अभेद किलों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस इस बार भी उत्साह से भरी है. कांग्रेस का दावा है कि इन गढ़ों पर कब्जा तो बरकरार रहेगा. साथ ही अब कांग्रेस बीजेपी के गढ़ों को जीतेगी. कांग्रेसियों का दावा है कि माहौल बीजेपी सरकार के खिलाफ है, लिहाजा कांग्रेस को ऐतिहासिक सफलता मिलेगी. वहीं इन सीटों पर इस बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नजर है. बीजेपी के आला नेताओं में मंथन किया जा रहा है. उसमें ये निकलकर आया कि कांग्रेस के इन गढ़ों पर बीजेपी वॉक-ओवर देने के हिसाब से कमजोर उम्मीद्वार उतारती है, बदले में कांग्रेस कुछ सीटों पर बीजेपी के सामने कमजोर उम्मीदवार उतारती है. यही वजह है कि जब बात शाह तक पहुंची तो इस बार इन सीटों पर उम्मीदवार उनकी मोहर लगने के बाद तय होंगे. वहीं इस बार ग्वालियर चंबल-अंचल में कांग्रेस के गढ़ बचाना कांग्रेस के लिए चुनौती है तो इन गढ़ों को फतेह करना बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गया है. कौन किस पर भारी पड़ेगा और कौन किसके किले ढहाएगा. यह आने वाले वक्त में पता लग पाएगा.

इन सीटों पर मोदी मैजिक बेअसर

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है और इसकी कमान खुद देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल रखी है. अमित शाह कांग्रेस को परास्त करने के लिए मध्यप्रदेश में आकर रणनीति तैयार कर रहे हैं, लेकिन चंबल अंचल में कांग्रेस के 7 ऐसे गढ़, जिनको राम, उमा, शिवराज और मोदी लहर में भी फतेह करना बीजेपी के लिए अभी तक सपना बना हुआ है. 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की मोदी-शिवराज लहर में भी इन किलों पर बीजेपी को शिकस्त मिली है. यही वजह है कि इन किलों पर चढ़ाई करने के लिए इस बार बीजेपी के शाह खुद सियासी बिछात बिछाने में लगे हैं, क्योंकि इस गढ़ों पर जीत के सहारे ही बीजेपी 2024 में कामयाबी का रास्ता बनाएगी.

इन सीटों पर जीत बीजेपी का सपना: शिवराज सिंह चौहान को एमपी बीजेपी में वन मैन आर्मी माना जाता है. मामा के नाम से मशहूर शिवराज ने लोकसभा से लेकर विधानसभा तक जीत का जलवा कायम रखा है. लेकिन क्या आप जानते है मामा शिवराज विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त भी झेल चुके हैं. जी हां 2003 की उमा लहर में मामा शिवराज राघौगढ़ का किला भेदने मैदान में उतरे थे, लेकिन दिग्गी राजा के आगे शिवराज चित हो गए. राघौगढ़ ही ग्वालियर-चंबल अंचल के 7 ऐसे किले हैं. जिनको भेदना बीजेपी के लिए कहीं मुश्किल तो कहीं नामुकिन बना हुआ है...आइए आपको बताते हैं कौन से गढ़ हैं जिनको जीतना बीजेपी का सपना बना हुआ है.

किला नंबर 1- राघौगढ़ (जिला गुना):

राघौगढ़ का किला जीतना आज भी बीजेपी के लिए सपना बना हुआ है. बीजेपी यहां अब तक जीत का स्वाद नहीं चख पाई है. 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की मोदी-शिवराज लहर के बावजूद राघौगढ़ के किले पर कांग्रेस का ही कब्जा बरकरार रहा है. 2003 में तो यहां तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान को करारी शिकस्त दी थी.

MP Election 2023
राघौगढ़ सीट का इतिहास

किला नंबर 2- लहार (जिला भिंड):

भिंड जिले की लहार विधानसभा भी कांग्रेस का वो किला है. जिसे बीजेपी बीते 28 सालों से भेद नहीं पाई है. इस सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. गोविंद सिंह अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं. गोविंद सिंह ने लहार सीट पर 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की शिवराज- मोदी लहर के बावजूद कामयाबी दिलाई है.

MP Election 2023
लहार सीट का इतिहास

किला नंबर 3 पिछोर (जिला शिवपुरी):

शिवपुरी जिले की पिछोर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर कांग्रेस के केपी सिंह बीते 25 सालों से अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 5 चुनाव में केपी सिंह ने लगातार जीत दर्ज की है. बीजेपी कड़ी मशक्कत के बाद भी इस सीट पर जीत का सपना संजोए हुए हैं. केपी सिंह ने इस सीट पर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही उमा भारती के भाई स्वामी प्रसाद लौधी और समधी प्रीतम लौधी को भी हराया है. पिछोर सीट पर केपी सिंह की जीत के आंकड़ों पर गौर करें तो

MP Election 2023
पिछोर सीट का इतिसाह

किला नंबर 4 विजयपुर (जिला श्योपुर):

विजयपुर सीट भी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, इस सीट पर कांग्रेस के रामनिवास रावत ने पिछले 6 में से 5 चुनाव में जीत दर्ज की है. रामनिवास रावत ने भी यहां 1990 की राम लहर, 2003 की उमा लहर, 2008 की शिवराज लहर और 2013 की शिवराज-मोदी लहर में भी कांग्रेस को जीत दिलाई है, लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस बहुत कम अंतर से हार गई.

MP Election 2023
विजयपुर सीट का इतिहास

किला नंबर 5 भितरवार ( जिला ग्वालियर):

2008 में भीतरवार सीट के अस्तित्व में आने के बाद से बीजेपी के लिए इसे जीतना सपना बनी हुई है. इस सीट पर कांग्रेस के लाखन सिंह यादव अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं. बीते एक दशक में शिवराज लहर और शिवराज मोदी लहर के बावजूद यहां पर बीजेपी भितरवार में कांग्रेस के लाखन सिंह यादव को शिकस्त नहीं दे पाई है, 2013 में इस सीट पर कद्दावर नेता अनूप मिश्रा शिकस्त झेल चुके हैं. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता लाखन सिंह यादव ने फिर जीत हासिल कर ली.

MP Election 2023
भितरवार सीट का इतिहास

कुछ पॉलिटिकल खबरें यहां पढ़ें...

किला नंबर 6 डबरा ( जिला ग्वालियर):

डबरा में एक दशक से कांग्रेस की इमरती देवी का कब्जा है. 2013 में इमरती ने ग्वालियर जिले में सबसे बड़े अंतर की जीत दर्ज की थी. अपने वोट बैंक के सहारे कांग्रेस की इमरती इस सीट पर फिर से जीत को लेकर आश्वस्त है. 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की तो वहीं 2020 के उपचुनाव विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस ने बाजी मारी.

MP Election 2023
डबरा सीट का इतिहास

किला नंबर 7 अटेर ( जिला भिंड):

भिंड की अटेर सीट भी कांग्रेस के परंपरागत किले में शुमार है. इस सीट पर पिछले 8 चुनाव में से 5 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इस सीट को कटारे परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है. यहां से सत्यदवे कटारे 1985, 1993, 2003 और 2013 में जीते. जबकि सत्यदेव के निधन के बाद 2017 के उप चुनाव में उनके बेटे हेमंत कटारे ने यहां से जीत दर्ज की. उपचुनाव में तो शिवराज ने अटेर की गली-गली घूम कर प्रचार किया लेकिन बीजेपी अटेर का किला फतेह नहीं कर पाई. वहीं साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी और यहां से भाजपा से अरविंद सिंह भदौरिया को जीत हासिल हुई.

वक्त बताएगा इन सीटों पर इस चुनाव में क्या होगा परिणाम: इन अभेद किलों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस इस बार भी उत्साह से भरी है. कांग्रेस का दावा है कि इन गढ़ों पर कब्जा तो बरकरार रहेगा. साथ ही अब कांग्रेस बीजेपी के गढ़ों को जीतेगी. कांग्रेसियों का दावा है कि माहौल बीजेपी सरकार के खिलाफ है, लिहाजा कांग्रेस को ऐतिहासिक सफलता मिलेगी. वहीं इन सीटों पर इस बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नजर है. बीजेपी के आला नेताओं में मंथन किया जा रहा है. उसमें ये निकलकर आया कि कांग्रेस के इन गढ़ों पर बीजेपी वॉक-ओवर देने के हिसाब से कमजोर उम्मीद्वार उतारती है, बदले में कांग्रेस कुछ सीटों पर बीजेपी के सामने कमजोर उम्मीदवार उतारती है. यही वजह है कि जब बात शाह तक पहुंची तो इस बार इन सीटों पर उम्मीदवार उनकी मोहर लगने के बाद तय होंगे. वहीं इस बार ग्वालियर चंबल-अंचल में कांग्रेस के गढ़ बचाना कांग्रेस के लिए चुनौती है तो इन गढ़ों को फतेह करना बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गया है. कौन किस पर भारी पड़ेगा और कौन किसके किले ढहाएगा. यह आने वाले वक्त में पता लग पाएगा.

Last Updated : Jul 28, 2023, 11:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.