अश्गाबात : तुर्कमेनिस्तान के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind ) को शुक्रवार को यहां औपचारिक 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया. अपने दौरे के दौरान कोविंद तुर्कमेनिस्तान के अपने समकक्ष सेर्डर बर्दीमुहामेदोव से मुलाकात करेंगे और संसाधन संपन्न मध्य एशियाई देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करेंगे.
ऐसे निभाई परंपरा : भारत के राष्ट्रपति की स्वतंत्र तुर्कमेनिस्तान की यह पहली यात्रा है जो तुर्कमेनिस्तान के नए राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव के पद संभालने के कुछ दिनों बाद हुई है. राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विट हैंडल से ट्वीट किया गया, 'राष्ट्रपति कोविंद दो देशों की अपनी यात्रा के पहले भाग में अश्गाबात पहुंचे. तुर्कमन परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति को हवाई अड्डे पर बच्चों द्वारा रोटी और नमक की पेशकश की गई.'
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President Kovind arrived in Ashgabat on the first part of his two-nation visit. As per the Turkmen tradition, the President was offered bread and salt by children at the airport. pic.twitter.com/meTCNkQQhk
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एक अन्य ट्वीट में कहा गया कि राष्ट्रपति कोविंद का तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव ने स्वागत किया और अश्गाबात हवाई अड्डा पहुंचने उन्हें औपचारिक 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया. तुर्कमेनिस्तान में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, 'राष्ट्रपति राजकीय यात्रा के लिए अश्गाबात पहुंचे. तुर्कमेनिस्तान में 12 मार्च के चुनावों के बाद किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष की यह पहली यात्रा है. तुर्कमेनिस्तान के मंत्रियों ने राष्ट्रपति की अगवानी की.'
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत तुर्कमेनिस्तान के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है. बुधवार को विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा था, 'राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा न सिर्फ तुर्कमेनिस्तान के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध के महत्व की पुन:पुष्टि करेगी, बल्कि हमारे विस्तारित पड़ोस की अवधारणा और भारत-मध्य एशिया साझेदारी के संदर्भ को भी प्रदर्शित करेगी.'
प्राकृतिक गैस का बहुत बड़ा भंडार है तुर्कमेनिस्तान : तुर्कमेनिस्तान के पास प्राकृतिक गैस का बहुत बड़ा भंडार है. वर्मा ने कहा, 'तुर्कमेनिस्तान रणनीतिक रूप से मध्य एशिया में स्थित है और कनेक्टिविटी एक ऐसी चीज है जिस पर हमें लगता है कि तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी के फायदे मिलेंगे. हमने तुर्कमेनिस्तान सहित मध्य एशियाई देशों को एक अरब डॉलर के ऋण की पेशकश की है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत के दौरान तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) पाइपलाइन का मुद्दा उठ सकता है, वर्मा ने कहा, 'बातचीत (तापी पर) चल रही है...तापी पर ये बातचीत 20वीं सदी के अंतिम कुछ वर्षों में शुरू हुई. यदि आप भूगोल को देखें तो यह एक कठिन पड़ोस है. तो उस अर्थ में, पाइपलाइन पर बातचीत भी एक कार्य है.' उन्होंने कहा, 'इसके अलावा भारत को तापी पाइपलाइन के वाणिज्यिक और व्यावसायिक पहलू के बारे में कुछ चिंताएं हैं और इस पर चर्चा की जा रही है.'
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(पीटीआई-भाषा)