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सुप्रीम कोर्ट का फैसला- मंदिर की संपत्ति के मालिक होंगे भगवान हनुमान, पुजारी केयरटेकर

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसके मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के मंदिर अथवा उससे जुड़ी संपत्ति का मालिकाना हक मंदिर में विराजमान मूर्ति को दिया है. सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों के मुताबिक मध्य प्रदेश में यह पहला फैसला है जिसमें सार्वजनिक मंदिर की जमीन के मालिक हनुमान जी की प्रतिमा होगी.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
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Published : Sep 11, 2021, 9:43 PM IST

ग्वालियर : शहर के लक्ष्मीगंज इलाके में स्थित हनुमानजी के एक मंदिर और मंदिर से लगी जमीन (Mandir Property) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने फैसला दिया है. फैसले के मुताबिक मंदिर से लगी औकाफ की जमीन, बारादरी और बगीचे का मालिक हनुमानजी को घोषित किया गया है. हाल ही में दिए गए अपने जजमेंट में SC (Supreme court) ने मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले पुजारी को मंदिर के केयरटेकर के रूप में रहने का आदेश दिया है.

7 साल से चल रहा था मुकदमा

मंदिर की जमीन को लेकर मामला बीते 7 सालों से चल रहा था. जिसके बाद हाल ही में राजस्व मंडल ने शहर के लक्ष्मीगंज इलाके में स्थित श्री हनुमान मंदिर की जमीन को औकाफ की जमीन घोषित किया है. फैसले में साफ कहा गया है कि सार्वजनिक मंदिर और उसकी जमीन के मालिक मंदिर में विराजमान हनुमानजी की प्रतिमा होगी. यह मंदिर लक्ष्मीगंज के जागृति नगर में स्थित एक प्राचीन हनुमान मंदिर है. मंदिर के पास एक बगीचा और बारादरी भी है. मंदिर से लगी जमीन की पैमाइश 11 बिस्वा बताई गई हैं.

जमीन पट्टे की बतायी जा रही थी

मंदिर के पास में रहने वाले विष्णु दत्त शर्मा ने मंदिर की इस जमीन को अपनी पुश्तैनी बताते हुए इसे अपने पिता द्वारा पट्टे में मिलना बताया था. मंदिर के पक्ष में सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया गया कि मंदिर घनी आबादी के बीच है. ऐसी जगह पर जमीन पट्टे पर नहीं दी जाती. इस मामले में स्थानीय निवासी वीएस घुरैया ने अपने एक सहयोगी पंडित नरेंद्र के साथ मिलकर इस जमीन पर विष्णु दत्त शर्मा के कब्जे को अवैध बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत कर निराकरण के आदेश दिए थे, लेकिन कलेक्टर कोर्ट ने इस जमीन के बारे में स्पष्ट रूप से आदेशित नहीं किया था कि जमीन सरकारी है अथवा विष्णु दत्त शर्मा की है.

2019 में दायर की गई पुनरीक्षण याचिका

कलेक्टर कोर्ट ने इस जमीन को आंशिक रूप से विष्णु दत्त शर्मा की होने का भी अंदेशा जताया था. इसके बाद पक्षकार राजस्व मंडल (land revenue record) में गए. जहां रेवेन्यू बोर्ड (land revenue record) ने इस जमीन को सरकारी माना. विष्णु दत्त शर्मा ने इसके खिलाफ 2019 में पुनरीक्षण याचिका दायर की जिसपर इसी साल मई के महीने में अंतिम बहस हुई. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला आ गया जिसके मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के मंदिर अथवा उससे जुड़ी संपत्ति का मालिकाना हक मंदिर में विराजमान मूर्ति को दिया है. सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों के मुताबिक मध्य प्रदेश में यह पहला फैसला है जिसमें सार्वजनिक मंदिर की जमीन के मालिक हनुमान जी की प्रतिमा होगी.

पढ़ेंः 2022 बहाना-2024 निशाना : 6 महीने में बदल दिए चार क्षत्रप

ग्वालियर : शहर के लक्ष्मीगंज इलाके में स्थित हनुमानजी के एक मंदिर और मंदिर से लगी जमीन (Mandir Property) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने फैसला दिया है. फैसले के मुताबिक मंदिर से लगी औकाफ की जमीन, बारादरी और बगीचे का मालिक हनुमानजी को घोषित किया गया है. हाल ही में दिए गए अपने जजमेंट में SC (Supreme court) ने मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले पुजारी को मंदिर के केयरटेकर के रूप में रहने का आदेश दिया है.

7 साल से चल रहा था मुकदमा

मंदिर की जमीन को लेकर मामला बीते 7 सालों से चल रहा था. जिसके बाद हाल ही में राजस्व मंडल ने शहर के लक्ष्मीगंज इलाके में स्थित श्री हनुमान मंदिर की जमीन को औकाफ की जमीन घोषित किया है. फैसले में साफ कहा गया है कि सार्वजनिक मंदिर और उसकी जमीन के मालिक मंदिर में विराजमान हनुमानजी की प्रतिमा होगी. यह मंदिर लक्ष्मीगंज के जागृति नगर में स्थित एक प्राचीन हनुमान मंदिर है. मंदिर के पास एक बगीचा और बारादरी भी है. मंदिर से लगी जमीन की पैमाइश 11 बिस्वा बताई गई हैं.

जमीन पट्टे की बतायी जा रही थी

मंदिर के पास में रहने वाले विष्णु दत्त शर्मा ने मंदिर की इस जमीन को अपनी पुश्तैनी बताते हुए इसे अपने पिता द्वारा पट्टे में मिलना बताया था. मंदिर के पक्ष में सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया गया कि मंदिर घनी आबादी के बीच है. ऐसी जगह पर जमीन पट्टे पर नहीं दी जाती. इस मामले में स्थानीय निवासी वीएस घुरैया ने अपने एक सहयोगी पंडित नरेंद्र के साथ मिलकर इस जमीन पर विष्णु दत्त शर्मा के कब्जे को अवैध बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत कर निराकरण के आदेश दिए थे, लेकिन कलेक्टर कोर्ट ने इस जमीन के बारे में स्पष्ट रूप से आदेशित नहीं किया था कि जमीन सरकारी है अथवा विष्णु दत्त शर्मा की है.

2019 में दायर की गई पुनरीक्षण याचिका

कलेक्टर कोर्ट ने इस जमीन को आंशिक रूप से विष्णु दत्त शर्मा की होने का भी अंदेशा जताया था. इसके बाद पक्षकार राजस्व मंडल (land revenue record) में गए. जहां रेवेन्यू बोर्ड (land revenue record) ने इस जमीन को सरकारी माना. विष्णु दत्त शर्मा ने इसके खिलाफ 2019 में पुनरीक्षण याचिका दायर की जिसपर इसी साल मई के महीने में अंतिम बहस हुई. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला आ गया जिसके मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के मंदिर अथवा उससे जुड़ी संपत्ति का मालिकाना हक मंदिर में विराजमान मूर्ति को दिया है. सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों के मुताबिक मध्य प्रदेश में यह पहला फैसला है जिसमें सार्वजनिक मंदिर की जमीन के मालिक हनुमान जी की प्रतिमा होगी.

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