नई दिल्ली : हाथरस केस में युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म तथा हत्या के मामले में रात में अंतिम संस्कार कराने पर उत्तर प्रदेश सरकार के जवाब देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से तीन अन्य मुद्दों पर भी हलफनामा मांगा है.
हाथरस कांड पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अपना पक्ष रखा. सुप्रीम कोर्ट में हाथरस मामले की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट के 29 सितंबर देर रात मृत युवती के अंतिम संस्कार करने के मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सफाई दी.
हलफनामे में कहा गया कि अदालत को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच का निर्देश देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए. सरकार ने कहा है कि जिला प्रशासन ने मृतक का सभी रस्मों के साथ अंतिम संस्कार रात में करने के लिए उसके माता-पिता को समझाने का निर्णय लिया था. इसका मकसद था कि सुबह शव दाह करने की स्थिति में बड़े पैमाने पर संभावित हिंसा को टाला जा सके. गौरतलब है कि, पीड़ित का पार्थिव शरीर पोस्टमॉर्टम के बाद करीब 20 घंटे से रखा था.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कथित रूप से हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया गया, क्योंकि ऐसी खुफिया सूचनाएं मिली थीं कि युवती और आरोपी दोनों के समुदायों के लाखों लोग राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ उसके गांव में इकट्ठा होंगे.
इससे कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ी समस्या हो जाती. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश देने का भी आग्रह किया. इसने दावा किया कि निहित स्वार्थ वाले लोग निष्पक्ष जांच को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं.
अपने हलफनामे में, राज्य ने पीड़िता के दाह संस्कार को उचित ठहराया - जिसकी मृत्यु 29 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में हुई थी और 30 सितंबर को देर रात 2.30 बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, क्योंकि इस बात की आशंका थी कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो सकते हैं.
सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी फैसला सुनाए जाने को लेकर जिले में हाई अलर्ट था.
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सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि इस घटना की सच्चाई सामने लाने के लिए सरकार निष्पक्ष जांच के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
यह कहा गया कि हाथरस जिला प्रशासन को 29 सितंबर की सुबह से कई खुफिया जानकारी मिली थी, जिस तरह से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक धरना आयोजित किया गया था और पूरे मामले का फायदा उठाया जा रहा है और इसे एक जातिगत और सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.
सरकार ने आगे कहा कि ऐसी असाधारण और गंभीर परिस्थितियों में, जिला प्रशासन ने सुबह में बड़े पैमाने पर हिंसा से बचने के लिए उसके माता-पिता को मनाकर रात में सभी धार्मिक संस्कारों के साथ शव का अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया.
यूपी सरकार ने हलफनामे में राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों को जाति विभाजन के प्रयास के लिए दोषी ठहराया है. सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अपनी निगरानी में हाथरस मामेल की सीबीआई जांच के निर्देश देने चाहिए.
बता दें कि योगी सरकार ने केंद्र से सीबीआई जांच की सिफारिश की है.
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऐफिडेविट देकर कहा है कि कथित गैंगरेप मामले में जांच को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है. यूपी सरकार ने इस मामले में यह भी कहा है कि हिंसा से बचने के लिए रात में ही पीड़िता का अंतिम संस्कार कराना पड़ा था. यूपी सरकार ने कहा है कि हाथरस मामले पर दुष्प्रचार करके सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.
'गवाहों के संरक्षण के लिए क्या किया गया'
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हाथरस में दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में अस्पताल में उसकी मृत्यु की घटना से संबंधित गवाहों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में गुरुवार तक विस्तृत जानकारी दी जाए. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की, क्योंकि राजनीतिक मकसद से इस मामले के बारे में फर्जी बातें की जा रही हैं.
उच्चतम न्यायालय ने हाथरस मामले में कहा कि हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही के दायरे के बारे में सभी से सुझाव चाहते हैं और हम इसका दायरा बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना को हृदय विदारक और अभूतपूर्व करार देते हुए कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की जांच सुचारू ढंग से हो.
उप्र सरकार ने कहा कि हाथरस मामले के गवाहों की सुरक्षा के संबंध में गुरुवार को हलफनामा दायर करेगी. न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध की.
प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा हाथरस मामले में कई तरह की बातें की जा रही हैं. इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है. राज्य सरकार ने पीठ से यह भी कहा कि हाथरस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में कराई जा सकती है.