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किसान को बैल नहीं मिले, तो उसने लगाया ऐसा अजीब जुगाड़

खेती के लिए एक जोड़ी बैल नहीं मिलने और ट्रैक्टर का खर्च वहन नहीं कर पाने के बाद किसान ने इस काम में घोड़ों के एक जोड़े का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया (wasim farmer uses horses for various farming works) है. ये वाकया महाराष्ट्र के वाशिम जिले का है.

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Published : Apr 5, 2022, 3:39 PM IST

वाशिम : महाराष्ट्र के वाशिम जिले में एक किसान ने खेती के लिए अजीब जुगाड़ लगाया (farmer did strange work for farming in maharashtra) है. खेती के लिए एक जोड़ी बैल नहीं मिलने और ट्रैक्टर का खर्च वहन नहीं कर पाने के बाद किसान ने इस काम में घोड़ों के एक जोड़े का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया (wasim farmer uses horses for various farming works) है. ये वाकया वाशिम तालुका के शेलगांव घुगे की है.

जानकारी के मुताबिक, शेलगांव घुगे के भाऊराव सूर्यभान धनगर ने कुछ साल पहले राजा नाम का एक छोटा घोड़ा खरीदा था. खेत घर से तीन किलोमीटर दूर स्थित है. रोजाना वह घोड़े से अपने खेतों तक आना-जाना करते थे. अब घोड़े की चाल बढ़े, इसलिए उन्होंने एक और घोड़ा 'तुलशा' खरीद लिया. इसके बाद खेती के लिए उन्हें बैलों की कमी होने लगी थी. एक जोड़ा बैल खरीदने में जब दिक्कत होने लगी, तब उन्होंने ट्रैक्टर किराये पर लाकर खेतों में काम कराने का सोचा.

लेकिन ट्रैक्टर भी अपने समयानुसार ही खेतों में पहुंचता था और खर्च भी उसका दुगना हो जाता था, जिसे वहन करना किसान के बस का न था. इसलिए उन्होंने अपने एक जोड़े घोड़ों को खेती में लगाने का तय किया. अब वह उन घोड़ों को सिर्फ सवारी के लिए नहीं, बल्कि खेतों के कामों में लगाते हैं. किसान ये यह तरकीब खुद निकाली है.

वाशिम : महाराष्ट्र के वाशिम जिले में एक किसान ने खेती के लिए अजीब जुगाड़ लगाया (farmer did strange work for farming in maharashtra) है. खेती के लिए एक जोड़ी बैल नहीं मिलने और ट्रैक्टर का खर्च वहन नहीं कर पाने के बाद किसान ने इस काम में घोड़ों के एक जोड़े का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया (wasim farmer uses horses for various farming works) है. ये वाकया वाशिम तालुका के शेलगांव घुगे की है.

जानकारी के मुताबिक, शेलगांव घुगे के भाऊराव सूर्यभान धनगर ने कुछ साल पहले राजा नाम का एक छोटा घोड़ा खरीदा था. खेत घर से तीन किलोमीटर दूर स्थित है. रोजाना वह घोड़े से अपने खेतों तक आना-जाना करते थे. अब घोड़े की चाल बढ़े, इसलिए उन्होंने एक और घोड़ा 'तुलशा' खरीद लिया. इसके बाद खेती के लिए उन्हें बैलों की कमी होने लगी थी. एक जोड़ा बैल खरीदने में जब दिक्कत होने लगी, तब उन्होंने ट्रैक्टर किराये पर लाकर खेतों में काम कराने का सोचा.

लेकिन ट्रैक्टर भी अपने समयानुसार ही खेतों में पहुंचता था और खर्च भी उसका दुगना हो जाता था, जिसे वहन करना किसान के बस का न था. इसलिए उन्होंने अपने एक जोड़े घोड़ों को खेती में लगाने का तय किया. अब वह उन घोड़ों को सिर्फ सवारी के लिए नहीं, बल्कि खेतों के कामों में लगाते हैं. किसान ये यह तरकीब खुद निकाली है.

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