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रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट, जानिए पौराणिक महत्व

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Published : Aug 22, 2021, 12:04 PM IST

देवभूमि उत्तराखंड मंदिरों और धर्मस्थलों के लिए विश्वविख्यात है. हर साल देश-विदेश से श्रद्धालु उत्तराखंड में मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं. यहां के भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर (shri vanshi narayan temple) के कपाट सिर्फ रक्षाबंधन पर्व पर ही खुलते हैं.

भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर
भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर

चमोली: देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर है, ज‍िनके बारे में श्रद्धालु कम ही जानते हैं. जोशीमठ विकासखंड की उर्गम घाटी में एक ऐसा मंदिर है, जहां साल में सिर्फ एक दिन भगवान की पूजा की जाती है. मान्यता है कि साल के बाकी 364 दिन यहां देवर्षि नारद की पूजा-अर्चना होती है.

आज रक्षाबंधन के पर्व पर भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट एक दिन के लिए खोले गए हैं. ऐसे में आसपास के गांवों से बहनें भगवान श्री वंशीनारायण के दर्शन और मंदिर परिसर में अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने पहुंच रही हैं.

भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं

बता दें कि रक्षाबंधन के ही दिन सूर्यास्त से पूर्व भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट बंद भी कर दिए जाते हैं. समुद्रतल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित श्री वंशीनारायण मंदिर का निर्माण काल छठी से लेकर आठवीं सदी के बीच का माना जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवकाल में हुआ था. श्री वंशीनारायण मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है, लेकिन साल में सिर्फ रक्षाबंधन के दिन सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार सिर्फ इसी दिन मनुष्य यहां दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकते हैं. बाकी पूरे वर्ष मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.

पढ़ें-रक्षाबंधन पर ग्रह-नक्षत्रों का खास योग, ज्योतिषाचार्य से जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

कैसे पहुंचे: उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित श्री वंशीनारायण मंदिर तक पहुंचना आसान नहीं है. बदरीनाथ हाईवे पर हेलंग से उर्गम घाटी तक आठ किमी की दूरी वाहन से तय करने के बाद आगे 12 किमी का रास्ता पैदल चलना पड़ता है. दूर-दूर तक फैले मखमली घास के मैदानों को पार कर आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं.

कत्यूरी शैली में बना है मंदिर: भगवान श्री वंशीनारायण का मंदिर प्रसिद्ध कत्यूरी शैली में बना है. दस फीट ऊंचे इस मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज पाषाण मूर्ति विराजमान है. खास बात यह कि इस मूर्ति में भगवान नारायण व भगवान शिव दोनों के ही दर्शन होते हैं. कलगोठ निवासी लक्ष्मण सिंह रावत बताते हैं कि परंपरा के अनुसार वंशीनारायण मंदिर के पुजारी ठाकुर जाति के होते हैं.

चमोली: देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर है, ज‍िनके बारे में श्रद्धालु कम ही जानते हैं. जोशीमठ विकासखंड की उर्गम घाटी में एक ऐसा मंदिर है, जहां साल में सिर्फ एक दिन भगवान की पूजा की जाती है. मान्यता है कि साल के बाकी 364 दिन यहां देवर्षि नारद की पूजा-अर्चना होती है.

आज रक्षाबंधन के पर्व पर भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट एक दिन के लिए खोले गए हैं. ऐसे में आसपास के गांवों से बहनें भगवान श्री वंशीनारायण के दर्शन और मंदिर परिसर में अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने पहुंच रही हैं.

भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं

बता दें कि रक्षाबंधन के ही दिन सूर्यास्त से पूर्व भगवान श्री वंशीनारायण मंदिर के कपाट बंद भी कर दिए जाते हैं. समुद्रतल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित श्री वंशीनारायण मंदिर का निर्माण काल छठी से लेकर आठवीं सदी के बीच का माना जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवकाल में हुआ था. श्री वंशीनारायण मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है, लेकिन साल में सिर्फ रक्षाबंधन के दिन सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार सिर्फ इसी दिन मनुष्य यहां दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकते हैं. बाकी पूरे वर्ष मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.

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कैसे पहुंचे: उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित श्री वंशीनारायण मंदिर तक पहुंचना आसान नहीं है. बदरीनाथ हाईवे पर हेलंग से उर्गम घाटी तक आठ किमी की दूरी वाहन से तय करने के बाद आगे 12 किमी का रास्ता पैदल चलना पड़ता है. दूर-दूर तक फैले मखमली घास के मैदानों को पार कर आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं.

कत्यूरी शैली में बना है मंदिर: भगवान श्री वंशीनारायण का मंदिर प्रसिद्ध कत्यूरी शैली में बना है. दस फीट ऊंचे इस मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज पाषाण मूर्ति विराजमान है. खास बात यह कि इस मूर्ति में भगवान नारायण व भगवान शिव दोनों के ही दर्शन होते हैं. कलगोठ निवासी लक्ष्मण सिंह रावत बताते हैं कि परंपरा के अनुसार वंशीनारायण मंदिर के पुजारी ठाकुर जाति के होते हैं.

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