ETV Bharat / bharat

चीन से तनाव : अमेरिका ने हिंद महासागर में तैनात किए बी-1 बमवर्षक विमान

चीन के साथ बढ़ते टकराव के बीच अमेरिका ने अपने बी-1 बमवर्षक विमान और लगभग 200 एयरमैन को हिंद महासागर में डिएगो गार्सिया के प्रमुख सैन्य अड्डे पर तैनात किया है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

B-1B Lancer
B-1B Lancer
author img

By

Published : Oct 23, 2021, 10:14 AM IST

Updated : Oct 23, 2021, 11:55 AM IST

नई दिल्ली : चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच 'सहयोगियों का समर्थन' और 'सामरिक रणनीति' के उद्देश्य से, अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया (Diego Garcia) सैन्य अड्डे पर अपने बमवर्षक विमान B-1 को तैनात किया है.

चीन को कड़ा संदेश देने के लिए बी-1 बी लांसर्स (B-1B Lancers) और साउथ डकोटा स्थित एल्सवर्थ एयर फोर्स बेस से 28वें बॉम्ब विंग के लगभग 200 एयरमैन रविवार (17 अक्टूबर) को डिएगो गार्सिया में उतरे.

अमेरिकी वायु सेना की एक विज्ञप्ति में लेफ्टिनेंट कर्नल रॉस हॉब्स (37वें बॉम्ब स्क्वाड्रन के निदेशक- संचालन) के हवाले से कहा गया है कि ग्लोबल बी-1 ऑपरेशन न केवल अमेरिका के विरोधियों पर रणनीतिक बढ़त प्रदान करता है, बल्कि अमेरिका के सहयोगियों को मजबूत व स्पष्ट आश्वासन भी देता है.

B-1 बमवर्षक विमान निर्देशित और बिना निर्देशित हथियारों का सबसे बड़ा पारंपरिक पेलोड ले जाने में सक्षम है.

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने अगस्त 2020 में डिएगो गार्सिया में अपने B-2 स्टील्थ बमवर्षक विमानों को तैनात किया था, जब 15 जून, 2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था.

बी-52 बमवर्षक विमान ने जनवरी 2020 में डिएगो गार्सिया से भी ऑपरेशन किया था, जब अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी बढ़ गई थी.

अमेरिकी वायु सेना मुख्य रूप से तीन बमवर्षक विमान- बी-1बी 'लांसर', बी-2 'स्पिरिट' और बी-52 'स्ट्रेटोफोर्ट्रेस' संचालित करती है.

B-1 विमान लगभग 47 साल से अमेरिकी वायु सेना में सेवा दे रहा है. B-52 साल 1955 के बाद से सेवा में है और सबसे पुराना अमेरिकी बमवर्षक है, जबकि B-2 विमान पिछले 32 वर्षों से अमेरिकी वायु सेना में तैनात है.

माना जाता है कि अमेरिका द्वारा एक नए स्टील्थ स्ट्रैटेजिक बॉम्बर B-21 का उत्पादन किया जा रहा है.

भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए, अमेरिका मुख्य रूप से दो द्वीपीय सैन्य अड्डा संचालित करता है- गुआम में एंडरसन एयर फोर्स बेस और डिएगो गार्सिया में नेवल सपोर्ट फैसिलिटी.

अमेरिका से बाहर बमवर्षक विमानों की तैनाती की प्रथा के विपरीत, 2020 में 16 वर्षीय अमेरिकी नीति में बदलाव आया और बॉम्बर टास्क फोर्स की तैनाती का अभ्यास शुरू किया गया. अब बमवर्षक विमान अलग-अलग समय पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तैनात किए जाते हैं.

बी-1 के संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल रॉस हॉब्स ने कहा, INDOPACOM के परिचालन और रणनीतिक उद्देश्यों के समर्थन में बॉम्बर टास्क फोर्स मिशन, बहु-देश एकीकरण अवसरों के कारण हमारे एयरक्रू के लिए अत्यंत मूल्यवान हैं. वे हमें B-1 की बेजोड़ रेंज, गति और घातकता को प्रदर्शित करने का अवसर भी देते हैं.

राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य रूप से, अमेरिका-चीन के संबंध काफी तनावपूर्ण स्थिति में पहुंच गए हैं, क्योंकि ताइवान को संभावित टकराव के कारणों में से एक के रूप में देखा जा रहा है.

यह भी पढ़ें- तनावपूर्ण संबंधों के बीच चीन के नए राजदूत छिन गांग पहुंचे अमेरिका, जानें क्या कहा

हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में काफी सुधार हुए है, जिससे चीन की बेचैनी बढ़ गई है. दोनों देशों के बीच चार मूलभूत सैन्य समझौतों पर हस्ताक्षर करने के अलावा, कई संयुक्त सैन्य अभ्यास भी हुए हैं.

इस समय भी, अलास्का के जॉइंट बेस एल्मेंडोर्फ रिचर्डसन में दो देशों की थल सेनाओं के बीच दो सप्ताह तक चलने वाला 'युद्ध-अभ्यास' हो रहा है. इसमें कई संयुक्त सैन्य अभ्यास पूर्वी लद्दाख की अत्यधिक ठंड की स्थिति का अनुकरण करने से संबंधित हैं, जहां भारतीय और चीनी सेनाएं 17 महीने से अधिक समय से आमने-सामने हैं.

नई दिल्ली : चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच 'सहयोगियों का समर्थन' और 'सामरिक रणनीति' के उद्देश्य से, अमेरिका ने हिंद महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया (Diego Garcia) सैन्य अड्डे पर अपने बमवर्षक विमान B-1 को तैनात किया है.

चीन को कड़ा संदेश देने के लिए बी-1 बी लांसर्स (B-1B Lancers) और साउथ डकोटा स्थित एल्सवर्थ एयर फोर्स बेस से 28वें बॉम्ब विंग के लगभग 200 एयरमैन रविवार (17 अक्टूबर) को डिएगो गार्सिया में उतरे.

अमेरिकी वायु सेना की एक विज्ञप्ति में लेफ्टिनेंट कर्नल रॉस हॉब्स (37वें बॉम्ब स्क्वाड्रन के निदेशक- संचालन) के हवाले से कहा गया है कि ग्लोबल बी-1 ऑपरेशन न केवल अमेरिका के विरोधियों पर रणनीतिक बढ़त प्रदान करता है, बल्कि अमेरिका के सहयोगियों को मजबूत व स्पष्ट आश्वासन भी देता है.

B-1 बमवर्षक विमान निर्देशित और बिना निर्देशित हथियारों का सबसे बड़ा पारंपरिक पेलोड ले जाने में सक्षम है.

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने अगस्त 2020 में डिएगो गार्सिया में अपने B-2 स्टील्थ बमवर्षक विमानों को तैनात किया था, जब 15 जून, 2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था.

बी-52 बमवर्षक विमान ने जनवरी 2020 में डिएगो गार्सिया से भी ऑपरेशन किया था, जब अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी बढ़ गई थी.

अमेरिकी वायु सेना मुख्य रूप से तीन बमवर्षक विमान- बी-1बी 'लांसर', बी-2 'स्पिरिट' और बी-52 'स्ट्रेटोफोर्ट्रेस' संचालित करती है.

B-1 विमान लगभग 47 साल से अमेरिकी वायु सेना में सेवा दे रहा है. B-52 साल 1955 के बाद से सेवा में है और सबसे पुराना अमेरिकी बमवर्षक है, जबकि B-2 विमान पिछले 32 वर्षों से अमेरिकी वायु सेना में तैनात है.

माना जाता है कि अमेरिका द्वारा एक नए स्टील्थ स्ट्रैटेजिक बॉम्बर B-21 का उत्पादन किया जा रहा है.

भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए, अमेरिका मुख्य रूप से दो द्वीपीय सैन्य अड्डा संचालित करता है- गुआम में एंडरसन एयर फोर्स बेस और डिएगो गार्सिया में नेवल सपोर्ट फैसिलिटी.

अमेरिका से बाहर बमवर्षक विमानों की तैनाती की प्रथा के विपरीत, 2020 में 16 वर्षीय अमेरिकी नीति में बदलाव आया और बॉम्बर टास्क फोर्स की तैनाती का अभ्यास शुरू किया गया. अब बमवर्षक विमान अलग-अलग समय पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तैनात किए जाते हैं.

बी-1 के संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल रॉस हॉब्स ने कहा, INDOPACOM के परिचालन और रणनीतिक उद्देश्यों के समर्थन में बॉम्बर टास्क फोर्स मिशन, बहु-देश एकीकरण अवसरों के कारण हमारे एयरक्रू के लिए अत्यंत मूल्यवान हैं. वे हमें B-1 की बेजोड़ रेंज, गति और घातकता को प्रदर्शित करने का अवसर भी देते हैं.

राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य रूप से, अमेरिका-चीन के संबंध काफी तनावपूर्ण स्थिति में पहुंच गए हैं, क्योंकि ताइवान को संभावित टकराव के कारणों में से एक के रूप में देखा जा रहा है.

यह भी पढ़ें- तनावपूर्ण संबंधों के बीच चीन के नए राजदूत छिन गांग पहुंचे अमेरिका, जानें क्या कहा

हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में काफी सुधार हुए है, जिससे चीन की बेचैनी बढ़ गई है. दोनों देशों के बीच चार मूलभूत सैन्य समझौतों पर हस्ताक्षर करने के अलावा, कई संयुक्त सैन्य अभ्यास भी हुए हैं.

इस समय भी, अलास्का के जॉइंट बेस एल्मेंडोर्फ रिचर्डसन में दो देशों की थल सेनाओं के बीच दो सप्ताह तक चलने वाला 'युद्ध-अभ्यास' हो रहा है. इसमें कई संयुक्त सैन्य अभ्यास पूर्वी लद्दाख की अत्यधिक ठंड की स्थिति का अनुकरण करने से संबंधित हैं, जहां भारतीय और चीनी सेनाएं 17 महीने से अधिक समय से आमने-सामने हैं.

Last Updated : Oct 23, 2021, 11:55 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.