नई दिल्ली : ऑल इंडिया किसान सभा ने बुधवार को किसानों के मुद्दे पर एक बुकलेट और देश में मौजूदा एमएसपी की वास्तविकता पर आंकड़ों के साथ एक विस्तृत नोट जारी किया. किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मौजूदा एमएसपी की असलियत यह है कि देश के 90% से ज्यादा किसान इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं और उन्हें बाजार दर पर ही अपने उत्पाद को बेचना पड़ता है.
उदाहरण के लिये मौजूदा धान की फसल के बारे में बात करते हुए धावले ने बताया कि धान के लिये घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 1970 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन उत्तर प्रदेश में ही किसान अपना धान 1100 रुपये प्रति क्विंटल के दर से बाजार में बेचने को मजबूर हैं.
किसान सभा ने विस्तृत रूप से आंकड़े जारी करते हुए यह मुद्दा भी उठाया है कि मौजूदा स्वरूप में केवल 23 कृषि फसलों पर एमएसपी मिलती है जो सरकार की एजेंसी CACP द्वारा लागत मूल्य के आंकलन के बाद घोषित की जाती है.
किसान सभा का कहना है कि मोदी सरकार किसानों को 6000 रुपये की सम्मान निधि बंद कर दे लेकिन एमएसपी पर अनिवार्य खरीद का कानून तत्काल बना देना चाहिये. किसान नेता मानते हैं कि देश में किसानों की आत्महत्या का मुख्य कारण फसल का पूरा दाम न मिलना है. किसानों को एमएसपी के अनुसार कीमत मिलने से न केवल उनकी क्रय क्षमता बढ़ेगी बल्की इससे उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा और देश की भी तरक्की होगी.
इसके अलवा अशोक धावले ने एक बार फिर संयुक्त किसान मोर्चा की सभी मांगों को दोहराते हुए कहा कि ये आंदोलन तब तक वापस नहीं लिया जाएगा जब तक सरकार किसानों से बातचीत कर उनके बाकी मांगों पर विचार नहीं करती.
आंदोलन के दौरान मृतक किसानों के लिये सिंघू बॉर्डर पर समाधि स्थल बनाने की बात भी कही गई है. सरकार से इसके लिये जमीन की मांग की गई है. डॉ अशोक धावले ने कहा कि निर्माण का काम संयुक्त किसान मोर्चा करेगा लेकिन सरकार को जमीन निर्गत करना चाहिये.
पढ़ें : कल हैदराबाद जाएंगे राकेश टिकैत, किसानों और मजदूरों से करेंगे संवाद, लेकिन उससे पहले कही ये बड़ी बात