बेंगलुरु : कर्नाटक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुजराई विभाग के तहत आने वाले 35,500 से अधिक मंदिरों को सरकारी नियमों से मुक्त (temples free from govt control) karnatakaकरने की घोषणा कर राज्य में हलचल मचा दी है. विपक्षी कांग्रेस ने कहा है कि वह भाजपा को ऐसा कोई कानून नहीं बनाने देगी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा कि इस मामले में 4 जनवरी को वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद फैसला लिया जाएगा.
मुजराई विभाग द्वारा मंदिरों का ऑडिट कराने (audit of temples in Karnataka) का निर्णय लेने के ठीक बाद हुबली में हाल ही में राज्य कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान भाजपा ने यह घोषणा की.
इससे पहले कांग्रेस सरकारों और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने मंदिर प्रबंधन में पारदर्शिता लाने और खातों में गड़बड़ी के लिए मंदिर के शक्तिशाली अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने के विषय को छूने की हिम्मत नहीं की थी. यहां तक कि सिद्धारमैया सरकार भी इस मुद्दे से दूर रही. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के हालिया फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया है.
इस घोषणा से राज्य में बहस छिड़ गई है. कांग्रेस के शिवकुमार ने आरोप लगाया है कि मंदिरों पर फैसला ऐतिहासिक भूल होगी. उन्होंने कहा कि यह फैसला मंदिरों को आरएसएस और भाजपा नेताओं के हवाले करने की साजिश है.
युवा ब्रिगेड के संस्थापक चक्रवर्ती सुलीबेले ने बताया कि भाजपा ने मंदिरों का प्रबंधन हिंदू समुदाय को सौंपने का अच्छा और समझदारी भरा फैसला लिया है. 'नियंत्रण लेने' की अवधारणा मुगलों और अंग्रेजों के समय में उत्पन्न हुई थी. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने हिंदू मंदिरों पर नियंत्रण करने के लिए 'एंडोमेंट एक्ट' जैसे कानून भी लाए.
उन्होंने कहा, "जब कोई वीआईपी या मंत्री का मंदिर का दौरा होता है तो प्रशासक सभी परंपराओं को तोड़ देता है. मंदिरों में जहां निजी प्रबंधन होता है, ऐसी चीजों को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है."
हालांकि, शिवकुमार ने सवाल किया कि मुजराई विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिरों को स्थानीय लोगों को प्रशासन के लिए कैसे दिया जा सकता है. यह सरकार की संपत्ति है. इन मंदिरों द्वारा करोड़ों रुपये में धन एकत्र किया जाता है.
अभिनेत्री और तमिलनाडु भाजपा नेता खुशबू सुंदर ने मंदिरों को सरकारी अधिकारियों के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए एक स्टैंड लेने के लिए कर्नाटक भाजपा सरकार की प्रशंसा की है. उन्होंने कहा, "यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय है क्योंकि मंदिरों को छोड़कर अन्य सभी धार्मिक संस्थान स्वतंत्र हैं."
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि राज्य सरकार और नौकरशाहों के नियंत्रण में हिंदू मंदिरों को बहुत नुकसान हुआ है. कई नियम और उपनियम मंदिरों के विकास के लिए हानिकारक हैं. नया बिल बजट सत्र से पहले कैबिनेट के सामने लाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि मंदिर प्राधिकरण सरकार के नियमन के अधीन होंगे, लेकिन वे सरकार की मंजूरी का इंतजार किए बिना मंदिरों के विकास के लिए अपने धन का उपयोग करने में सक्षम होंगे.
शिवकुमार द्वारा बोम्मई ने कहा, "हम मंदिरों को किसी को नहीं सौंप रहे हैं. मंदिरों को सरकार के नियमों से मुक्त किया जा रहा है. शिवकुमार की राय हिंदू मंदिरों और हिंदू भक्तों के खिलाफ है."
मुजराई विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस मामले पर मंत्रालय के साथ चर्चा होनी बाकी है. हालांकि, मंदिरों की आय मंदिरों के बैंक खातों में जमा की जाएगी और इसका उपयोग उनके विकास के लिए किया जाएगा.
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(एक्स्ट्रा इनपुट-आईएएनएस)