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IIT To Go Global : 25 देशों में JEE परीक्षा, अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-चीन भी शामिल

अगर आप भारत से बाहर पढ़ाई कर रहे हैं, फिर भी आप आईआईटी जेईई में भाग ले सकते हैं, वह भी बिना भारत आए. इस बार शिक्षा मंत्रालय ने भारत के बाहर पहली बार 25 देशों में एक साथ जेईई मेंस परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई है. विदेशी छात्र, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट, व अन्य केंद्र सरकार द्वारा पोषित तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दाखिला पा सकेंगे. (IIT to Go Global).

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Published : May 22, 2022, 1:24 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले के लिए होने वाला जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम 'जेईई' वैश्विक रूप लेने जा रहा है. क्वालालंपुर और लागोस जैसे विदेशी शहरों में पहले ही बीते वर्ष यह परीक्षाएं करवाई जा चुकी हैं. भारत सरकार के सहयोग से इन परीक्षाओं को 12 विदेशी सिटी में आयोजित किया गया था. हालांकि इस बार शिक्षा मंत्रालय ने भारत के बाहर पहली बार 25 देशों में एक साथ जेईई मेंस परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई है. (IIT to Go Global).

इस बार जिन देशों में यह परीक्षा आयोजित करवाई जा रही हैं उनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, सिंगापुर, चीन, नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया बहरीन, कुवैत, कतर, यूएई समेत अन्य देश शामिल हैं. इस साल एनआरआई और विदेश में पढ़ रहे भारतीय एवं विदेशी नागरिकों के लिए करीब 3900 यूजी और 1300 पीजी सीटें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.

यह सीटें देश के उच्च श्रेणी के इंजीनियरिंग संस्थानों में आरक्षित की जाएंगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक 'डासा' यानी 'डायरेक्ट एडमिशन ऑफ स्टूडेंट अब्रॉड' स्कीम के तहत इन छात्रों को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले प्रदान किए जाएंगे. विदेशी छात्र, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट, व अन्य केंद्र सरकार द्वारा पोषित तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दाखिला पा सकेंगे.

इनमें इंजीनियरिंग के बेहतरीन शिक्षण संस्थान माने जाने वाले ट्रिपल आईटी और एनआईटी भी शामिल हैं. हालांकि आईआईटी में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी. फिलहाल देश के सभी आईआईटी संस्थानों को इससे बाहर रखा गया है.

बावजूद इसके व्यापक स्तर पर भारत के शीर्ष तकनीकी संस्थान इतनी सीटों की पेशकश की जा रही है. इस योजना के लिए शिक्षा मंत्रालय एनआईटी, आईआईआईटी और केंद्र द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों में कुल सीटों के 15 प्रतिशत की योजना है.

गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ऐसे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों का स्वागत करेगा जो भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध करा सकते हैं. इसकी पहल करते हुए विश्व भर के 63 देशों में भारतीय राजदूतों से संपर्क किया गया है. इन देशों में जापान, नीदरलैंड, रूस, दक्षिण कोरिया, इटली, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ताइवान, स्पेन, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, थाईलैंड, यूएई, अर्जेंटीना, ब्राजील, ग्रीस, साइप्रस, आइसलैंड, तुर्की आदि देश शामिल हैं.

शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस मुहिम का उद्देश्य न केवल भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों को विदेशी शिक्षण संस्थानों के साथ सहयोग स्थापित करने में मदद करना है बल्कि विदेशी विश्वविद्यालयों को भी इस बात के लिए प्रेरित करना भी है कि वह अपने छात्रों को भारतीय संस्थानों में भेजें. भारत सरकार ने इन्सटीट्यिूशन ऑफ एमिनेंस योजना के अंतर्गत देश में कई विश्वविद्यालयों को इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंस का दर्जा दिया है. गौरतलब है कि विदेशी छात्रों को भारत के 'इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंट' आकर्षित करते हैं.

आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर डीके शर्मा के मुताबिक हर वर्ष दुनिया भर से सैकड़ों विदेश छात्र भारतीय विश्विवद्यालयों में प्रवेश लेने आते हैं. हालांकि विदेशी एवं छात्रों द्वारा भारतीय संस्थानों में दाखिला लेने की यह प्रक्रिया अभी तक भारत के केवल कुछ विश्वविद्यालयों तक ही सीमित है. लेकिन अब इसे व्यापक स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है. निश्चित तौर पर ही इसका लाभ देखने को मिलेगा. विश्वविद्यालयों एवं केंद्र द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों में कुल सीटों के 15 प्रतिशत सीटों पर विदेशी छात्रों को प्रवेश देना निश्चित किया गया है.

प्रोफेसर सीएस कांडपाल के मुताबिक जेईई मेंस के बाद जेईई एडवांस परीक्षा ली जाती है. जेईई एडवांस के नतीजों के आधार पर मुख्यत देश की 23 आईआईटी, 31 एनआईटी, 23 ट्रिपल आईटी, सहित जेएफटीआई की 40 हजार से अधिक सीटों पर दाखिले होते हैं. पिछले वर्ष जेईई (एडवांस्ड) 2021 के पेपर 1 और 2 दोनों में कुल 141699 उम्मीदवार शामिल हुए थे.

कुल 41862 उम्मीदवारों ने जेईई (एडवांस्ड) 2021 क्वालिफाई किया था. कुल क्वालिफाई में से उम्मीदवार, 6452 महिलाएं थी. गौरतलब है कि जेईई जैसी अहम परीक्षाओं के लिए 13 विभिन्न भाषाओं को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है. इंजीनियरिंग करने के इच्छुक छात्र इस सुविधा के अंतर्गत अपनी मातृभाषा में परीक्षाएं दे सकते हैं.

इस वर्ष जून और जुलाई माह के दौरान दो अलग-अलग चरणों में जेईई मेंस की परीक्षाएं आयोजित की जानी हैं. जेईई मेंस के पहले चरण की परीक्षा 20 जून से शुरू हो रही है. जेईई मेंस में सफल रहने वाले छात्रों के लिए जेईई एडवांस टेस्ट आयोजित करवाया जाएगा. हालांकि कई इंजीनियरिंग कॉलेजों एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में जेईई मेंस की मेरिट के आधार पर ही दाखिले प्रदान किए जाते हैं. ऐसे मामलों में विदेशी और एनआरआई छात्रों को भी जेईई मेंस की परीक्षा के आधार पर दाखिला प्रदान किया जा सकता है.

ये भी पढे़ं : ये है बिहार का 'विलेज ऑफ आईआईटीयंस', हर साल हर घर से IIT के लिए चुने जाते हैं छात्र

(IANS)

नई दिल्ली : भारतीय इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले के लिए होने वाला जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम 'जेईई' वैश्विक रूप लेने जा रहा है. क्वालालंपुर और लागोस जैसे विदेशी शहरों में पहले ही बीते वर्ष यह परीक्षाएं करवाई जा चुकी हैं. भारत सरकार के सहयोग से इन परीक्षाओं को 12 विदेशी सिटी में आयोजित किया गया था. हालांकि इस बार शिक्षा मंत्रालय ने भारत के बाहर पहली बार 25 देशों में एक साथ जेईई मेंस परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई है. (IIT to Go Global).

इस बार जिन देशों में यह परीक्षा आयोजित करवाई जा रही हैं उनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, सिंगापुर, चीन, नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया बहरीन, कुवैत, कतर, यूएई समेत अन्य देश शामिल हैं. इस साल एनआरआई और विदेश में पढ़ रहे भारतीय एवं विदेशी नागरिकों के लिए करीब 3900 यूजी और 1300 पीजी सीटें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.

यह सीटें देश के उच्च श्रेणी के इंजीनियरिंग संस्थानों में आरक्षित की जाएंगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक 'डासा' यानी 'डायरेक्ट एडमिशन ऑफ स्टूडेंट अब्रॉड' स्कीम के तहत इन छात्रों को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले प्रदान किए जाएंगे. विदेशी छात्र, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट, व अन्य केंद्र सरकार द्वारा पोषित तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दाखिला पा सकेंगे.

इनमें इंजीनियरिंग के बेहतरीन शिक्षण संस्थान माने जाने वाले ट्रिपल आईटी और एनआईटी भी शामिल हैं. हालांकि आईआईटी में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी. फिलहाल देश के सभी आईआईटी संस्थानों को इससे बाहर रखा गया है.

बावजूद इसके व्यापक स्तर पर भारत के शीर्ष तकनीकी संस्थान इतनी सीटों की पेशकश की जा रही है. इस योजना के लिए शिक्षा मंत्रालय एनआईटी, आईआईआईटी और केंद्र द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों में कुल सीटों के 15 प्रतिशत की योजना है.

गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ऐसे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों का स्वागत करेगा जो भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध करा सकते हैं. इसकी पहल करते हुए विश्व भर के 63 देशों में भारतीय राजदूतों से संपर्क किया गया है. इन देशों में जापान, नीदरलैंड, रूस, दक्षिण कोरिया, इटली, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ताइवान, स्पेन, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, थाईलैंड, यूएई, अर्जेंटीना, ब्राजील, ग्रीस, साइप्रस, आइसलैंड, तुर्की आदि देश शामिल हैं.

शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस मुहिम का उद्देश्य न केवल भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों को विदेशी शिक्षण संस्थानों के साथ सहयोग स्थापित करने में मदद करना है बल्कि विदेशी विश्वविद्यालयों को भी इस बात के लिए प्रेरित करना भी है कि वह अपने छात्रों को भारतीय संस्थानों में भेजें. भारत सरकार ने इन्सटीट्यिूशन ऑफ एमिनेंस योजना के अंतर्गत देश में कई विश्वविद्यालयों को इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंस का दर्जा दिया है. गौरतलब है कि विदेशी छात्रों को भारत के 'इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंट' आकर्षित करते हैं.

आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर डीके शर्मा के मुताबिक हर वर्ष दुनिया भर से सैकड़ों विदेश छात्र भारतीय विश्विवद्यालयों में प्रवेश लेने आते हैं. हालांकि विदेशी एवं छात्रों द्वारा भारतीय संस्थानों में दाखिला लेने की यह प्रक्रिया अभी तक भारत के केवल कुछ विश्वविद्यालयों तक ही सीमित है. लेकिन अब इसे व्यापक स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है. निश्चित तौर पर ही इसका लाभ देखने को मिलेगा. विश्वविद्यालयों एवं केंद्र द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों में कुल सीटों के 15 प्रतिशत सीटों पर विदेशी छात्रों को प्रवेश देना निश्चित किया गया है.

प्रोफेसर सीएस कांडपाल के मुताबिक जेईई मेंस के बाद जेईई एडवांस परीक्षा ली जाती है. जेईई एडवांस के नतीजों के आधार पर मुख्यत देश की 23 आईआईटी, 31 एनआईटी, 23 ट्रिपल आईटी, सहित जेएफटीआई की 40 हजार से अधिक सीटों पर दाखिले होते हैं. पिछले वर्ष जेईई (एडवांस्ड) 2021 के पेपर 1 और 2 दोनों में कुल 141699 उम्मीदवार शामिल हुए थे.

कुल 41862 उम्मीदवारों ने जेईई (एडवांस्ड) 2021 क्वालिफाई किया था. कुल क्वालिफाई में से उम्मीदवार, 6452 महिलाएं थी. गौरतलब है कि जेईई जैसी अहम परीक्षाओं के लिए 13 विभिन्न भाषाओं को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है. इंजीनियरिंग करने के इच्छुक छात्र इस सुविधा के अंतर्गत अपनी मातृभाषा में परीक्षाएं दे सकते हैं.

इस वर्ष जून और जुलाई माह के दौरान दो अलग-अलग चरणों में जेईई मेंस की परीक्षाएं आयोजित की जानी हैं. जेईई मेंस के पहले चरण की परीक्षा 20 जून से शुरू हो रही है. जेईई मेंस में सफल रहने वाले छात्रों के लिए जेईई एडवांस टेस्ट आयोजित करवाया जाएगा. हालांकि कई इंजीनियरिंग कॉलेजों एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में जेईई मेंस की मेरिट के आधार पर ही दाखिले प्रदान किए जाते हैं. ऐसे मामलों में विदेशी और एनआरआई छात्रों को भी जेईई मेंस की परीक्षा के आधार पर दाखिला प्रदान किया जा सकता है.

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(IANS)

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