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MP BJP Follow AAP pattern: बीजेपी का आप पैटर्न...जनरेशन नैक्सट को टिकट...डॉक्टर, मजिस्ट्रेट और टीचर को बनाया प्रत्याशी - बीजेपी ने डॉक्टर इंजीनियर और टीचर को दी टिकट

बीजेपी संगठन में तो पीढ़ी परिवर्तन की परंपरा पहले से ही रही है, लेकिन अब चुनावी राजनीति में भी बीजेपी जनरेशन नैक्स्ट की तरफ बढ़ रही है. जिन 39 सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा बेजीपी ने 17 अगस्त को की है. उनमें से 12 चेहरे 50 बरस की उम्र से भी कम के हैं. खास बात यह है कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के पैटर्न पर चलते हुए इस बार डॉक्टर, मजिस्ट्रेट, आईआरएस अफसर पत्नि से लेकर टीचर को भी पार्टी का प्रत्याशी बना रही है.

MP BJP Follow AAP pattern
एमपी बीजेपी
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Published : Aug 18, 2023, 9:47 PM IST

भोपाल। बीजेपी ने अपना चाल, चेहरा और चरित्र पूरी तरह से बदलना शुरू कर दिया है. जिस तरह से भाजपा टिकट बांटती थी, इस बार पैटर्न पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि इस बार भाजपा अपनी लाइन से हटकर आम आदमी पार्टी (AAP) के दिल्ली, पंजाब मॉडल को अपना रही है. सबसे बड़ा चौंकाने वाला फैसला तो उनका सूची जारी करने को लेकर रहा है, क्योंकि राजनीति में माना जाता है कि बाद में सूची जारी करो तो सामने वाली पार्टी के प्रत्याशी पता चल जाते हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने अपनी ही एक लाइन बना दी.

आचार संहिता के करीब डेढ़ महीने पहले सूची जारी की और उसमें भी ऐसे नाम शामिल किए कि हर राजनीतिक जानकार हैरान है. इसमें से 12 चेहरे एकदम नए हैं तो वहीं तीन नाम ऐसे हैं, जो चुनाव हारे, फिर भी उन्हें प्रत्याशी बनाया गया. चुनाव हारने वालों में पिछाेर प्रीतम सिंह लोधी, महेश्वर से राजकुमार मेव शामिल हैं. जबकि फ्रेश चेहरों में कुक्षी से युवा नेता जयदीप पटेल, गोटेगांव से महेश नागेश, बिछिया से डॉ. विजय आनंद मरावी, कटनी जिले की बड़वारा से धीरेंद्र सिंह, अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ से हीरा सिंह श्याम, सागर की बंडा विधानसभा से वीरेंद्र सिंह लंबरदार, चांचौड़ा विधानसभा से प्रियंका मीणा, बालाघाट की लांजी विधानसभा से राजकुमार कर्राये, छिंदवाड़ा की पांढूर्णा विधानसभा से प्रकाश उइके, जबलपुर की बरगी विधानसभा से नीरज सिंह ठाकुर, महाराजपुर विधानसभा कामाख्या प्रताप सिंह शामिल हैं. ईटीवी भारत ने इन सभी फ्रेश चेहरों का एनालिसिस किया.

प्रियंका मीणा, चाचौड़ा विधानसभा: सभी प्रत्याशियों में सबसे फ्रेश चेहरा प्रियंका मीणा का माना जा रहा है. जिनकी भाजपा में छह महीने पहले ही इंट्री हुई है. प्रियंका बीटेक इंजीनियर हैं. प्रियंका मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली हैं. इनका बीनागंज के पेंची गांव में रहने वाले किसान के बेटे और अब इंकम टैक्स ऑफिसर प्रद्युम्न मीणा से विवाह हुआ. राजस्थान की होने के कारण प्रियंका ट्राइबल से आती हैं और प्रद्युम्न ओबीसी वर्ग से आते हैं. यह इलाका मीणा बाहुल्य भी है. करीब 55 हजार मतदाता है. हालांकि पूर्व विधायक ममता मीणा भी इसी वर्ग से हैं, लेकिन उनके प्रति नाराजगी अधिक होने से पार्टी ने मीणा समाज से ही फ्रेश चेहरे को अवसर दे दिया. प्रियंका मीणा ने जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गईं. इसके बाद भी पार्टी ने उनको चुना.

कामाख्या प्रताप सिंह, महाराजपुर विधानसभा: इस सीट से पूर्व मंत्री और विधायक रहे मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह (टीका राजा) को प्रत्याशी घोषित किया गया है. पहले यह सीट भाजपा के पास थी, लेकिन पिछली बार युवा नेता विनोद दीक्षित ने जीतकर कांग्रेस को दिलवाई. उनकी युवाओं में जबरदस्त पैठ है. ऐसे में उनके खिलाफ फ्रेश चेहरे की जरूरत थी. मानवेंद्र सिंह का अच्छा खासा वर्चस्व है इस सीट पर. पहली बार 2008 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त की थी और इसके बाद 2013 में उन्हें भाजपा ने टिकट दी, वे फिर से जीते. बीते तीन बार से यह सीट उन्हीं के परिवार के पास है और चाैथी बार भी उनके बेटे को टिकट देकर पार्टी ने परिवार को तरजीह दी है. हालांकि इसी सीट से भाजपा के हरगोविंद गुप्ता, एक विवि के वीसी ब्रजेन्द्र सिंह गौतम व युवा नेता मणिकांत चौरसिया और मानिक चौरसिया तैयारी कर रहे थे.

नीरज सिंह, भाजपा प्रत्याशी बरगी विधानसभा: यह सीट 2018 में भाजपा ने गंवा दी थी और यहां से कांग्रेस के संजय यादव जीतकर विधायक बने. 2018 में भाजपा ने तब की मौजूदा विधायक प्रतिभा सिंह को टिकट दिया था. जब वे हार गईं तो प्रतिभा सिंह की बजाय इस बार भाजपा ने उनके बेटे नीरज सिंह को टिकट दिया. एक तरह से फैमिली टू फैमिली ही टिकट ट्रांसफर हुआ है. नीरज सिंह लगातार राजनीति में सक्रिय हैं और मां प्रतिभा सिंह का पूरा काम संभालते थे. नीरज सिंह पूर्व में मंडी का चुनाव लड़कर जीते और अध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं वर्तमान में उनकी पत्नी श्वेता ठाकुर शहपुरा जनपद सदस्य हैं.

प्रकाश उइके, पांढुर्णा विधानसभा: काफी समय से चर्चा में आ गए थे, क्योंकि मजिस्ट्रेट की नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है. चूंकि पांढुर्णा विधानसभा में भाजपा के पास कोई दमदार चेहरा नहीं था. ऐसे में पहले ही लग रहा था कि मजिस्ट्रेट की नौकरी छोड़कर बीजेपी में आए प्रकाश उइके को पार्टी टिकट देगी. प्रकाश उइके ने मजिस्ट्रेट रहते हुए समाज सेवा में काम शुरू कर दिया था. अगले महीने वे बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री की कथा 3 दिनों तक पांढुर्णा विधानसभा में आदिवासियों के बीच करवाने वाले हैं. एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह वे खुद इस कथा के संयोजक बने और पिछले दिनों छिंदवाड़ा में पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा कराई गई बागेश्वर सरकार की कथा का काउंटर रहे हैं. गौरतलब है कि वर्तमान में पांढुर्णा विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है और यहां से निलेश उइके विधायक हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 11 हजार 318 मतदाता हैं और इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 10333 है, जबकि पुरुष मतदाता की संख्या 1 लाख 7 हजार 982 है. प्रकाश ने करीब 22 दिन पहले ही बीजेपी की सदस्यता ली है. मजिस्ट्रेट प्रकाश उइके छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना ब्लॉक के ग्राम मोही मांडवी के मूल निवासी हैं. बता दें कि देवास से सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी से उनकी करीबी है और माना जाता है कि उन्हीं के कारण वे राजनीति में आए हैं. बीजेपी इसके पहले छिंदवाड़ा नगर निगम से असिस्टेंट कमिश्नर अनंत धुर्वे को प्रत्याशी बना चुकी है.

सरला रावत, सबलगढ़ विधानसभा: भाजपा ने दूसरी बार सरला रावत पर भरोसा जताया है, जबकि वे पिछली विधानसभा चुनाव में हार गई थी. यहां तक कि वे तीसरे नंबर पर आई थीं. इसके बाद भी उन्हें टिकट दिया जाना बड़ी बात है. पिछला चुनाव भी इसलिए हारी थीं कि उनके परिवार को वर्ष 1985 से लगातार टिकट मिलता आ रहा है. उनके ससुर और दबंग नेता मेहरबान सिंह रावत को 7 बार टिकट मिला. दो बार हारे, पांच बार जीते. इसके बाद 8वीं बार सरला रावत को टिकट दिया गया. इससे क्षेत्र के लोग नाराज हो गए और उन्होंने खिलाफत की, लेकिन इस विधानसभा में रावत मीणा वोटों की संख्या करीब 50 हजार है. इससे पार्टी का अंदाजा है कि समाज और पार्टी की विचारधारा के वोट मिलकर उन्हें जीत दिला देंगे. नरेंद्र सिंह तोमर खुद इस सीट की मॉनीटरिंग कर रहे हैं.

राजकुमार कर्राहे, लांजी विधानसभा: लांजी विधानसभा बालाघाट जिले में आती है. यहां से भाजपा ने राजकुमार कर्राहे को प्रत्याशी बनाया है. सीट की घोषणा होने के 4 घंटे पहले तक राजकुमार आप पार्टी के नेता थे. गुरूवार सुबह ही राजकुमार कर्राये ने आप पार्टी से इस्तीफा दिया और शाम होते-होते उन्हें भाजपा ने टिकट दे दिया. हालांकि राजकुमार मूल रूप से भाजपा के ही नेता हैं. वर्ष 2013 और 2018 में भी उन्होंने टिकट की मांग की थी. क्षेत्र में लगातार सक्रिय थे और दिसंबर 2022 में उन्होंने आप पार्टी ज्वाइन कर ली थी. इस बार आप पार्टी उन्हें विधानसभा से उतारने की तैयारी में थी. वे वहां जिला संयुक्त सचिव के पद पर काम कर रहे थे. कमाल की बात यह है कि जब टिकट की घोषणा हुई तो राजकुमार भाजपा के सदस्य भी नहीं थे.

जयदीप पटेल, कुक्षी विधानसभा: इस सीट से भी फ्रेश चेहरा उतारा है, लेकिन एक तरह से परिवार के खाते में ही टिकट गया है. यहां से भाजपा ने नया नाम बताकर जयदीप पटेल को प्रत्याशी घोषित किया है, क्योंकि दो बार से यह सीट भाजपा हारती आ रही है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह हनी बघेल ने भाजपा को यहां से करारी शिकस्त दी है. पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 60 हजार मतों से पराजित किया था. इसीलिए इस बार बीजेपी ने पूर्व विधायक के रिश्तेदार जयदीप पटेल को फ्रेश चेहरा बताकर मैदान में उतार दिया है. हालांकि जयदीप पटेल लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं. वे डही जनपी से अध्यक्ष रह चुके हैं और बीजेपी के प्रदेश संगठन में प्रदेश मंत्री होने के साथ लीराजपुर जिले के प्रभारी भी हैं. पूर्व मंत्री रंजना बघेल उनकी रिश्तेदार हैं. वे पूर्व विधायक मुकाम सिंह किराड़े के भांजे हैं. बीते 6 माह से कुक्षी में सक्रिय हैं.

महेंद्र नागेश, गोटेगांव विधानसभा नरसिंहपुर: इस विधानसभा से जिन महेंद्र नागेश को बीजेपी ने टिकट दिया है, वह केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और विधायक जालम सिंह पटेल के करीबी हैं. महेंद्र नागेश पुराने नेता हैं और पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा उनकी एसटी-एससी वर्ग में भी गहरी पैठ है. पिछली दो बार महेंद्र नागेश प्रयास कर रहे थे, इस बार सफलता मिली है. युवा नहीं है, लेकिन क्षेत्र में संपर्क अच्छा है.

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डॉ. विजय आनंद मरावी, बिछिया विधानसभा सीट: सुबह इस्तीफा दिया और शाम को टिकट मिल गया. बस यही चर्चा है डॉ. आनंद मरावी के बारे में, लेकिन सच्चाई इससे अलग है. दरअसल डॉ. विजय आनंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती की महाकौशल प्रान्त ईकाई के पदाधिकारी हैं और लंबे समय से आदिवासियों के बीच संघ कार्य कर रहे थे. उनकी सामाजिक सक्रियता बहुत अधिक थी. वे पूरी तरह से संघ और संगठन की पसंद हैं. गुरूवार सुबह तक वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज में बतौर असिस्टेंट सुपरिनटैंडैंट कार्य कर रहे थे और सुबह ही अपने पद से इस्तीफा दिया. शाम तक उनका टिकट घोषित हो गया और शाम को ही उन्होंने अपने समर्थकों के साथ जिला भाजपा कार्यालय पहुंचकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. दूसरी खास बात यह है कि डॉ. मरावी का जन्म स्थान बिछिया ब्लॉक मुख्यालय ही है. इन्होंने अपनी प्राथमिक पढ़ाई इसी क्षेत्र में की है. उनके माता-पिता भी सरकारी नौकरी में रहे हैं और डॉ. आनंद को एमबीबीएस करने के बाद सागर में पदस्थापना मिली. करीब 10 साल से वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पदस्थ हैं और यही से बिछिया विधानसभा में सक्रिय थे.

धीरेंद्र बहादुर सिंह, बड़वारा विधानसभा सीट: यह टिकट लगभग पार्टी गाइडलाइन से ही तय हुआ है और संगठन के करीबी को टिकट दिया गया है. यहां से बीजेपी पार्टी ने धीरेंद्र बहादुर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. अभी धीरेंद्र जिला भाजपा में जिला महामंत्री के पद पर कार्य कर रहे हैं और लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं. वर्ष 2013-14 में वार्ड क्रमांक 12 से करीब 3600 वोटों से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता था. इस बार वार्ड रिजर्व हुआ तो माता शीला सिंह के नाम से चुनाव लड़ा और 15000 वोटों से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है.

हीरा सिंह श्याम, पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट: पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट अनूपपुर जिले में आती है. यहां बीजेपी ने युवा आदिवासी चेहरे हीरा सिंह श्याम को उम्मीदवार बनाया है. हीरा श्याम सिंह लंबे समय से संघ और संगठन में सक्रिय हैं. इस समय इनके पास भाजपा जिला महामंत्री की जिम्मेदारी है. हीरा सिंह जनपद सदस्य का चुनाव लड़कर पुष्पराजगढ़ के जनपद अध्यक्ष बन चुके हैं. सीएम 10 अगस्त को इनके घर गए और काफी समय बिताया. माना जा रहा है कि सीएम की पसंद से ही इनका टिकट फाइनल हुआ है.

वीरेंद्र सिंह लंबरदार, बंडा विधानसभा सीट: जिन वीरेंद्र सिंह लंबरदार को सागर जिले की बंडा विधानसभा सीट से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, वो मूल रूप से सरकारी शिक्षक थे. उन्होंने समाजशास्त्र से एमए और डीएड भी किया है. पार्टी ने मुरली पाटीदार के बाद दूसरी बार किसी शिक्षक को टिकट दिया है, लेकिन इस बार पूरी तरह जातीय गणित लगातार टिकट दिया है. सरकारी टीचर से बड़ी पहचान उनकी है कि वे दमोह लोकसभा से पूर्व में सांसद रहे शिवराज सिंह के पुत्र हैं. वहीं तीसरी बड़ी पहचान है कि वे लोधी बाहुल्य वाली जाति से आते हैं और इस जाति का बंडा विधानसभा में खासा वर्चस्व है. अभी यहां से कांग्रेस के तरवर सिंह विधायक हैं और यह भी लोधी समाज से हैं. ऐसे में भाजपा लोधी वर्सेस लोधी का मुकाबला कराना चाहती है. वीरेंद्र सिंह वर्तमान में लोधी क्षत्रिय समाज के बण्डा के अध्यक्ष भी हैं.

भोपाल। बीजेपी ने अपना चाल, चेहरा और चरित्र पूरी तरह से बदलना शुरू कर दिया है. जिस तरह से भाजपा टिकट बांटती थी, इस बार पैटर्न पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि इस बार भाजपा अपनी लाइन से हटकर आम आदमी पार्टी (AAP) के दिल्ली, पंजाब मॉडल को अपना रही है. सबसे बड़ा चौंकाने वाला फैसला तो उनका सूची जारी करने को लेकर रहा है, क्योंकि राजनीति में माना जाता है कि बाद में सूची जारी करो तो सामने वाली पार्टी के प्रत्याशी पता चल जाते हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने अपनी ही एक लाइन बना दी.

आचार संहिता के करीब डेढ़ महीने पहले सूची जारी की और उसमें भी ऐसे नाम शामिल किए कि हर राजनीतिक जानकार हैरान है. इसमें से 12 चेहरे एकदम नए हैं तो वहीं तीन नाम ऐसे हैं, जो चुनाव हारे, फिर भी उन्हें प्रत्याशी बनाया गया. चुनाव हारने वालों में पिछाेर प्रीतम सिंह लोधी, महेश्वर से राजकुमार मेव शामिल हैं. जबकि फ्रेश चेहरों में कुक्षी से युवा नेता जयदीप पटेल, गोटेगांव से महेश नागेश, बिछिया से डॉ. विजय आनंद मरावी, कटनी जिले की बड़वारा से धीरेंद्र सिंह, अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ से हीरा सिंह श्याम, सागर की बंडा विधानसभा से वीरेंद्र सिंह लंबरदार, चांचौड़ा विधानसभा से प्रियंका मीणा, बालाघाट की लांजी विधानसभा से राजकुमार कर्राये, छिंदवाड़ा की पांढूर्णा विधानसभा से प्रकाश उइके, जबलपुर की बरगी विधानसभा से नीरज सिंह ठाकुर, महाराजपुर विधानसभा कामाख्या प्रताप सिंह शामिल हैं. ईटीवी भारत ने इन सभी फ्रेश चेहरों का एनालिसिस किया.

प्रियंका मीणा, चाचौड़ा विधानसभा: सभी प्रत्याशियों में सबसे फ्रेश चेहरा प्रियंका मीणा का माना जा रहा है. जिनकी भाजपा में छह महीने पहले ही इंट्री हुई है. प्रियंका बीटेक इंजीनियर हैं. प्रियंका मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली हैं. इनका बीनागंज के पेंची गांव में रहने वाले किसान के बेटे और अब इंकम टैक्स ऑफिसर प्रद्युम्न मीणा से विवाह हुआ. राजस्थान की होने के कारण प्रियंका ट्राइबल से आती हैं और प्रद्युम्न ओबीसी वर्ग से आते हैं. यह इलाका मीणा बाहुल्य भी है. करीब 55 हजार मतदाता है. हालांकि पूर्व विधायक ममता मीणा भी इसी वर्ग से हैं, लेकिन उनके प्रति नाराजगी अधिक होने से पार्टी ने मीणा समाज से ही फ्रेश चेहरे को अवसर दे दिया. प्रियंका मीणा ने जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गईं. इसके बाद भी पार्टी ने उनको चुना.

कामाख्या प्रताप सिंह, महाराजपुर विधानसभा: इस सीट से पूर्व मंत्री और विधायक रहे मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह (टीका राजा) को प्रत्याशी घोषित किया गया है. पहले यह सीट भाजपा के पास थी, लेकिन पिछली बार युवा नेता विनोद दीक्षित ने जीतकर कांग्रेस को दिलवाई. उनकी युवाओं में जबरदस्त पैठ है. ऐसे में उनके खिलाफ फ्रेश चेहरे की जरूरत थी. मानवेंद्र सिंह का अच्छा खासा वर्चस्व है इस सीट पर. पहली बार 2008 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त की थी और इसके बाद 2013 में उन्हें भाजपा ने टिकट दी, वे फिर से जीते. बीते तीन बार से यह सीट उन्हीं के परिवार के पास है और चाैथी बार भी उनके बेटे को टिकट देकर पार्टी ने परिवार को तरजीह दी है. हालांकि इसी सीट से भाजपा के हरगोविंद गुप्ता, एक विवि के वीसी ब्रजेन्द्र सिंह गौतम व युवा नेता मणिकांत चौरसिया और मानिक चौरसिया तैयारी कर रहे थे.

नीरज सिंह, भाजपा प्रत्याशी बरगी विधानसभा: यह सीट 2018 में भाजपा ने गंवा दी थी और यहां से कांग्रेस के संजय यादव जीतकर विधायक बने. 2018 में भाजपा ने तब की मौजूदा विधायक प्रतिभा सिंह को टिकट दिया था. जब वे हार गईं तो प्रतिभा सिंह की बजाय इस बार भाजपा ने उनके बेटे नीरज सिंह को टिकट दिया. एक तरह से फैमिली टू फैमिली ही टिकट ट्रांसफर हुआ है. नीरज सिंह लगातार राजनीति में सक्रिय हैं और मां प्रतिभा सिंह का पूरा काम संभालते थे. नीरज सिंह पूर्व में मंडी का चुनाव लड़कर जीते और अध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं वर्तमान में उनकी पत्नी श्वेता ठाकुर शहपुरा जनपद सदस्य हैं.

प्रकाश उइके, पांढुर्णा विधानसभा: काफी समय से चर्चा में आ गए थे, क्योंकि मजिस्ट्रेट की नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है. चूंकि पांढुर्णा विधानसभा में भाजपा के पास कोई दमदार चेहरा नहीं था. ऐसे में पहले ही लग रहा था कि मजिस्ट्रेट की नौकरी छोड़कर बीजेपी में आए प्रकाश उइके को पार्टी टिकट देगी. प्रकाश उइके ने मजिस्ट्रेट रहते हुए समाज सेवा में काम शुरू कर दिया था. अगले महीने वे बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री की कथा 3 दिनों तक पांढुर्णा विधानसभा में आदिवासियों के बीच करवाने वाले हैं. एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह वे खुद इस कथा के संयोजक बने और पिछले दिनों छिंदवाड़ा में पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा कराई गई बागेश्वर सरकार की कथा का काउंटर रहे हैं. गौरतलब है कि वर्तमान में पांढुर्णा विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है और यहां से निलेश उइके विधायक हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 11 हजार 318 मतदाता हैं और इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 10333 है, जबकि पुरुष मतदाता की संख्या 1 लाख 7 हजार 982 है. प्रकाश ने करीब 22 दिन पहले ही बीजेपी की सदस्यता ली है. मजिस्ट्रेट प्रकाश उइके छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना ब्लॉक के ग्राम मोही मांडवी के मूल निवासी हैं. बता दें कि देवास से सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी से उनकी करीबी है और माना जाता है कि उन्हीं के कारण वे राजनीति में आए हैं. बीजेपी इसके पहले छिंदवाड़ा नगर निगम से असिस्टेंट कमिश्नर अनंत धुर्वे को प्रत्याशी बना चुकी है.

सरला रावत, सबलगढ़ विधानसभा: भाजपा ने दूसरी बार सरला रावत पर भरोसा जताया है, जबकि वे पिछली विधानसभा चुनाव में हार गई थी. यहां तक कि वे तीसरे नंबर पर आई थीं. इसके बाद भी उन्हें टिकट दिया जाना बड़ी बात है. पिछला चुनाव भी इसलिए हारी थीं कि उनके परिवार को वर्ष 1985 से लगातार टिकट मिलता आ रहा है. उनके ससुर और दबंग नेता मेहरबान सिंह रावत को 7 बार टिकट मिला. दो बार हारे, पांच बार जीते. इसके बाद 8वीं बार सरला रावत को टिकट दिया गया. इससे क्षेत्र के लोग नाराज हो गए और उन्होंने खिलाफत की, लेकिन इस विधानसभा में रावत मीणा वोटों की संख्या करीब 50 हजार है. इससे पार्टी का अंदाजा है कि समाज और पार्टी की विचारधारा के वोट मिलकर उन्हें जीत दिला देंगे. नरेंद्र सिंह तोमर खुद इस सीट की मॉनीटरिंग कर रहे हैं.

राजकुमार कर्राहे, लांजी विधानसभा: लांजी विधानसभा बालाघाट जिले में आती है. यहां से भाजपा ने राजकुमार कर्राहे को प्रत्याशी बनाया है. सीट की घोषणा होने के 4 घंटे पहले तक राजकुमार आप पार्टी के नेता थे. गुरूवार सुबह ही राजकुमार कर्राये ने आप पार्टी से इस्तीफा दिया और शाम होते-होते उन्हें भाजपा ने टिकट दे दिया. हालांकि राजकुमार मूल रूप से भाजपा के ही नेता हैं. वर्ष 2013 और 2018 में भी उन्होंने टिकट की मांग की थी. क्षेत्र में लगातार सक्रिय थे और दिसंबर 2022 में उन्होंने आप पार्टी ज्वाइन कर ली थी. इस बार आप पार्टी उन्हें विधानसभा से उतारने की तैयारी में थी. वे वहां जिला संयुक्त सचिव के पद पर काम कर रहे थे. कमाल की बात यह है कि जब टिकट की घोषणा हुई तो राजकुमार भाजपा के सदस्य भी नहीं थे.

जयदीप पटेल, कुक्षी विधानसभा: इस सीट से भी फ्रेश चेहरा उतारा है, लेकिन एक तरह से परिवार के खाते में ही टिकट गया है. यहां से भाजपा ने नया नाम बताकर जयदीप पटेल को प्रत्याशी घोषित किया है, क्योंकि दो बार से यह सीट भाजपा हारती आ रही है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह हनी बघेल ने भाजपा को यहां से करारी शिकस्त दी है. पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 60 हजार मतों से पराजित किया था. इसीलिए इस बार बीजेपी ने पूर्व विधायक के रिश्तेदार जयदीप पटेल को फ्रेश चेहरा बताकर मैदान में उतार दिया है. हालांकि जयदीप पटेल लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं. वे डही जनपी से अध्यक्ष रह चुके हैं और बीजेपी के प्रदेश संगठन में प्रदेश मंत्री होने के साथ लीराजपुर जिले के प्रभारी भी हैं. पूर्व मंत्री रंजना बघेल उनकी रिश्तेदार हैं. वे पूर्व विधायक मुकाम सिंह किराड़े के भांजे हैं. बीते 6 माह से कुक्षी में सक्रिय हैं.

महेंद्र नागेश, गोटेगांव विधानसभा नरसिंहपुर: इस विधानसभा से जिन महेंद्र नागेश को बीजेपी ने टिकट दिया है, वह केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और विधायक जालम सिंह पटेल के करीबी हैं. महेंद्र नागेश पुराने नेता हैं और पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा उनकी एसटी-एससी वर्ग में भी गहरी पैठ है. पिछली दो बार महेंद्र नागेश प्रयास कर रहे थे, इस बार सफलता मिली है. युवा नहीं है, लेकिन क्षेत्र में संपर्क अच्छा है.

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डॉ. विजय आनंद मरावी, बिछिया विधानसभा सीट: सुबह इस्तीफा दिया और शाम को टिकट मिल गया. बस यही चर्चा है डॉ. आनंद मरावी के बारे में, लेकिन सच्चाई इससे अलग है. दरअसल डॉ. विजय आनंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती की महाकौशल प्रान्त ईकाई के पदाधिकारी हैं और लंबे समय से आदिवासियों के बीच संघ कार्य कर रहे थे. उनकी सामाजिक सक्रियता बहुत अधिक थी. वे पूरी तरह से संघ और संगठन की पसंद हैं. गुरूवार सुबह तक वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज में बतौर असिस्टेंट सुपरिनटैंडैंट कार्य कर रहे थे और सुबह ही अपने पद से इस्तीफा दिया. शाम तक उनका टिकट घोषित हो गया और शाम को ही उन्होंने अपने समर्थकों के साथ जिला भाजपा कार्यालय पहुंचकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. दूसरी खास बात यह है कि डॉ. मरावी का जन्म स्थान बिछिया ब्लॉक मुख्यालय ही है. इन्होंने अपनी प्राथमिक पढ़ाई इसी क्षेत्र में की है. उनके माता-पिता भी सरकारी नौकरी में रहे हैं और डॉ. आनंद को एमबीबीएस करने के बाद सागर में पदस्थापना मिली. करीब 10 साल से वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पदस्थ हैं और यही से बिछिया विधानसभा में सक्रिय थे.

धीरेंद्र बहादुर सिंह, बड़वारा विधानसभा सीट: यह टिकट लगभग पार्टी गाइडलाइन से ही तय हुआ है और संगठन के करीबी को टिकट दिया गया है. यहां से बीजेपी पार्टी ने धीरेंद्र बहादुर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. अभी धीरेंद्र जिला भाजपा में जिला महामंत्री के पद पर कार्य कर रहे हैं और लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं. वर्ष 2013-14 में वार्ड क्रमांक 12 से करीब 3600 वोटों से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता था. इस बार वार्ड रिजर्व हुआ तो माता शीला सिंह के नाम से चुनाव लड़ा और 15000 वोटों से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है.

हीरा सिंह श्याम, पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट: पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट अनूपपुर जिले में आती है. यहां बीजेपी ने युवा आदिवासी चेहरे हीरा सिंह श्याम को उम्मीदवार बनाया है. हीरा श्याम सिंह लंबे समय से संघ और संगठन में सक्रिय हैं. इस समय इनके पास भाजपा जिला महामंत्री की जिम्मेदारी है. हीरा सिंह जनपद सदस्य का चुनाव लड़कर पुष्पराजगढ़ के जनपद अध्यक्ष बन चुके हैं. सीएम 10 अगस्त को इनके घर गए और काफी समय बिताया. माना जा रहा है कि सीएम की पसंद से ही इनका टिकट फाइनल हुआ है.

वीरेंद्र सिंह लंबरदार, बंडा विधानसभा सीट: जिन वीरेंद्र सिंह लंबरदार को सागर जिले की बंडा विधानसभा सीट से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, वो मूल रूप से सरकारी शिक्षक थे. उन्होंने समाजशास्त्र से एमए और डीएड भी किया है. पार्टी ने मुरली पाटीदार के बाद दूसरी बार किसी शिक्षक को टिकट दिया है, लेकिन इस बार पूरी तरह जातीय गणित लगातार टिकट दिया है. सरकारी टीचर से बड़ी पहचान उनकी है कि वे दमोह लोकसभा से पूर्व में सांसद रहे शिवराज सिंह के पुत्र हैं. वहीं तीसरी बड़ी पहचान है कि वे लोधी बाहुल्य वाली जाति से आते हैं और इस जाति का बंडा विधानसभा में खासा वर्चस्व है. अभी यहां से कांग्रेस के तरवर सिंह विधायक हैं और यह भी लोधी समाज से हैं. ऐसे में भाजपा लोधी वर्सेस लोधी का मुकाबला कराना चाहती है. वीरेंद्र सिंह वर्तमान में लोधी क्षत्रिय समाज के बण्डा के अध्यक्ष भी हैं.

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