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चीतों की मौत का कारण जानने में जुटे वैज्ञानिक, जबलपुर के लैब में हो रही विसरा की जांच

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Published : May 11, 2023, 7:31 PM IST

Updated : May 12, 2023, 10:00 AM IST

मध्यप्रदेश के जबलपुर की लैब में दक्षा मादा चीता के विसरे की जांच हो रही है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि चीतों की आपसी लड़ाई में दक्षा की मौत हुई है. वहीं दक्षा, उदय और साशा की मौत ने जबलपुर के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है.

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जबलपुर के लैब में चीतों के विसरा की जांच

जबलपुर। जिले में स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ हेल्थ एंड फॉरेंसिक नाम का एक संस्थान है. जहां वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर शोध किया जाता है. उन्हें इलाज भी दिया जाता है. इसके साथ ही यदि किसी वन्य प्राणी की मौत हो जाती है तो उसकी फॉरेंसिक रिपोर्ट भी इसी संस्थान द्वारा बनाई जाती है. इन दिनों जबलपुर के इस शोध संस्थान में काम थोड़ा और बढ़ गया है, क्योंकि पहली बार यहां अफ्रीका से आए हुए चीतों की मौत के बाद विसरा पहुंच रहा है. जिसकी उनकी जांच जबलपुर के वन्य प्राणी विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिक कर रहे हैं.

दक्षा की मौत की वजह: इस संस्था की डायरेक्टर डॉ शोभा जवार उस टीम की सदस्य हैं. जो चीतों की मौत की वजह का पता लगाती हैं. डॉ शोभा का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत की वजह चीतों की आपसी लड़ाई है. दक्षा के शरीर पर कई जानलेवा हमले किए गए थे. इसमें उसके सिर पर एक गहरा घाव है. जिसकी वजह से दक्षा की मौत हुई. दरअसल कूनो नेशनल पार्क में दो नर चीता वायु और अग्नि के बीच में दक्षा को छोड़ा गया था और मेटिंग के दौरान इनमें हिंसक झड़प हुई है और इसके परिणाम स्वरूप दक्षा की मौत हो गई. डॉ शोभा का कहना है कि उनकी कूनो नेशनल पार्क को ऑब्जर्व कर रहे फॉरेन एक्सपर्ट से भी बात हुई है. उन्होंने भी इस बात को माना है कि कई बार मेटिंग के दौरान यदि माता-पिता सहयोग नहीं करते तो हिंसक वारदातें होती हैं, लेकिन इसके बाद भी दक्षा के शरीर के विषय पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

School of Wild Life Health & Forensic Lab
स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ हेल्थ एंड फॉरेंसिक लैब

उदय और साशा की मौत पर जांच: डॉ शोभा ने बताया कि पहले मादा चीता साशा की मौत कार्डियो वैस्कुलरसिस्टम के फेल हो जाने की वजह से हुई थी. उसके शरीर में किडनी ने काम करना बंद कर दिया था. इसकी वजह से वह ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पायी और उसकी मौत हो गई. स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ हेल्थ एंड फॉरेंसिक के वैज्ञानिकों ने दूसरे चीते उदय की मौत के बाद आए सैंपल्स की जांच करने के बाद यह पाया है कि उदय की मौत मिक्स्ड इंफेक्शन से हुई थी. इसमें कुछ बैक्टीरियल और कुछ वायरल इनफेक्शन पाया गया है. डॉ शोभा ने बताया कि वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए वायरोलॉजी लैब में भेजे गए हैं. जहां से यह पता लग पाएगा कि उदय को कौन से वायरस और बैक्टीरिया से इंफेक्शन हुआ था.

  • कुछ खबरें यहां पढ़ें
  1. MP: कूनो में चीता उदय की मौत भी किडनी इंफेक्शन से, सैंपलों की होगी मेटा-जीनोमिक सिक्वेंसिंग
  2. Cheetah Death in Kuno: कूनो नेशनल पार्क में तीसरे चीते की मौत, मेटिंग के दौरान आपस में भिड़े चीते
  3. MP Cheetah Death Cause: चीता 'उदय' के 'अस्त' का कारण आया सामने! VIDEO मे देखें मौत से पहले कैसे लड़खड़ाया

फॉरेंसिक जांच का फायदा: डॉ शोभा का कहना है कि अभी भी 17 पुराने चीते और चार नए शावक कूनो नेशनल पार्क में हैं. इन्हें बचाए रखने के लिए दक्षा की मौत के बाद उसका वैज्ञानिक परीक्षण जरूरी है. ताकि यह पता लग सके की चीतों के लिए कौन से वायरस और बैक्टीरिया खतरनाक हैं. एक बार यह जानकारी प्रमाणित ढंग से सभी को पता लग जाए तो चीतों के पालन पोषण में पार्क प्रबंधन को मदद मिलेगी. इसलिए बैक्टीरिया और वायरस के डीएनए तक की जांच की जा रही है. मध्य प्रदेश अभी तक टाइगर स्टेट और लेपर्ड स्टेट है. यदि यहां दक्षिण अफ्रीका के चीतों को बचा लिया गया तो ना केवल इसका फायदा मध्य प्रदेश के वन्य जनजीवन को मिलेगा, बल्कि दुनिया बरसाने वाले पर्यटकों के लिए भी मध्यप्रदेश में रुकने की एक नई वजह मिल जाएगी. इससे मध्य प्रदेश का पर्यटन बढ़ेगा.

जबलपुर के लैब में चीतों के विसरा की जांच

जबलपुर। जिले में स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ हेल्थ एंड फॉरेंसिक नाम का एक संस्थान है. जहां वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर शोध किया जाता है. उन्हें इलाज भी दिया जाता है. इसके साथ ही यदि किसी वन्य प्राणी की मौत हो जाती है तो उसकी फॉरेंसिक रिपोर्ट भी इसी संस्थान द्वारा बनाई जाती है. इन दिनों जबलपुर के इस शोध संस्थान में काम थोड़ा और बढ़ गया है, क्योंकि पहली बार यहां अफ्रीका से आए हुए चीतों की मौत के बाद विसरा पहुंच रहा है. जिसकी उनकी जांच जबलपुर के वन्य प्राणी विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिक कर रहे हैं.

दक्षा की मौत की वजह: इस संस्था की डायरेक्टर डॉ शोभा जवार उस टीम की सदस्य हैं. जो चीतों की मौत की वजह का पता लगाती हैं. डॉ शोभा का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत की वजह चीतों की आपसी लड़ाई है. दक्षा के शरीर पर कई जानलेवा हमले किए गए थे. इसमें उसके सिर पर एक गहरा घाव है. जिसकी वजह से दक्षा की मौत हुई. दरअसल कूनो नेशनल पार्क में दो नर चीता वायु और अग्नि के बीच में दक्षा को छोड़ा गया था और मेटिंग के दौरान इनमें हिंसक झड़प हुई है और इसके परिणाम स्वरूप दक्षा की मौत हो गई. डॉ शोभा का कहना है कि उनकी कूनो नेशनल पार्क को ऑब्जर्व कर रहे फॉरेन एक्सपर्ट से भी बात हुई है. उन्होंने भी इस बात को माना है कि कई बार मेटिंग के दौरान यदि माता-पिता सहयोग नहीं करते तो हिंसक वारदातें होती हैं, लेकिन इसके बाद भी दक्षा के शरीर के विषय पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

School of Wild Life Health & Forensic Lab
स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ हेल्थ एंड फॉरेंसिक लैब

उदय और साशा की मौत पर जांच: डॉ शोभा ने बताया कि पहले मादा चीता साशा की मौत कार्डियो वैस्कुलरसिस्टम के फेल हो जाने की वजह से हुई थी. उसके शरीर में किडनी ने काम करना बंद कर दिया था. इसकी वजह से वह ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पायी और उसकी मौत हो गई. स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ हेल्थ एंड फॉरेंसिक के वैज्ञानिकों ने दूसरे चीते उदय की मौत के बाद आए सैंपल्स की जांच करने के बाद यह पाया है कि उदय की मौत मिक्स्ड इंफेक्शन से हुई थी. इसमें कुछ बैक्टीरियल और कुछ वायरल इनफेक्शन पाया गया है. डॉ शोभा ने बताया कि वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए वायरोलॉजी लैब में भेजे गए हैं. जहां से यह पता लग पाएगा कि उदय को कौन से वायरस और बैक्टीरिया से इंफेक्शन हुआ था.

  • कुछ खबरें यहां पढ़ें
  1. MP: कूनो में चीता उदय की मौत भी किडनी इंफेक्शन से, सैंपलों की होगी मेटा-जीनोमिक सिक्वेंसिंग
  2. Cheetah Death in Kuno: कूनो नेशनल पार्क में तीसरे चीते की मौत, मेटिंग के दौरान आपस में भिड़े चीते
  3. MP Cheetah Death Cause: चीता 'उदय' के 'अस्त' का कारण आया सामने! VIDEO मे देखें मौत से पहले कैसे लड़खड़ाया

फॉरेंसिक जांच का फायदा: डॉ शोभा का कहना है कि अभी भी 17 पुराने चीते और चार नए शावक कूनो नेशनल पार्क में हैं. इन्हें बचाए रखने के लिए दक्षा की मौत के बाद उसका वैज्ञानिक परीक्षण जरूरी है. ताकि यह पता लग सके की चीतों के लिए कौन से वायरस और बैक्टीरिया खतरनाक हैं. एक बार यह जानकारी प्रमाणित ढंग से सभी को पता लग जाए तो चीतों के पालन पोषण में पार्क प्रबंधन को मदद मिलेगी. इसलिए बैक्टीरिया और वायरस के डीएनए तक की जांच की जा रही है. मध्य प्रदेश अभी तक टाइगर स्टेट और लेपर्ड स्टेट है. यदि यहां दक्षिण अफ्रीका के चीतों को बचा लिया गया तो ना केवल इसका फायदा मध्य प्रदेश के वन्य जनजीवन को मिलेगा, बल्कि दुनिया बरसाने वाले पर्यटकों के लिए भी मध्यप्रदेश में रुकने की एक नई वजह मिल जाएगी. इससे मध्य प्रदेश का पर्यटन बढ़ेगा.

Last Updated : May 12, 2023, 10:00 AM IST
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