शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं छिपी हुई हैं, बस जरूरत है, उन्हें नई राह दिखाने की सुविधाएं देने की. शहडोल जिला मुख्यालय से लगा हुआ विचारपुर गांव जो कि बैगा बाहुल्य आदिवासी गांव है, इस गांव को मिनी ब्राजील के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस गांव में हर दूसरे घर में आपको फुटबॉल के नेशनल प्लेयर मिल जाएंगे, फिर चाहे वह लड़के हों या लड़कियां, लेकिन सुविधाएं न मिल पाने की वजह से आज तक यहां के खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाए. इन खिलाड़ियों की कहानी ईटीवी भारत लगातार दिखाता भी रहा है. अब इस आदिवासी अंचल के लिए अच्छी खबर है कि जिले में भारतीय खेल प्राधिकरण अपना खेलो इंडिया का स्माल ट्रेनिंग सेंटर फुटबॉल के खेल के लिए शुरू करने जा रहा है. जो मिनी ब्राजील के नाम से मशहूर विचारपुर गांव में ही खुलने जा रहा है.
जिले में खुलेगा खेलो इंडिया स्माल ट्रेनिंग सेंटर: शहडोल जिला मुख्यालय से लगा हुआ है विचारपुर गांव जो कि आदिवासी बाहुल्य गांव है. अब इसी गांव में जिले का एकमात्र खेलो इंडिया स्मॉल ट्रेनिंग सेंटर फुटबाल खेल के लिये खुलने जा रहा है. जिसे लेकर फुटबॉल के खिलाड़ियों में एक अलग ही खुशी है, क्योंकि उन्हें अपने खेल को निखारने के लिए एक अलग मंच मिलने जा रहा है, क्योंकि वहां अच्छे प्रशिक्षक होंगे, डाइट की व्यवस्था होगी, खेल की सामग्री मिलेगी. साथ ही साथ खेलने के लिए एक मंच भी मिलेगा, क्योंकि वहां खिलाड़ियों के एक्सपोजर की भी व्यवस्था की जाएगी. टूर्नामेंट आदि में भी उन खिलाड़ियों को खिलाने के लिए ले जाया जाएगा.
खेलो इंडिया स्मॉल ट्रेनिंग सेंटर में ये होगा खास: जिला खेल युवा कल्याण विभाग के कोच धीरेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल जिला मुख्यालय से 2 किलोमीटर आगे है. विचारपुर गांव जहां खेलो इंडिया का स्मॉल ट्रेनिंग सेंटर जो कि फुटबॉल का है, वह प्रस्तावित हो करके मंजूर हो गया है. इस ट्रेनिंग सेंटर में लगभग 20 लड़के और 20 लड़कियों के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है. इसमें स्पेशल यही है कि जो ट्रेनिंग दी जाएगी, उसमें साईं से कोच अपॉइंट होंगे, यहां पर 20 बॉयज और 20 गर्ल्स की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसमें खेल सामग्री लगभग साल में 5 लाख रुपये की अवेलेबल कराई जाएगी. ट्रेनिंग देने के लिए बच्चों को डे बोर्डिंग रखा गया है, सेलेक्ट किये गए कैंडीडेट हर दिन आकर के ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग लेंगे. जहां उनके डाइट की व्यवस्था, खेल उपकरण की व्यवस्था, साथ में जो ट्रेनिंग दी जाएगी ट्रेंड किये गए खिलाड़ियों को बाद में जो ओपन प्रतियोगिता हैं, फुटबॉल की राष्ट्रीय लेवल और स्टेट लेवल की है वहां पर इनको मौका दिया जाएगा. वहां पर खेलेंगे और प्रदर्शन करेंगे और खुद को प्रूफ करेंगे.
साईं की टीम ने तय किया स्थान: बता दें कि भारतीय खेल प्राधिकरण साईं से एक टीम शहडोल जिले में आई थी. जिन्होंने निरीक्षण किया था, विचारपुर गांव का भी निरीक्षण किया था और निरीक्षण करके अपनी रिपोर्ट भी सौंप चुकी है. उसके बाद लगभग ट्रेनिंग सेंटर क्लियर हो गया है की ये सेंटर शहडोल जिले के विचारपुर गांव में खुलेगा. कोच की नियुक्ति के लिए एक विज्ञप्ति भी निकल गई है, जो ट्रेनिंग सेंटर डिसाइड हुआ है उसमें जो कोच नियुक्त करना है. उसके लिए कोच की नियुक्ति भोपाल से खेल एवं युवा कल्याण विभाग के माध्यम से किया जाएगा.
विचारपुर इसलिए हुआ सेलेक्ट: आखिर जिले के विचारपुर गांव को ही खेलो इंडिया के स्मॉल ट्रेनिंग सेंटर के लिए क्यों चुना गया, इसे लेकर कोच बताते हैं कि विचारपुर एक ऐसा गांव है, जो पिछले कई सालों से लगभग एक दो दशक से भी ज्यादा सालों से यहां फुटबॉल के एक से बढ़कर एक टैलेंट सामने आ रहे हैं. युवा हों या सीनियर खिलाड़ी हों या छोटे बच्चे हो इनमें फुटबॉल को लेकर एक अलग ही क्रेज है. यहां से कई बच्चे नेशनल गेम्स खेल चुके हैं, संतोष ट्रॉफी सुब्रतो मुखर्जी जैसे टूर्नामेंट में खेल चुके हैं. फुटबॉल का भी एक अच्छा मैदान है. जिस वजह से विचारपुर गांव फुटबॉल का एक बड़ा हब बन गया है. इसीलिए फुटबॉल का स्माल ट्रेनिंग सेंटर बनाने के लिए इसे सलेक्ट किया गया है.
कुछ खबर यहां पढ़ें |
खिलाड़ियों को होगा फायदा: फुटबॉल कोच अनिल सिंह जो कि खुद भी विचारपुर गांव के कभी धुरंधर खिलाड़ी हुआ करते थे. उनका मानना है कि विचारपुर गांव में खेलो इंडिया के तहत स्मॉल ट्रेनिंग सेंटर जो कि विचारपुर में बनने जा रहा है. विचारपुर वैसे भी फुटबॉल के मामले में क्षेत्र में मिनी ब्राजील के नाम से जाना जाता था. यहां के हर दूसरे घर में वहां पर आपको नेशनल खिलाड़ी लड़के या लड़कियां मिल ही जाते हैं. किसी न किसी कारणवश असुविधा होने के चलते वो बच्चे आगे नहीं बढ़ पाए. इंडिया में स्मॉल ट्रेनिंग सेंटर जो बन रहा है, उससे निश्चित ही बच्चों को इसका लाभ मिलेगा. अच्छे कोच आएंगे, अच्छा मार्गदर्शन मिलेगा, क्षेत्र के बच्चे आगे बढ़ सकेंगे.
ईटीवी भारत लगातार दिखाता आया है ये खबर: गौरतलब है कि ईटीवी भारत लगातार विचारपुर गांव के इन टैलेंटेड खिलाड़ियों की कहानी बताता आया है और किस तरह से खिलाड़ी नेशनल लेवल तक पहुंच जाते हैं, लेकिन उसके बाद ना तो इन्हें कोई मंच मिलता है ना कोई रास्ता दिखता है. जिसकी वजह से कई खिलाड़ी निराश होकर मजदूरी करने को विवश हो जाते हैं. 8 से 10 नेशनल खेलने के बाद भी यहां के कई खिलाड़ी आज रोजगार के लिए मोहताज हैं. इन्हें मजदूरी भी करनी पड़ती है, फुटबॉल के इन धुरंधर खिलाड़ियों की कहानी ईटीवी भारत लगातार उठाता रहा है, अब जब जिले में भारतीय खेल प्राधिकरण खेलो इंडिया का स्मार्ट ट्रेनिंग सेंटर शुरू करने जा रहा है और विचारपुर गांव में ही यह सेंटर बनाया जा रहा है. इसे लेकर यहां के फुटबॉल खिलाड़ियों में भी एक बड़ा उत्साह है, खुशी की लहर है और बड़ी उम्मीदें भी हैं.