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पंजाब कांग्रेस के लिए सिद्धू और जाखड़ बने सिरदर्द ! - अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग पंजाब कांग्रेस सिद्धू जाखड़

विधानसभा चुनाव के बाद भी पंजाब कांग्रेस के अंदरूनी हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. पार्टी ने नए अध्यक्ष की घोषणा कर दी, लेकिन सिद्धू और जाखड़, उनके नेतृत्व में काम करने को तैयार नहीं है. इन दोनों नेताओं के हावभाव से तो ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं. ऐसा नहीं है कि गलती किसी एक पक्ष की हो, पार्टी भी अपने स्तर पर कई सारे ऐसे फैसले ले रही है, जिससे उसे ही नुकसान हो रहा है. पार्टी भी यह नहीं देख रही है कि किस को शोकॉज नोटिस देना चाहिए और किसको नहीं. पढ़ें पूरी खबर.

sidhu jakhad
सिद्धू, जाखड़
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Published : Apr 19, 2022, 7:11 PM IST

चंडीगढ़ : कांग्रेस पार्टी ने भले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को सौंप दी हो, लेकिन पार्टी के अंदर अभी भी सब कुछ ठीक होता दिखाई नहीं दे रहा है. पार्टी के लिए इन दिनों दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सबसे बड़ा सिरदर्द बने हुए हैं. ये हैं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़. दोनों के हावभाव से नहीं लगता है कि वे पार्टी के नए नेतृत्व में चलने को तैयार हैं.

सिद्धू अब भी कई सारे नेताओं से मिल रहे हैं. चुनाव के पहले भी भी वह इसी तरह से नेताओं से मिलते थे. इससे पार्टी में एक गलत संदेश गया. और ऐसा लगता है कि यही सिलसिला अब भी जारी है. नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ उनका तालमेल अभी तक बहुत अच्छा नहीं दिखा है. कुछ दिन पहले ही अध्यक्ष ने बैठक बुलाई थी, लेकिन सिद्धू उसमें शामिल नहीं हुए. अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू के समर्थक नेताओं ने उन पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए.

बात पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ की करें तो वे भी इन दिनों पार्टी लाइन से अलग होते नजर आ रहे हैं. दरअसल उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ तीखी टिप्पणी कर दी थी. जिसके बाद पार्टी के अंदर तो उनका विरोध हुआ ही, दूसरे नेताओं ने भी उनसे सवाल किए. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने सुनील जाखड़ को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. जाखड़ ने इसका अभी तक जवाब नहीं दिया है.

पार्टी के अंदर मचा है घमासान - इन दोनों नेताओं ( नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़ ) के तेवरों से यह बात तो साफ है कि पंजाब में पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है. दोनों नेता विधानसभा चुनावों से पहले भी कई बार मुखर तेवरों के साथ बयान देते रहे हैं. वहीं मौजूदा दौर में पार्टी भले ही विपक्ष में पहुंच गई है, लेकिन इनके तेवर अभी भी वैसे ही हैं. इन हालातों में कांग्रेस पार्टी को अभी भी विरोधी पार्टी के नेताओं के सवालों के जवाब देने से ज्यादा अपनों को ही जवाब देने पड़ रहे हैं.

क्या कहते हैं नए अध्यक्ष - इधर इन दोनों नेताओं को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में लुधियाना में पार्टी के नए अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग कहते हैं कि अगर सिद्धू पार्टी हित में बैठकें कर रहे हैं तो अच्छा है, पार्टी को इससे कोई समस्या नहीं है. अगर वे इन बैठकों में सिर्फ अपने संदर्भ में ही बात कर रहे हैं, तो फिर यह गलत है. वहीं उन्होंने यहां यह भी साफ कर दिया कि सिद्धू उनसे बिना पूछे बैठक कर रहे हैं. इस बात से यह तो साफ है कि सिद्धू अलग धारा में चल रहे हैं. वहीं सुनील जाखड़ को लेकर वे कहते हैं कि उनसे जवाब हाईकमान ने मांगा है, इसमें उनका कोई रोल नहीं है.

सिद्धू ने कहा पार्टी के लिए ही कर रहे हैं काम - सुनील जाखड़ को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेदार है. हालांकि राजा वड़िंग के संदर्भ में वे कहते हैं कि भले ही हम अलग-अलग काम कर रहे हों, लेकिन यह सब हम पार्टी के लिए ही कर रहे हैं. हालांकि सिद्धू बठिंडा में जाकर कांग्रेस के उन नेताओं से मिले जो पार्टी से पहले से नाराज़ चल रहे हैं. वहीं उन्होंने राजा वड़िंग के खिलाफ आवाज उठाने वाले सुरजीत धीमान से भी मुलाकात की. उन्हें पार्टी ने निष्कासित कर दिया है. सिद्धू भले ही पार्टी को मजबूत करने की बात कर रहे हों, लेकिन उनकी यह मुलाकातें कुछ और कहानी बयां कर रही है.

क्या कहते हैं कांग्रेस में मचे घमासान पर राजनीतिक जानकार- ऐसे में सवाल यह है कि इन हालातों में पार्टी क्या प्रदेश में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा पाएगी? इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार सुखबीर बाजवा कहते हैं कि पार्टी ने जिसको अध्यक्ष बनाया है वह विपक्ष के तौर पर अच्छी भूमिका निभा सकता है. लेकिन जिस तरीके के तेवर सिद्धू और सुनील जाखड़ ने अपनाएं हैं, वह पार्टी को तो प्रभावित करती ही हैं. वहीं वे यह भी कहते हैं कि जिस तरीके से पार्टी वरिष्ठ नेताओं को शोकॉज नोटिस दे रही है, उसे देखते हुए लग रहा है कि पार्टी भी यह नहीं देख रही है कि किस को शोकॉज नोटिस देना चाहिए और किसको नहीं. इस तरह के नोटिस जारी कर पार्टी खुद का नुकसान कर ही रही है.

सवाल है कि पार्टी में विधानसभा चुनाव से पहले जो हालात थे, आज भी कमोबेश वही स्थिति है. इसका किसको फायदा और किसको नुकसान होगा ? इस सवाल के जवाब में सुखबीर बाजवा कहते हैं कि निश्चित तौर पर ही पार्टी को समय से यह सब रोकना होगा. वरना इसका नुकसान आने वाले दिनों में पार्टी को होगा. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी की वही हालात हो जाएगी जो विधानसभा चुनाव में हुई है. इसलिए नेताओं को अपने व्यवहार में बदलाव तो लाना ही होगा. साथ ही पार्टी को भी इस को लेकर गंभीर होना होगा.

चंडीगढ़ : कांग्रेस पार्टी ने भले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को सौंप दी हो, लेकिन पार्टी के अंदर अभी भी सब कुछ ठीक होता दिखाई नहीं दे रहा है. पार्टी के लिए इन दिनों दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सबसे बड़ा सिरदर्द बने हुए हैं. ये हैं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़. दोनों के हावभाव से नहीं लगता है कि वे पार्टी के नए नेतृत्व में चलने को तैयार हैं.

सिद्धू अब भी कई सारे नेताओं से मिल रहे हैं. चुनाव के पहले भी भी वह इसी तरह से नेताओं से मिलते थे. इससे पार्टी में एक गलत संदेश गया. और ऐसा लगता है कि यही सिलसिला अब भी जारी है. नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ उनका तालमेल अभी तक बहुत अच्छा नहीं दिखा है. कुछ दिन पहले ही अध्यक्ष ने बैठक बुलाई थी, लेकिन सिद्धू उसमें शामिल नहीं हुए. अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू के समर्थक नेताओं ने उन पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए.

बात पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ की करें तो वे भी इन दिनों पार्टी लाइन से अलग होते नजर आ रहे हैं. दरअसल उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ तीखी टिप्पणी कर दी थी. जिसके बाद पार्टी के अंदर तो उनका विरोध हुआ ही, दूसरे नेताओं ने भी उनसे सवाल किए. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने सुनील जाखड़ को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. जाखड़ ने इसका अभी तक जवाब नहीं दिया है.

पार्टी के अंदर मचा है घमासान - इन दोनों नेताओं ( नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़ ) के तेवरों से यह बात तो साफ है कि पंजाब में पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है. दोनों नेता विधानसभा चुनावों से पहले भी कई बार मुखर तेवरों के साथ बयान देते रहे हैं. वहीं मौजूदा दौर में पार्टी भले ही विपक्ष में पहुंच गई है, लेकिन इनके तेवर अभी भी वैसे ही हैं. इन हालातों में कांग्रेस पार्टी को अभी भी विरोधी पार्टी के नेताओं के सवालों के जवाब देने से ज्यादा अपनों को ही जवाब देने पड़ रहे हैं.

क्या कहते हैं नए अध्यक्ष - इधर इन दोनों नेताओं को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में लुधियाना में पार्टी के नए अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग कहते हैं कि अगर सिद्धू पार्टी हित में बैठकें कर रहे हैं तो अच्छा है, पार्टी को इससे कोई समस्या नहीं है. अगर वे इन बैठकों में सिर्फ अपने संदर्भ में ही बात कर रहे हैं, तो फिर यह गलत है. वहीं उन्होंने यहां यह भी साफ कर दिया कि सिद्धू उनसे बिना पूछे बैठक कर रहे हैं. इस बात से यह तो साफ है कि सिद्धू अलग धारा में चल रहे हैं. वहीं सुनील जाखड़ को लेकर वे कहते हैं कि उनसे जवाब हाईकमान ने मांगा है, इसमें उनका कोई रोल नहीं है.

सिद्धू ने कहा पार्टी के लिए ही कर रहे हैं काम - सुनील जाखड़ को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेदार है. हालांकि राजा वड़िंग के संदर्भ में वे कहते हैं कि भले ही हम अलग-अलग काम कर रहे हों, लेकिन यह सब हम पार्टी के लिए ही कर रहे हैं. हालांकि सिद्धू बठिंडा में जाकर कांग्रेस के उन नेताओं से मिले जो पार्टी से पहले से नाराज़ चल रहे हैं. वहीं उन्होंने राजा वड़िंग के खिलाफ आवाज उठाने वाले सुरजीत धीमान से भी मुलाकात की. उन्हें पार्टी ने निष्कासित कर दिया है. सिद्धू भले ही पार्टी को मजबूत करने की बात कर रहे हों, लेकिन उनकी यह मुलाकातें कुछ और कहानी बयां कर रही है.

क्या कहते हैं कांग्रेस में मचे घमासान पर राजनीतिक जानकार- ऐसे में सवाल यह है कि इन हालातों में पार्टी क्या प्रदेश में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा पाएगी? इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार सुखबीर बाजवा कहते हैं कि पार्टी ने जिसको अध्यक्ष बनाया है वह विपक्ष के तौर पर अच्छी भूमिका निभा सकता है. लेकिन जिस तरीके के तेवर सिद्धू और सुनील जाखड़ ने अपनाएं हैं, वह पार्टी को तो प्रभावित करती ही हैं. वहीं वे यह भी कहते हैं कि जिस तरीके से पार्टी वरिष्ठ नेताओं को शोकॉज नोटिस दे रही है, उसे देखते हुए लग रहा है कि पार्टी भी यह नहीं देख रही है कि किस को शोकॉज नोटिस देना चाहिए और किसको नहीं. इस तरह के नोटिस जारी कर पार्टी खुद का नुकसान कर ही रही है.

सवाल है कि पार्टी में विधानसभा चुनाव से पहले जो हालात थे, आज भी कमोबेश वही स्थिति है. इसका किसको फायदा और किसको नुकसान होगा ? इस सवाल के जवाब में सुखबीर बाजवा कहते हैं कि निश्चित तौर पर ही पार्टी को समय से यह सब रोकना होगा. वरना इसका नुकसान आने वाले दिनों में पार्टी को होगा. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी की वही हालात हो जाएगी जो विधानसभा चुनाव में हुई है. इसलिए नेताओं को अपने व्यवहार में बदलाव तो लाना ही होगा. साथ ही पार्टी को भी इस को लेकर गंभीर होना होगा.

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